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खाद्य पदार्थों और ईंधन की महंगाई का बोझ झेल रही जनता को एक और झटका लगा है. उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के निजी स्कूलों को फीस में वृद्धि करने की अनुमति दे दी है. मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार के इस फैसले से निजी स्कूलों की फीस में 9.5 फीसदी की बढ़ोतरी होगी.

बता दें यूपी सरकार ने फीस बढ़ाने के लिए साल 2019-20 के शैक्षणिक सत्र को आधार वर्ष यानी बेस ईयर मानने का निर्देश दिया गया है. अगर फीस बढ़ाने की पीछे की गणित की बात करें तो सरकारी आदेश में एक उदाहरण के जरिए इसे समझाने की कोशिश की गई है.

आदेश में उदाहरण के तौर पर बताया गया है कि शैक्षणिक वर्ष 2019-2022 में ‘x’ वार्षिक शुल्क होने की दशा में शैक्षणिक सत्र 2022-23 में शुल्क वृद्धि नवीनतम उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर वार्षिक वृद्धि की गणना की जाय. आदेश में कहा गया है कि छात्रों से वर्ष 2019-2022 में लिये गये वार्षिक शुल्क ‘x’ के 5
प्रतिशत से अधिक की वृद्धि न की जाय. 

क्या है फीस बढ़ाने की वजह?
महामारी एक्ट खत्म होने के चलते शिक्षा विभाग ने फीस बढ़ाने पर लगी रोक हटाई है. अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला ने फीस बढ़ोतरी का आदेश जारी किया है. यूपी में साल 2019-20 के सत्र के बाद से ही फीस नहीं बढ़ी है

आदेश के अनुसार साल 2019-20 के फीस स्ट्रक्चर को आधार वर्ष लेते हुए शुल्क वृद्धि होगी. आदेश में कहा गया है कि अगर किसी छात्र, संरक्षक, अभिभावक अध्यापक एसोसिएशन को बढे शुल्क से समस्या तो जिला शुल्क नियामक समिति को शिकायत कर सकेंगे.

आराधना शुक्ला द्वारा जारी आदेश के अनुसार उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम की धारा 4 (1) तहत शैक्षणिक सत्र 2022-23 में नियमानुसार फीस बढ़ाई जा सकती है.

यूपी के praivet स्कूलों की फीस में 9.5% की वृद्धि, जानें- क्या है फीस बढ़ाने के पीछे का गणित?







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