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तांबे के व्यापार में उतरे गौतम अडानी, 10 लाख टन तांबे का करेंगे उत्पादन, 6,071 करोड़ होंगे खर्च

अडानी ग्रुप (Adani Group) तांबे में बड़ा निवेश कर रहा है। अडाणी समूह ने गुजरात के मुंद्रा में दस लाख टन के सालाना उत्पादन वाली यूनिट की स्थापना के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से कर्ज की व्यवस्था की है। अडाणी समूह ने एक बयान में कहा, ‘‘अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड की अनुषंगी कच्छ कॉपर लिमिटेड (Kutch Copper Limited) कॉपर रिफायनरी प्रोजेक्ट की स्थापना कर रही है।

दो चरणों में बनने वाला यह प्लांट हर साल दस लाख टन रिफाइंड तांबे का उत्पादन करेगा।’’ बयान में कहा गया कि इस परियोजना के लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की अगुआई में बैंकों के एक गठजोड़ से कर्ज मिला है। केसीएल परियोजना के पांच लाख टन की क्षमता वाले पहले चरण के लिए बैंकों के इस गठजोड़ ने 6,071 करोड़ रुपये की कर्ज आवश्यकता के लिए समझौता किया और इसे मंजूरी दी। अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के निदेशक विनय प्रकाश ने कहा कि इस परियोजना का परिचालन वर्ष 2024 की पहली छमाही में शुरू हो जाएगा।

क्यों तांबे में पैसा लगा रहे अडानी
कोरोना महामारी के बाद से दुनियाभर में तांबे की डिमांड काफी बढ़ गई है। इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैस का कहना है कि यह इंडस्ट्रियल कमोडिटी एक ऐसे नए सुपर साइकल में है, जो साल 2004 से 2011 के बीच देखने को मिली थी। भारत की बात करें तो यहां तांबा बाजार में अधिक बड़े प्लेयर्स नहीं हैं।

इसलिए यहां तांबा बाजार में अच्छे मौके हैं। रिन्यूएबल एनर्जी और इलेक्ट्रिक व्हीकल क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाओं के चलते देश में तांबे की मांग बढ़ने का अनुमान है। स्टरलाइट कॉपर के बंद होने के बाद से भारत इस धातु का शुद्ध आयातक बन गया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इससे पहले लगभग दो दशकों तक देश तांबे का शुद्ध निर्यातक था।

1 एमटीपीए की क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य
यह पैसा ग्रीनफील्ड प्लांट (Greenfield Plant) के पहले चरण के हिस्से के रूप में सालाना 0.5 मिलियन टन (MTPA) की तांबा शोधन क्षमता (Copper Refining Capacity) स्थापित करने में खर्च होगा। दो चरणों में कुल 1 एमटीपीए की क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।

यह लोन भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के नेतृत्व में बैंकों के एक कंसोर्टियम द्वारा दिया जाएगा। अडानी एंटरप्राइजेज द्वारा मीडिया को दी गई जानकारी के अनुसार, कंसोर्टियम के अन्य बैंकों में बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक, एक्जिम बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में उठाया गया कदम
अडानी एंटरप्राइजेज के डायरेक्टर विनय प्रकाश ने एक बयान में कहा, “आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम बढ़ाए हुए केसीएल का लक्ष्य परिष्कृत तांबे (Refined Copper) की उत्पादन क्षमता स्थापित करना है, यह देश के ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) और नवीकरणीय ऊर्जा सेक्टर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।”

2024 की पहली छमाही तक शुरू हो जाएगा उत्पादन
प्रकाश ने कहा कि साइट पर निर्माण अच्छी तरह से चल रहा था और प्लांट 2024 की पहली छमाही तक उत्पादन शुरू करने लग जाएगा। उन्होंने कहा, “यह बेंचमार्क ईएसजी परफॉर्मेंस स्टैंडर्ड के साथ दुनिया के सबसे बड़े कॉपर रिफाइनरी परिसरों में से एक होगा।” यहां बता दें कि KCL मार्च 2021 में अडानी एंटरप्राइजेज की सब्सिडियरी के रूप में अस्तित्व में आई थी।

बन जाएगा तीसरा बड़ा प्राइवेट प्लेयर
इस निवेश के साथ, अडानी समूह भारत में तांबा बाजार में निजी क्षेत्र का तीसरा महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन जाएगा। अन्य दो आदित्य बिड़ला समूह के हिंडाल्को (Hindalco) और वेदांता समूह के स्टरलाइट कॉपर (Sterlite Copper) हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (Hindustan Copper Limited) इस सेक्टर की एक महत्वपूर्ण कंपनी है।

बिक्री के लिए रखी गई है स्टरलाइट कॉपर
पिछले हफ्ते वेदांता ने स्टरलाइट कॉपर को बिक्री के लिए रखा था। 0.4 एमटीपीए तांबा स्मेल्टर चार साल से थोड़े अधिक समय से बंद है। इसका कारण कथित प्रदूषण को लेकर स्थानीय लोगों के हिंसक विरोध प्रदर्शन हैं। वेदांता ने दावा किया था कि प्लांट भारत की तांबे की 40% मांग को पूरा करता है।