Indian Railway Hydrogen Train: भारत के इंजीनियरों ने कमाल कर दिया है. उन्होंने देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन तैयार कर दी है. अगले महीने से रेलवे हाइड्रोजन से चलने वाली इस ट्रेन को शुरू करने की तैयारी में है. अच्छी बात ये है कि हाइड्रोजन से चलने वाली ये ट्रेन पूरी तरह एनवायरमेंटल फ्रेंडली है.
Indian Railway Hydrogen Train : RSDO ने जारी की पहली तस्वीर
रेलवे के RSDO (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन) ने इस ट्रेन की पहली तस्वीर जारी की है.
RDSO चीफ उदय बोरवणकर ने बताया कि यह ट्रेन उत्तर रेलवे जोन में आने वाले जींद-सोनीपत सेक्शन पर चलाई जाएंगी. नई हाइड्रोजन ट्रेन में 8 कोच लगाए गए हैं. इस ट्रेन को 110km प्रति घंटे की रफ़्तार से चलाया जाएगा.
भारत के लिए मील का पत्थर होगी साबित Hydrogen Train
भारत की यह पहली Hydrogen Train रेल ट्रांसपोर्टेशन के फील्ड में बड़ा कदम साबित होगी. इस पूरे प्रोजेक्ट को RDSO ने तैयार किया है. जबकि पूरे प्रोजेक्ट को चेन्नई की आईएफसी में इंटीग्रेट किया गया है. हाइड्रोजन ट्रेन के लिए 2800 करोड़ रुपए अलॉट किए गए हैं. डीजल इंजन और हाइड्रोजन इंजन की तुलना करें तो ये ट्रेन बहुत कम प्रदूषण करती हैं.
इस रूट पर दौड़ेगी पहली हाइड्रोजन ट्रेन
हरियाणा के जींद से सोनीपत के बीच इस ट्रेन को चलाने की तैयारी जोरों पर है. इसी साल दिसंबर 2024 हाइड्रोजन ट्रेन को पटरी पर दौड़ाने की तैयारी है. यह ट्रेन 110 किमी प्रति घंटे की मैक्सिमम स्पीड से चलेगी. ट्रेन में कुल 8 कोच जोड़े गए हैं.
एनवायरमेंट-फ्रेंडली होगी ट्रेन
बता दें कि हाइड्रोजन ट्रेन, डीजल और दूसरे फ्यूल से चलने वाली ट्रेनों की तुलना कम प्रदूषण करती है. हाइड्रोजन जलने के बाद सिर्फ पानी और गर्मी छोड़ती है. इसलिए ये पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाएगी. ट्रेन का का डिज़ाइन लखनऊ स्थित आरडीएसओ में किया गया है. जबकि, मैनुफैक्चरिंग और इंटीग्रेशन आईएफसी चेन्नई में हुआ है.
आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियान को मिलेगा बढ़ावा
इस ट्रेन के इस्तेमाल से कार्बन एमिशन (उत्सर्जन) को काफी हद तक कम किया जा सकता है. भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन देश के रेल ट्रांस्पोर्टेशन के मॉर्डनाइजेशन में अहम भूमिका निभाएगी. साथ ही आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया प्रोग्राम में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा. हाइड्रोजन को वैसे भी फ्यूचर एनर्जी सोर्स के रूप में देखा जा रहा है. यह ट्रेन भारत में हाइड्रोजन-बेस्ड ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम को बढ़ावा देगी.