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Chaitra Navratri 2023: आज से शुरू हुआ शक्ति की भक्ति का पर्व, पहले दिन ऐसे करें कलश या घटस्थापना

चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2023) 22 मार्च से शुरू होने जा रही है। इसके साथ ही पिंगल नामक संवत्सर यानी हिंदू नववर्ष भी शुरू हो जाएगा। इस साल चैत्र नवरात्रि में माता का वाहन नाव होगा। साल में 4 बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। आश्विन और चैत्र मास की नवरात्रि सबसे ज्यादा प्रचलित है। चैत्र नवरात्रि से ही नए युग की शुरुआत हुई थी। इसलिए संवत का आरंभ भी चैत्र नवरात्रि से ही होता है।

चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2023) में इस बार पूरे नौ दिनों की नवरात्रि मनाई जाएगी। नवरात्रि के दौरान 3 सर्वार्थ सिद्धि योग 23 मार्च, 27 मार्च और 30 मार्च को लगेगा। जबकि अमृत सिद्धि योग 27 मार्च और 30 मार्च को लगेगा। रवि योग 24 मार्च, 26 और 29 मार्च को लगेगा। नवरात्रि के अंतिम दिन रामनवमी के दिन गुरू पुष्य योग भी रहेगा। नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना से की जाती है। आइए जानते हैं कि आइए जानते हैं नवरात्रि पर घटस्थापना के नियम और सही मुहूर्त क्या हैं।

कलश स्थापना का मुहूर्त

नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि इस बार 22 मार्च को पड़ रही है। इसी दिन कलश की स्थापना भी की जाएगी। घटस्थापना का सबसे अच्छा समय सुबह 06 बजकर 23 मिनट से 07 बजतक 32 मिनट तक रहेगा।

कलश स्थापना के कुछ खास नियम

  • गलत दिशा में कलश न रखें- कलश को गलत दिशा में स्थापित करने से बचें। ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) देवताओं की दिशा होती है। इस दिशा में ही कलश को स्थापित किया जाना चाहिए।
  • कलश का मुंह खुला न रखें- शारदीय नवरात्रि पर अगर आप कलश की स्थापना करने वाले हैं तो ध्यान रखें कि कलश का मुंह खुला ना रहे। इसे किसी ढक्कन से ढककर ही रखें। ढक्कन को चावलों से भर दें और उसके ठीक बीचोबीच नारियल रखें।
  • कलश स्थापना से पहले करें ये काम- कलश को स्थापित करने से पहले देवी मां के सामने अखंड ज्योति प्रज्वलित करें। इस दिशा को आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) में रखें। कलश स्थापित करते वक्त साधक को अपना चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा में ही रखना चाहिए।
  • साफ-सफाई का रखें ध्यान- घर में आप जिस जगह पर कलश स्थापित करने वाले हैं या देवी की चौकी लगाने वाले हैं, वहां स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। घटस्थापना चंदन की लकड़ी पर करें तो शुभ होगा।
  • इन जगहों पर ना करें घटस्थापना- घटस्थापना का स्थल बाथरूम या किचन के आस-पास नहीं होना चाहिए। अगर पूजा स्थल के ऊपर कोई आलमारी या सामान रखने की जगह है तो उसे भी अच्छी तरह साफ कर लें।

कलश स्थापना की विधि (Chaitra navratri 2023 Kalashsthapna)

कलश स्थापना की विधि शुरू करने से पहले सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहनें। उसके बाद एक साफ स्थान पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर माता रानी की प्रतिमा स्थापित करें। इस कपड़े पर थोड़े चावल रखें। एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश पर स्वास्तिक बनाकर इसपर कलावा बांधें।

कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर अशोक के पत्ते रखें। एक नारियल लें और उस पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें। इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए देवी दुर्गा का आवाहन करें। इसके बाद दीप आदि जलाकर कलश की पूजा करें। नवरात्रि में देवी की पूजा के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश स्थापित किया जाता है।