जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया तबाही के मुहाने पर खड़ी है। अगर हालत नहीं बदले तो 2050 तक दुनिया में 80 फीसदी खेती किए जाने वाले क्षेत्रों में पानी का भारी संकट पैदा हो जाएगा। बीजिंग के चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज की टीए की ओर से वैश्विक कृषि के लिए वर्तमान और भविष्य की जल आवश्यकताओं को लेकर किए गए शोध में यह खुलासा हुआ।
पानी की कमी से बिगड़ेंगे हालात
शोध में पाया गया कि पिछले 100 सालों में दुनिया में पानी की मांग मानव आबादी की तुलना में दोगुनी तेजी से बढ़ी है। शोधकर्ताओं ने बताया कि कृषि तकनीकें कृषि मिट्टी में वर्षा जल को सुरक्षित रखती हैं, इससे शुष्क क्षेत्रों में भी पानी बना रहता है। लेकिन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि ने हालातों को खराब कर दिया है। यह उत्सर्जन इसी तरह बरकरार रहता है तो फसल भूमि पर जल की कमी और तेजी से हो सकती है।
इससे खाद्य सुरक्षा को बड़ा खतरा हो सकता है। प्रमुख अध्ययनकर्ता लियू ने कहा कि पानी के संकट से बचने के लिए बड़े स्तर पर रणनीति बनानी होगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें पुरानी परंपराओं की ओर लौटना होगा। उन्होंने कहा कि मिट्टी को घास-पात से ढकने से वाष्पीकरण कम होता है। इसी तरह खेती में भी पानी समय के अनुसार देना चाहिए। बारिश के अनुसार खेती के पैटर्न मौसम के अनुसार बदलाव की जरूरत है। बेहतर ङ्क्षसचाई प्रणाली पर ध्यान देना चाहिए।
भारत में भी वर्षा कम होगी
अध्ययन में बताया गया कि उत्तर-पश्चिम भारत, मध्य-पश्चिमी अमरीका जैसे इलाकों में पानी की बेहद कमी होगी। इससे खेती की जमीन सिकुडऩे की आशंका है। पूर्वोत्तर चीन में अधिक बारिश का अनुमान है। अध्ययन में कहा कि अमरीका में कोलोराडो नदी बेसिन सिकुड़ रहा है। इसके लिए अमरीका ने जलाशयों में अरबों गैलन पानी जमा करने की घोषणा भी की है।
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