Panchmatha Lakshmi temple: मध्यप्रदेश में जबलपुर में मां लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) का अद्भुत मंदिर स्थपित है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण गोंडवाना शासन में रानी दुर्गावती के विशेष सेवापति रहे दीवान अधार सिंह के नाम से बने अधारताल तालाब में करवाया गया था।
इस मंदिर में अमावस की रात भक्तों का तांता लगता है। पचमठा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर एक जमाने में पूरे देश के तांत्रिकों के लिए साधना का विशेष केन्द्र हुआ करता था। कहा जाता है कि मंदिर के चारों तरफ श्रीयंत्र की विशेष रचना है।
रंग बदलने वाली मां लक्ष्मी की प्रतिमा
इस मंदिर में आने वाले भक्तों और पुजारियों का कहना है कि यहां स्थित मां लक्ष्मी की प्रतिमा दिन में तीन बार रंग बदलती है। कुछ लोग केवल इसका अनुभव करने के लिए ही पचमठा मंदिर आते हैं। दर्शनार्थियों के अनुसार प्रात: काल में प्रतिमा सफेद, दोपहर में पीली और शाम को नीली हो जाती है।
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सूर्य की पहली किरण मां Lakshmi के पैरों पर आती है
मंदिर के पुजारियों का कहना है कि इसका निर्माण करीब 11 सौ साल पूर्व कराया गया था। इसके अंदरूनी भाग में श्रीयंत्र की अनूठी संरचना की गयी है। खास बात यह है कि आज भी सूर्य की पहली किरण मां लक्ष्मी की प्रतिमा के चरणों पर पड़ती है।
शुकवार का विशेष महत्व
मंदिर में हर शुक्रवार विशेष भीड़ रहती है। कहा जाता है कि सात शुकवार यहॉ पर आकर मां लक्ष्मी के दर्शन कर लिये जाएं तो हर मनोकामना पूरी हो जाती है। मंदिर के कपाट केवल रात को छोड़ कर हर समय खुले रहते हैं, सिर्फ दीपावली पर पट रात में भी बंद नहीं होते।
दीपावली पर होता है खास आयोजन
दीपावली मे पचमठा में महालक्ष्मी के दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। दीपावली पचमठा मंदिर में मां लक्ष्मी का खास पूजन एवम् अभिषेक किया जाता है। दीवाली पर मंदिर के पट पूरी रात खुले रहते हैं और दूर-दराज से लोग यहां दीपक रखने के लिए आते हैं। आधी रात होने तक पूरा मंदिर दीपकों की रोशनी में दमक उठता है।
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