27 महीने बाद सीतापुर जेल से रिहाई मिलने के बाद विधायक आजम खान रामपुर में अपने घर पहुंच गए हैं। उन्होंने यहां मीडिया के सामने इशारों में अखिलेश यादव पर बड़ा हमला बोला है। आजम ने कहा, ‘मुझ पर, मेरे परिवार और मेरे लोगों पर हजारों की तादाद में जो मुकदमे दायर किए हैं, उसमें मैं कहूंगा कि मेरी तबाहियों में मेरे अपनों का हाथ है। मेरे अपनों का बड़ा योगदान है। मेरी दरख्त की जड़ में जहर डालने वाले लोग अपने हैं।’
आजम ने कहा, ‘अभी मेरे लिए BJP, BSP और कांग्रेस बहुत बड़ा सवाल नहीं है। हमने अपनी मोहब्बत, अपनी वफादारी साबित कर दी, बाकी का सबूत आपको देना है।’ आजम ने कहा कि भाजपा सरकार को हमसे इतनी नफरत क्यों है, मैं ये समझ नहीं पा रहा हूं। कभी मुलाकात हुई तो नफरत का कारण जरूर जानने की कोशिश करूंगा।
आजम ने एनकाउंटर की भी आशंका जताई है। उन्होंने कहा कि जेल में बयान लेने आए दरोगा ने सचेत किया था कि जमानत मिलने के बाद भूमिगत रहिएगा, वरना एनकाउंटर कराया जा सकता है।
आजम ने कहा- ज्ञानवापी पर अभी ज्यादा बोलना माहौल खराब करना होगा
आजम ने ज्ञानवापी मामले पर भी बोला। कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद और बाबरी मस्जिद की सुनवाई में काफी अंतर है। बाबरी पर सालों बाद फैसला आया था। ज्ञानवापी पर सुप्रीम कोर्ट ने चंद दिनों में आदेश दिए हैं। इस पर अभी कुछ कहना इस वक्त गलत होगा और मुल्क के माहौल को खराब करने का काम करेगा।
आजम बोले- हमें अंग्रेजों के जमाने में फांसी देने वाली कोठरी में रखा गया
आजम ने कहा, ‘जेल में हमें उन कोठरियों में रखा गया, जहां अंग्रेजों के जमाने में फांसी देने वालों को रखते थे। हमारी बैरक के पास ही फांसी घर था। वहां हम अकेले थे। बच्चे और बीवी के जेल से बाहर आने के बाद वहां की दीवारें, छत और रात का अकेलापन ही होता था।
एक समय ऐसा आया, हमें लगने लगा कि इस तहखाने से हमारा जनाजा ही जाएगा। इसीलिए जब आप लोग मिलने आते थे, तो हम कहते थे कि जिंदा आएंगे तो गाजिल होंगे। जनाजा जाएगा तो शहीद होंगे। अब जिंदा आ गए हैं। तुम्हारे बीच हैं, तो गाजिल हैं। मौका मिलेगा तो ऐसे वाकये बताएंगे। जिसे सुनकर आपका कलेजा फट जाएगा। हम पर बहुत जुल्म हुए हैं…।
जिंदगी के इस मोड़ पर भी हमसे ही कुर्बानी ली जा रही
आजम ने इमरजेंसी के दिनों को भी याद किया। उन्होंने कहा कि छोटी उम्र में इमरजेंसी लगी थी। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का सेक्रेटरी था। तब भी हमें गिरफ्तार किया गया था। पौने दो साल बनारस जेल में रहा था। जब जिंदगी की शुरुआत हुई थी। उस वक्त भी कुर्बानी हमसे ली गई थी। अब जिंदगी के इस मोड़ पर खड़े हैं, तब भी हमसे ही कुर्बानी ली जा रही है।
ये 40 साल का सफर बेकार नहीं जाएगा। आने वाले कल में हम तो नहीं होंगे। याद रखो, तारीख को तोड़ा जा सकता है। लेकिन, मिटाया नहीं जा सकता है। मेरे खानदान और शहर के साथ जो हुआ। ये कायनात का सच है। इसको आने वाली नस्लें पढ़कर रोया करेंगी।
समर्थकों से गले मिल भावुक हो उठे थे आजम
रामपुर से सपा विधायक आजम खान 27 महीने से सीतापुर जेल में बंद थे। शुक्रवार सुबह 8 बजे जेल से बाहर आए आजम को उनके दोनों बेटों अब्दुल्ला और अदीब ने रिसीव किया। शिवपाल यादव भी इस दौरान साथ रहे।
जेल से आजम सीधे सीतापुर में अपने करीबी पूर्व विधायक अनूप गुप्ता के घर पहुंचे। समर्थकों से गले मिलने के दौरान आजम भावुक हो गए। उनकी आंखें भर आईं। इधर, अखिलेश यादव ने भी आजम की रिहाई पर सुबह पहला ट्वीट किया। उन्होंने कहा- रिहा होने पर हार्दिक स्वागत है।
आजम हमारे साथी हैं
प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव ने सीतापुर जेल के बाहर पहुंचकर आजम खान से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच कुछ देर तक बातचीत हुई। फिर शिवपाल अपनी गाड़ी से लखनऊ के लिए रवाना हो गए। मीडिया से बात करते हुए शिवपाल ने कहा कि- आजम खान हमारे साथी हैं।
आजम की पत्नी ने अखिलेश के सवाल पर साधी चुप्पी
आजम की पत्नी तंजीन फातिमा ने तो अखिलेश के बारे में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। उन्होंने बताया कि “मैं उनके (अखिलेश यादव) बारे में कुछ नहीं कहना चाहती। कोर्ट ने हमें राहत दी है, मैं उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं जिन्होंने मुश्किल समय में हमारा साथ दिया।”