Navratri 2024 Durga Ashtami: नवरात्रि का 8वां दिन, आज दुर्गा अष्टमी पर करें मां महागौरी की पूजा
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Durga Ashtami 2024 Maa Gauri: शादीय नवरात्रि का आज आठवां दिन है. इस दिन मां महागौरी (Maa Gauri) की पूजा करने का विधान है. नवरात्रि के आठवें दिन को महा अष्टमी भी कहते हैं।

दुर्गा अष्टमी के दिन भक्त व्रत (Durga Ashtami 2024 Maa Gauri) रखते हैं. इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरुप मां महागौरी (Maa Gauri) की पूजा होती है. भगवान शिव के वरदान से देवी को अतिगौर वर्ण प्राप्त हुआ. महागौरी की पूजा से आयु, सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है। कष्ट और दुख दूर होते हैं.

बैल पर सवार मां महागौरी सफेद वस्त्र धारण करने वाली चतुर्भुज देवी हैं. वे त्रिशूल धारण करती हैं. दुर्गा अष्टमी के दिन कन्या पूजा और हवन भी करते हैं. जानते हैं दुर्गा अष्टमी की पूजा विधि और मंत्र.

Durga Ashtami 2024 Maa Gauri: शुभ मुहूर्त

ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, इस साल अश्विन शुक्ल अष्टमी (Durga Ashtami 2024 Maa Gauri) तिथि 10 अक्टूबर गुरुवार को सुबह 7 बजकर 29 मिनट पर लगेगी और 11 अक्टूबर शुक्रवार को सुबह 5 बजकर 47 मिनट पर खत्म हो रही है.

11 अक्टूबर को सूर्योदय 6 बजकर 13 मिनट पर हो रहा है. ऐसे में दुर्गा अष्टमी 10 अक्टूबर को मनाई जाएगी और महा नवमी 11 अक्टूबर को होगी. इस आधार पर कन्या पूजा 10 अक्टूबर को दुर्गा अष्टमी के दिन होगी. जिनके यहां नवमी को कन्या पूजा होती है, वे 11 अक्टूबर को करेंगे.

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Durga Ashtami 2024 Maa Gauri की पूजा विधि

आज प्रात: काल में मां महागौरी की मूर्ति या तस्वीर को गंगाजल से स्नान कराएं. उसके बाद मां महागौरी को पीले रंग के फूल, अक्षत्, कुमकुम, फल, वस्त्र, मिठाई आदि अर्पित करें.

मां महागौरी को नारियल या उससे बनी मिठाई का भोग लगा सकते हैं। इसके अलावा आप उनको पूड़ी, हलवा, काले चने, खीर आदि का भोग लगा सकते हैं।

मां महागौरी पूजा मंत्र

ओम देवी महागौर्यै नमः। पूजा के समय में इस मंत्र का जाप करें।

दुर्गा अष्टमी 2024 कन्या पूजा और हवन

दुर्गा अष्टमी पर मां महागौरी की पूजा करने के बाद हवन और कन्या पूजा करते हैं। दो साल से लेकर 10 साल तक की कन्याओं का पूजन करके उनसे अशीर्वाद लेते हैं। कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है, इसलिए कन्या पूजन करते हैं।

मां महागौरी का स्वरूप

पौराणिक कथाओं के अनुसार, पर्वतराज हिमालय के जन्मीं देवी पार्वती ने नारद जी के बताने पर भगवान शिव के लिए कठोर तप किया. उन्होंने हजारों वर्ष की कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया. तब शिव जी से उनको विवाह का आशीर्वाद प्राप्त हुआ.

कठोर व्रत और तप से उनका शरीर बहुत ही कमजोर और काला पड़ गया था. तब भगवान शिव ने देवी पार्वती को वरदान दिया, जिसके फलस्वरुप उनको अत्यंत ही गौर वर्ण प्राप्त हुआ। यही देवी मां महागौरी कहलाईं.

सुनिए मां गौरी की कथा

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