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Neeraj Chopra ने फिर किया भारत का नाम रौशन, Gold के बाद डायमंड लीग फाइनल्स का जीता खिताब

टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए सोना जीतने वाले स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा(Neeraj Chopra) ने एक बार फिर से विश्वपटल पर देश को इतराने का मौका दिया है। 24 साल के हरियाणा के इस बांके छोरे ने ज्यूरिख में डायमंड लीग फाइनल्स का खिताब जीतकर सफलता का नया इतिहास रचा है। आपको बता दें कि 2010 में शुरू हुए डायमंड लीग के 13वें एडिशन में खिताब जीतने वाले नीरज(Neeraj Chopra) पहले इंडियन एथलीट हैं।

व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत के लिए स्वर्ण जीता

नीरज चोपड़ा(Neeraj Chopra) ओलंपिक के व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत के लिए स्वर्ण जीतने वालेदूसरे खिलाड़ी है, इससे पहले ये खिताब अभिनव बिंद्रा के नाम पर था, जिन्होंने बीजिंग ओलंपिक 2008 में शूटिंग में गोल्ड जीता था।

ओलंपिक में गोल्ड मेडल

टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा पहले भारतीय हैं, उन्होंने 87.58 मीटर जैवलिन थ्रो फेंककर भारत को पहली बार इस कैटेगरी में सोना दिलाया था और दिवंगत दिग्गज एथलीट मिल्खा सिंह का अधूरा सपना पूरा किया था।

80 किलो के थे नीरज चोपड़ा(Neeraj Chopra), उड़ता था मजाक

पानीपत के रहने वाले नीरज चोपड़ा(Neeraj Chopra) ने भाला फेंकने की शुरुआत अपना वजन कम करने के लिए की थी, क्योंकि बचपन में नीरज(Neeraj Chopra) का वजन 80 किलो था, इसलिए लोग उनका मजाक उड़ाया करते थे। वजन कम करने के लिए उनके घरवाले उन्हें पानीपत स्टेडियम में दौड़ने-भागने के लिए रोज सुबह-शाम भेजा करते थे, जहां नीरज ने शौकिया तौर पर भाला फेंकना, रस्सी कूदना और जंपिग करना शुरू किया था लेकिन तब किसी को नहीं पता था अस्सी किलो का ये भारी-भरकम बच्चा एक दिन देश के लिए इतिहास लिखेगा।

पंचकुला से शुरू हुआ जैवलिन थ्रो का सफर

धीरे-धीरे उन्हें लगा कि वो जैवलिन में अच्छा कर सकते हैं, उनकी रूचि इस ओर बढ़ गई, उनका वजन तो कम हुआ ही साथ ही वो इसमें बेहतर करने लगे और फिर वो पहुंचे पंचकुला , जहां से सही मायने में बतौर एथलीट उनका सफर शुरू हुआ। इस दौरान उन्‍होंने नेशनल स्‍तर पर कई मेडल अपने नाम किए।

एक छात्र से सीधे ऑफिसर बने

नीरज(Neeraj Chopra) ने इस दौरान अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान दिया और उन्होंने बीबीए कॉलेज से स्नातक कर लिया था। उन्हें पहली बड़ी सफलता हासिल हुई साल 2016 में , जहां उन्होंने IAAF World U-20 Championship में सोना जीता था और इसी सफलता के पुरस्कार के रूप में इंडियन आर्मी ने राजपुताना रेजिमेंड में बतौर जूनियर कमिशन्ड ऑफिसर उन्हें नियुक्त किया जिसके बाद नीरज(Neeraj Chopra) एक छात्र से सीधे ऑफिसर बन गए

ताकत के लिए नॉनवेज खाना शुरू किया

नीरज चोपड़ा(Neeraj Chopra) को जैवलिन थ्रो फेंकने के लिए काफी ताकत की जरूरत थी, उन्हें डॉक्टरों ने अपने भोजन में प्रोटीन बढ़ाने को कहा था तो शाकाहारी नीरज ने नॉनवेज खाना शुरू कर दिया।