नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावर को कल 28 अगस्त दोपहर 2:30 बजे विस्फोट के जरिए ज़मींदोज़ कर दिया जाएगा। इस टावर की ऊंचाई 100 मीटर के करीब है और इन दोनों ट्विन टावर्स को गिराने के लिए 3700 किलो विस्फोटक लगाया गया है। इन दोनों बिल्डिंग में 20,000 विस्फोटक पॉइंट बनाए गए हैं और यह दोनों बिल्डिंग विस्फोटक से आपस में कनेक्टेड हैं।
टावर के आधा किलोमीटर दूर से अधिकारी देंगे दिशा निर्देश
28 अगस्त सुबह 7 बजे से ट्विन टॉवर्स के आसपास की सड़कों को बंद कर दिया जाएगा। ट्विन टावर और उसके आसपास का एरिया तकरीबन 1 घंटे से ज्यादा तक नो फ्लाइंग जोन में रखा जाएगा। इसके साथ ही 40 एक्सपर्ट की टीम ग्राउंड जीरो पर मौजूद होगी, जो विस्फोट को सही तरीके से अंजाम देगी। टावर से तकरीबन 500 मीटर की दूरी पर अधिकारियों के लिए एक व्यूप्वाइंट बनाया गया है जहां से तमाम विभागों के संबंधित अधिकारी जरूरी दिशा निर्देश जारी करेंगे।
एंबुलेंस और दमकल विभाग अलर्ट मोड पर
विस्फोट के दौरान किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए हॉस्पिटल पुलिस एंबुलेंस और दमकल विभाग को अलर्ट पर रखा गया है और विस्फोट सही तरीके से हो, इसके लिए बकायदा एक कंट्रोल रूम भी बनाया गया है।
कितना मलबा निकलेगा?
परियोजना अधिकारियों द्वारा तैयार किए गए अनुमानों के अनुसार, एपेक्स (32 मंजिला) और सेयेन (29 मंजिला) के विध्वंस से लगभग 35,000 क्यूबिक मीटर मलबा निकलने की उम्मीद है। इसके अलावा, लगभग 100 मीटर ऊंचे ट्विन टावरों के विध्वंस का प्रभाव दो सोसायटियों एमराल्ड कोर्ट और आस-पास के एटीएस विलेज पर होगा। सबसे अधिक नजदीक मे रहने वाले लोगों को होगा।
क्या इमारत गिरने से पर्यावरण पर कोई प्रभाव पड़ेगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि ध्वस्त से धूल के बादल आसमान में बन जाएंगे। वही इस पर कई दिनों से बहस हो रही है कि क्या इसका पर्यावरण पर कोई स्थायी प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा आस-पास के रहने वालें लोग कई बीमारियों के चपेट में आ सकते हैं। आंखों में जलन, नाक, मुंह और श्वसन प्रणाली से लेकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती हैं”। इस ध्वस्त के कारण से कई दिनों तक हवाओं में धुल और कण मिले रहेंगे। हालांकि इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि हमने ध्वस्त के समय एसओपी का प्रयोग करेंगे। जो भी पर्यावरण को बचाने के लिए कार्य होंगे उसका हम पालन करेंगे। इस एरिया में लगभग 5,000 से अधिक निवासी रहते हैं।