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सड़कों पर फिर से राज करने रही Ambassador कार, कुछ ऐसा था इस सरकारी गाड़ी का दौर

दशकों तक भारतीय मार्केट में स्टेटस सिंबल बनी हिंदुस्तान मोटर्स की एंबेसेडर (Electric Ambassador) नए अवतार में वापसी करने के लिए तैयार है।

रिपोर्ट्स में सामने आया है कि कंपनी दो साल के भीतर भारत में नई एंबेसेडर (Electric Ambassador) लॉन्च कर देगी। हिंद मोटर फायनेंशियल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (HMFCI) ने फ्रांस की कार निर्माता पूजो से इस क्लासिक कार की वापसी करने के लिए हाथ मिलाया है। ताजा जानकारी में सामने आया है कि ये दोनों कंपनियां फिलहाल एंबेसेडर 2.0 की डिजाइन और इंजन पर काम कर रही हैं।

चेन्नई प्लांट में होगा प्रोडक्शन

नई जनरेशन एंबेसेडर (Electric Ambassador) का प्रोडक्शन हिंदुस्तान मोटर्स के चेन्नई प्लांट में किया जाएगा। इसका कामकाज HMFCI के अंतर्गत होगा जो सीके बिड़ला ग्रूप की असोसिएट कंपनी है। टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में हिंदुस्तान मोटर्स के डायरेक्टर उत्तम बोस ने इस कार के प्रोडक्शन पर बात करते हुए कहा कि नई एंबेसेडर को बेहतरीन लुक में पेश किया जाएगा। आने वाले साल में कार लॉन्च करने की ओर इशारा करते हुए कहा कि कार का डिजाइन और मैकेनिकल काम एडवांस स्टेज पर पहुंच चुका है।

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नए अवतार में कैसी होगी अम्बेसडर

हालांकि अभी हम केवल अटकलें ही लगा सकते है, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह एक इलेक्ट्रिक सेडान (Electric Sedan) कार होगी, जिसका इंटीरियर और एक्सटीरियर पूरी तरह डिफ़रेन्ड होगा और हालांकि कंपनी अपनी पुरानी गलतियों से सीखकर इसका डिजाइन काफी फ्यूचरिस्टिक (Futuristic Design) बना सकती है। कम्पनी के वापसी के निर्णय ने काफी हलचल मचा दी है।

भारत में स्टेटस सिंबल थी ये कार

हिंदुस्तान मोटर्स की एंबेसेडर ब्रिटिश कार निर्माता मॉरिस ऑक्सफोर्ड सीरीज 3 पर आधारित है जिसे 1957 में लॉन्च किया गया था। कुछ ही समय में शानदार कार भारतीय ग्राहकों के बीच स्टेटस सिंबल बन गई और दशकों तक ये सबसे ज्यादा बिकने वाली कार भी बनी।

कम मांग और नुकसान के चलते 2014 में इस कंपनी ने देश में कामकाज बंद कर दिया था। 2017 में हिंदुस्तान मोटर्स ने फ्रांस की कारमेकर पूजो से हाथ मिलाया और सीके बिड़ला ग्रूप ने पूजो को एंबेसेडर ब्रांड 80 करोड़ रुपये में बेच दिया। अब कंपनी बिल्कुल नए अवतार में ग्राहकों की चहेती एंबेसेडर लॉन्च करने वाली है।

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भारत में एंबेसडर की शुरुआत

‘गुलाम भारत’ में आजाद सोच रखने वाले श्री बीएम बिड़ला ने 1942 में हिंदुस्तान मोटर्स की स्थापना की और यहीं से शुरू हो गई थी एंबेसडर के बनने की कहानी। 1954 में कंपनी ने भारत में कारों को बनाने के लिए इंग्लैंड के मॉरिस मोटर्स के साथ एक साझेदारी की। हालांकि, 1947 में ही भारत की स्वतंत्रता के बाद, हिंदुस्तान मोटर्स ने भारत में स्वदेशी कारों को बनाने का निर्णय ले लिया था। पर यह पूरा हुआ 11 सालों बाद। 1958 में Hindustan Motors ने Ambassador के लैंडमास्टर को पेश किया और इस तरह से शुरूआत हुई देश की सबसे पसंदीदा कार की।

इन मॉडल्स ने किया था सबको दीवाना

तकनीकी रूप से कहा जाए तो हिंदुस्तान एंबेसडर की केवल एक पीढ़ी को बाजार में लाया गया था और समय के साथ इसमें थोड़े छोटे-बड़े अपडेट्स दिए गए थे। समय-समय पर लाए गए एंबेसडर के मॉडल्स कुछ इस तरह थे-

