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रिपोर्ट से हुआ चीन की दरिंदगी का खुलासा, कैदियों के दिल, फेफड़े और गुर्दे निकालकर बेच रहे जिनपिंग


मनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषण की विभत्स कहानियां जैसी चीन में सुनने को मिलती है वैसी संसार में कहीं और शायद सुनने को न मिले। अपने ही लोगों के विरुद्ध कम्युनिस्ट सरकार द्वारा तरह-तरह के दमनकारी कार्य किए जाते हैं। किंतु अब चीन ने अमानवीयता की नई परिभाषा देते हुए अपने ही नागरिकों के अंगों की तस्करी शुरू कर दी है।

द ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी ने हाल ही में अपनी शोध के द्वारा ऐसे साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं जिनसे पता चलता है कि चीन में उन कैदियों को जिन्हें मृत्युदंड की सजा दी जा चुकी है तथा उन कैदियों को जिन्हें नस्लीय अथवा धार्मिक पहचान के कारण कारावास में रखा गया है, मानव अंगों की तस्करी के लिए प्रयोग किया जाता है।

चीन के सरकारी सर्जन नागरिक एवं मिलिट्री अस्पताल में ऐसे कैदियों के आंतरिक अंगों को निकालने के लिए सर्जरी कर रहे हैं। इन कैदियों की वृक्क/किडनी, हृदय आदि निकाल लेते हैं।

अचंभित करने वाला तथ्य यह है कि रिपोर्ट यह भी बताती है कि कैदियों के अंग निकालने का कार्य निरंतर पिछले 30 वर्षों से हो रहा है। ऐसे कैदी जिन्हें मृत्युदंड दिया गया है उन्हें मारने के लिए सर्जरी का प्रयोग किया जाता है। सरकार के लिए कार्य करने वाले सर्जन एक पारंपरिक हत्यारे की तरह कार्य करते हैं। चीन की सरकार द्वारा जो रिकॉर्ड तैयार किया जाता है

उसमें ऐसे कैदियों को ब्रेन डेड करार दे दिया जाता है अर्थात कागज पर इन कैदियों की स्थिति ऐसी दर्शाई जाती है कि यह वेंटिलेटर पर है और अपने आप सांस तक नहीं ले सकते। सरकार इन्हें ब्रेन डेड दिखाकर मानव अंग तस्करी के कार्य को नैतिक आधार पर सही ठहराना चाहती है।

शोध से जुड़े जबकि श्री रॉबर्टसन ने कहा “हम ठीक से नहीं जानते कि ये कैदी ऑपरेटिंगटेबल पर कैसे मरते होंगे हैं, इस पर विचार करें तो कई परेशान करने वाले दृश्य सामने आते हैं, हम अनुमान लगा सकते हैं कि यह (सर्जरी द्वारा मृत्यु दण्ड) कैसे होता है,” उन्होंने आगे कैदियों के साथ होने वाले अत्याचार के तरीकों पर भी चर्चा करते हुए कहा “इनमें (सर्जरी हेतु) अस्पताल ले जाने से पहले कैदी के सिर पर एक गोली मारी जाती है या कैदी को लकवा मारने वाली दवा का इंजेक्शन दिया जाता है।”

कैदियों को मारने के लिए उनका दिल निकाल लिया जाता है। रॉबर्टसन ने बताया “हमने पाया कि चिकित्सक राज्य की ओर से जल्लाद बन गए, और (मृत्युदंड के) निष्पादन की विधि (शरीर से) दिल को हटाने वाली थी।”

आर्थिक लाभ के कारण कई डॉक्टर और हॉस्पिटल इस कार्य में लगे हैं। “ये सर्जरी उन डॉक्टरों और अस्पतालों के लिए अत्यधिक लाभदायक हैं जो इनसे जुड़े हैं।”

रिपोर्ट के अनुसार

रिपोर्ट यह भी बताती है कि चीन द्वारा ऐसे कैदियों के साथ भी यही व्यवहार हो रहा है जिन्हें उनकी अलग नस्लीय और धार्मिक पहचान के कारण कैद किया गया है। सभी जानते हैं कि चीन के शिंजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के साथ किस प्रकार का भेदभाव होता है। संभव है कि शोध में जिन कैदियों का उल्लेख किया गया है उनमें उइगर मुसलमानों की बड़ी संख्या हो।