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आ रही भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन, इस रूट पर चलेगी, प्रदूषण पर लगाएगी ब्रेक

देश को जल्द ही हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन मिलने वाली है. अभी तक तीन देशों में ही हाइड्रोजन ट्रेनें डिजाइन की जाती हैं लेकिन अब भारत भी लिस्ट में शामिल हो जाएगा. ये हाइड्रोजन ट्रेन भारत में ही बनेगी और डिजाइन की जाएगी.

बजट की घोषणा के साथ ही रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसका ऐलान किया था. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन के बारे में घोषणा करते हुए इसके दिसंबर 2023 तक चलने की बात कही है. इसे कालका-शिमला ऐतिहासिक सर्किट चलाया जाएगा.

किस रूट पर चलेंगी हाइड्रोजन ट्रेन

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आने वाली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों का नाम ‘वंदे मेट्रो’ होगा. इन ट्रेनों को दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरी माउंटेन रेलवे, माथेरान हिल रेलवे, कांगड़ा घाटी, बिलमोरा वाघई और मारवाड़-देवगढ़ मद्रिया रूट जैसे ऐतिहासिक नैरो-गेज रूट पर चलाने की योजना है. हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन को स्थानीय स्तर पर डिजाइन और निर्मित किया जाएगा. यह हाइड्रोजन ईंधन कोशिकाओं का उपयोग करेगा, जो बिजली उत्पन्न करने के लिए हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को मिलाते हैं. यह ट्रेन प्रदूषण के खिलाफ भारत की एक अच्छी पहल भी साबित होगी.

डीजल इंजन से होगा महंगा

हालांकि, हाइड्रोजन ईंधन सेल की परिचालन लागत डीजल इंजन की तुलना में 27% अधिक बताई जाती है. अत्यधिक ज्वलनशील प्रकृति के कारण हाइड्रोजन का भंडारण भी एक चुनौती है. बता दें कि हाइड्रोजन ट्रेनें वे हैं जो पारंपरिक डीजल इंजनों के बजाय हाइड्रोजन ईंधन कोशिकाओं का उपयोग करती हैं. हाइड्रोजन ईंधन सेल हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को परिवर्तित करके बिजली का उत्पादन करते हैं, जिसका उपयोग ट्रेन की मोटरों को चलाने के लिए किया जाता है.

प्रदूषण पर लगेगा ब्रेक

तथ्य यह है कि हाइड्रोजन ट्रेनें हानिकारक प्रदूषकों जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड या कण पदार्थ का उत्सर्जन नहीं करती हैं, उन्हें पारंपरिक डीजल ट्रेनों की तुलना में अधिक पर्यावरण के अनुकूल विकल्प बनाती हैं. एक अन्य लाभ यह है कि पवन, सौर, या जल विद्युत जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके हाइड्रोजन का उत्पादन किया जा सकता है, जिससे इन ट्रेनों के लिए ईंधन की आपूर्ति स्वच्छ और नवीकरणीय हो जाती है.