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बड़ी खबर: आपकी रोटी महंगी हो जाएगी, गोदामों में पड़ा 10 लाख टन गेहूं सड़ा, 200 करोड़ बर्बाद

मध्य प्रदेश के गोदामों में 1 करोड़ टन गेहूं दो साल से भरा है। इसमें 10 लाख टन खराब हो गया है। फिर भी सरकार हर महीने गोदामों का 60 करोड़ रु. का किराया दे रही है। खराब हुए गेहूं की कीमत 200 करोड़ रु. है। जबकि गोदामों का सालभर का किराया 700 करोड़ रु. चुकाया जा चुका है। बड़ी बात ये है कि गोदामों में रखा कितना गेहूं खराब हो चुका, इसका कोई भौतिक सत्यापन नहीं हुआ है। रायसेन जिले के बकतरा में 10 से 12 गोदामों में 2019 से भरे गेहूं को खाली करवाने की खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम ने पहल की है।

वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के एमडी दीपक सक्सेना के मुताबिक गोदाम वाले इस शर्त पर खाली करने को तैयार हो गए हैं कि उन्हें दो साल का किराया दे दिया जाए। जबकि निगम ने इनसे पूछा है कि कितना गेहूं खराब हुआ, पहले ये बताओ। अब गोदाम वाले अच्छा और खराब गेहूं छांट रहे हैं। हालाकि उन्हें किराया अच्छे गेहूं का ही मिलेगा। इसी तरह के मामले विदिशा, सीहोर, मंदसौर और रतलाम जिले में भी हैं। बता दें कि गोदामों में पिछले दो साल से 1 करोड़ टन गेहूं, 4 लाख टन धान और 1 लाख टन मूंग और उड़द का भंडारण है।

यह है किराए का गणित
केंद्र से राज्य को जो गेहूं मिलता है, उसे गोदामों में छह महीने तक रखने के लिए प्रति क्विंटल 7.70 रु. के हिसाब से पैसे मिलते हैं। छह महीने के बाद का खर्च राज्य सरकार उठाती है। इसमें से 5 रु. प्रति क्विंटल का किराया निजी गोदामों के लिए दिया जाता है। हालांकि सरकारी गोदाम भरने के बाद ही माल निजी गोदामों में दिया जाता है।