Malana Village: भारत का एक ऐसा गांव, जहां नहीं चलता देश का कानून… बना रखी है खुद की संसद और संविधान

Malana Village: दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत की पहचान है. पूरे देश में हमारे संविधान के आधार पर कानून व्यवस्था चलती है. फिर भले ही राज्यों में अलग धर्म, भाषा बोलने वाले लोग रहते हों. हमारा संविधान सबको समानता का अधिकार देता है.

लेकिन, क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा गांव भी है, जहां देश का कानून नहीं चलता. यहां के लोग भारत के संविधान को नहीं मानते. इस गांव के अपने अलग नियम और कानून है.

चलता है खुद का कानून

यह अनोखा गांव हिमाचल प्रदेश में स्थित है. इस गांव का नाम मलाणा है. यहां के लोग खुद न्यायपालिका और कार्यपालिका होते हैं. सदन के सदस्यों को चुनने का काम भी वे खुद ही करते हैं. यह गांव हिमाचल प्रदेश के कुल्‍लू जिले में करीब 12 हजार फुट की ऊंचाई पर बसा है. इसके चारों तरफ गहरी खाई और पहाड़ हैं. इस गांव में कोई भी भारतीय कानून नहीं माना जाता है. गांव वालों ने अपने खुद के कुछ नियम बना रखे हैं. इस गांव की खुद की संसद है. इसी आधार पर यहां सारे फैसले लिए जाते हैं.

गांव की अपनी अलग संसद

खास बात यह है कि भारत का हिस्सा होते हुए भी मलाणा गांव का अपना अलग संविधान है. यहां के लोगों की अपनी अलग संसद है और इसमें दो सदन हैं. ऊपरी सदन और निचली सदन. ऊपरी सदन में 11 सदस्‍य हैं. इनमें से तीन कारदार, गुरु और पुजारी होते हैं. ये स्‍थाई सदस्‍य हैं.

बाकी के 8 सदस्‍यों को ग्रामीण मतदान करके चुनते हैं. सदन के हर घर से एक सदस्‍य प्रतिनिधि होता है. संसद भवन के तौर पर यहां एक चौपाल है, जहां सारे विवादों को सुलझाया जाता है और यहीं सारे फैसले होते हैं.

मलाणा के देवता जमदग्नि ऋषि

मलाणा गांव में देवता जमदग्नि ऋषि का मंदिर है, जिसे यहां देवता जमलू के नाम से भी जाना जाता है. जमदग्नि विष्णु के छठे अवतार परशुराम के पिता थे. मान्यता है कि ऋषि जमलू ध्यानमग्न होने के लिये किसी एकांत स्थान की खोज कर रहे थे.

इसी कड़ी में वो मलाणा गांव पहुंचे, जहां आज उन्हें जमलू ऋषि के नाम से पूजा जाता है. दिलचस्प बात ये है कि पूरे गांव में जमलू देवता का एक भी चित्र नहीं है, पत्थर और लकड़ी से बने मंदिर में ऋषि जमलू की छोटी सी स्वर्ण जड़ित प्रतिमा है.

बाहरी लोग नहीं छू सकते गांव की दीवार भी

मलाणा गांव के अपने कुछ सख्‍त नियम भी है. यहां की दीवार को छूने की मनाही है. कोई भी बाहरी व्‍यक्ति गांव की दीवार को छू नहीं सकता. दीवार को छूने पर जुर्माना देना पड़ता है. यहां तक की पर्यटकों की भी इस गांव में एंट्री नहीं है.

चरस की खेती के लिए बदनाम है Malana Village

हिमाचल प्रदेश का मलाणा गांव दुनिया में चरस की खेती के लिए बहुत मशहूर है. इस गांव के आसपास गांजा अच्‍छी मात्रा में उगाया जाता है, जिसे मलाणा क्रीम कहते हैं. यहां के लोगों को चरस के अलावा कोई और फसल उगाने में दिलचस्‍पी नहीं है. उनके लिए यह काला सोना है.

वास्‍तव में यह उनके लिए रोजी रोटी का मुख्‍य साधन है. मलाणा गांव के लोगों की भाषा बहुत अलग है. यहां पर कनाशी भाषा बोली जाती है, जिसे बाहर के लोगों को सिखाना मना है. पर्यटक गांव में ठहर नहीं सकते, लेकिन इन्‍हें गांव के बाहर टेंट लगाकर रुकने की इजाजत है.


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