  • हिंदुस्तान लैंडमास्टर- (1954-1958)
  • हिंदुस्तान एंबेसडर एमके1- (1958-1962)
  • हिंदुस्तान एंबेसडर एमके2- (1962-1975)
  • हिंदुस्तान एंबेसडर एमके3- (1975-1979)
  • हिंदुस्तान एंबेसडर एमके4- (1979-1990)
  • हिंदुस्तान एंबेसडर नोवा- (1990-1999)
  • हिंदुस्तान एंबेसडर क्लासिक- (2000-2011)
  • हिंदुस्तान एंबेसडर ग्रैंड- (2003-2013)
  • हिंदुस्तान एंबेसडर एनकोर- ((2013-2014)

इन सारे मॉडल्स को भारतीय ग्राहकों द्वारा खूब पसंद किया गया, लेकिन जैसा कि हर कार की समय होती है, एंबेसडर का भी दौर खत्म हुआ। एनकोर एंबेसडर कंपनी का आखिरी मॉडल था, जिसके बाद 24 मई 2014 को, Hindustan Ambassador की प्रोडक्शन लाइन को आखिरकार बंद कर दिया गया।

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राजनीति से जुड़ाव

शायद ही कोई ऐसी गाड़ी होगी, जिसकी चर्चा भारत के राजनीति में भी की जाती है, पर एंबेसडर इन सबसे अलग थी। एंबेसडर से जुड़ाव उन दिनों का है जब पंडित नेहरू पीएम थे। नेहरू ने आम तौर पर दिन-प्रतिदिन की यात्रा के लिए भारत में बनी इस गाड़ी को चुना था। हवाई अड्डे से विदेशी राष्ट्राध्यक्षों और गणमान्य व्यक्तियों को वेलकम करने के लिए नेहरू कैडिलैक में यात्रा करते थे और इसके बाद से एंबेसडर को सफलता के पंख लग गए।

चाहे वह प्रधानमंत्री रहे हों, राजनेता या सिविल सेवक, कई दशकों तक आधिकारिक वाहन के लिए एंबेसडर एक स्वाभाविक विकल्प था। यह इतने लंबे समय तक सरकारी कर्मचारियों की सेवा के लिए इस्तेमाल किया गया कि आज भी अगर हम किसी सरकार गाड़ी को याद करते हैं तो एंबेसडर के अलावा और किसी कार की तस्वीर याद नहीं आती।

उस समय कंपनी ने इसके लिए एक प्रिंट विज्ञापन भी निकाला था, जिसमें कहा गया था, “हम अभी भी असली नेताओं की प्रेरक शक्ति हैं।”

Ambassador- कोलकाता के रोड की शान

अगर कभी कोलकाता जाने का मौका मिला होगा तो आपको भी याद होगी वो काली-पीली टैक्सी। Hindustan Ambassador अपने समय में भारतीय घरों की शान तो बनी ही, लेकिन बंगाल की राजधानी कोलकाता के साथ इसका संबंध कुछ अलग ही रहा है। एंबेसडर की शुरुआत ही कोलकाता से हुई थी और फिर इसे टैक्सी कार के रूप में कोलकाता के इतिहास का हिस्सा बना लिया गया। आज भी वहां एंबेसडर कारों का चलन है।

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अटल बिहारी वाजपेयी का वो जमाना

60 से 90 के दशक तक एंबेसडर कार की बिक्री जोरों पर थी। एक बिल्कुल नया लुक, केबिन के अंदर खुलापन और इसका एक बिल्कुल खास डिजाइन लोगों को खूब पसंद आ रहा था। हालांकि, समय के साथ ऑटो बाजार में कई और मॉडल्स भी आने लगे, जिनमें बहुत से नए फीचर्स को शामिल किया जा रहा था और इन सबने ग्रहकों का ध्यान अपनी ओर खिंचना शुरू कर दिया था।

उसी समय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ‘सफेद हाथी’ कही जाने वाली एंबेसडर की जगह एक शानदार बीएमडब्ल्यू को अपने दैनिक कामों के लिए चुना। इस निर्णय ने सबको चौका दिया था। कहा जाता है कि इस निर्णय के बाद से ही हिंदुस्तान एंबेसडर की चमक फीकी पड़नी शुरू हो गई थी।

भले ही इस सफेद हाथी का प्रोडक्शन भारत में बंद हो गया है और कई नई कारों ने भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में अपनी जगह बना ली हो, लेकिन ‘किंग ऑफ इंडियन रोड्स’ कही जाने वाली एंबेसडर के सामने सबकी आज भी सबकी चमक फीकी है।

ये वो कार है, जिसे भारत की असली कार कहा गया, जिसने सिर्फ एक गाड़ी नहीं, बल्कि लोगों के घरों की शान के रूप में अपनी जगह बनाई। आज भी लोगों की यादों में ये एक कभी न भूल पाने वाली कार बनकर मौजूद है।

टाटा और एमजी से होगी टक्कर

भारतीय इलेक्ट्रिक सेगमेंट में टाटा मोटर्स कार की बादशाहत बरकरार है। दरअसल, भारतीय बाजार में सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक कार टाटा मोटर्स की मौजूद हैं और सबसे किफायती भी टाटा टिगोर ईवी सबसे किफायती कार है।