G20 Summit 1
G20 Summit 1

इंडोनेशिया के बाली में आज यानी मंगलवार को वार्षिक जी20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit) की शुरुआत हुई, जिसमें कोविड-19 वैश्विक महामारी और यूक्रेन पर रूस के हमले से उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा की गई।

प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi in G20 Summit) ने जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 वैश्विक महामारी और यूक्रेन का जिक्र करते हुए वैश्विक स्तर पर चुनौतीपूर्ण वातावरण के बीच जी20 के नेतृत्व के लिए इंडोनेशिया की तारीफ की और कहा कि इन घटनाक्रमों ने पूरी दुनिया में तबाही मचा दी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन (PM Modi in G20 Summit) में कहा कि मैंने बार-बार कहा है कि हमें यूक्रेन में युद्ध-विराम और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का तरीका तलाशना होगा। कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद एक नयी विश्व व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी हमारे कंधों पर है। हमें यह स्वीकार करने में संकोच नहीं करना चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय संस्थान वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में असफल रहे हैं। तो चलिए जानते हैं पीएम मोदी का पूरा भाषण।

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यहां पढ़ें पीएम मोदी का जी20 बैठक के दौरान पूरा संबोधन

‘नमस्कार!

कठिन वैश्विक वातावरण में G20 को प्रभावी नेतृत्व देने के लिए मैं राष्ट्रपति जोको विडोडो का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। Climate Change, कोविड महामारी, यूक्रेन का घटनाक्रम और उससे जुड़ी वैश्विक समस्याएं, इन सब ने मिल कर विश्व में तबाही मचा दी है। Global Supply Chains तहस-नहस हो गई हैं। पूरी दुनिया मे जीवन-जरूरी चीजें essential goods की सप्लाइ का संकट बना हुआ है। हर देश के गरीब नागरिकों के लिए चुनौती और गंभीर है। वे पहले से ही रोजमर्रा के जीवन से जूझ रहे थे। उनके पास दोहरी मार से जूझने की आर्थिक capacity नहीं है। हमें इस बात को स्वीकार करने से भी संकोच नहीं करना चाहिए कि UN जैसी मल्टीलैटरल संस्थाएं इन मुद्दों पर निष्फल रही हैं और हम सभी इनमे उपयुक्त reforms करने मे भी असफल रहे हैं। इसलिए आज जी-20 से विश्व को अधिक अपेक्षाएं हैं, हमारे समूह की प्रासंगिकता और बढ़ी है।

मैंने बार-बार कहा है कि हमें यूक्रेन मे संघर्ष-विराम और डिप्लोमसी की राह पर लौटने का रास्ता खोजना होगा। पिछली शताब्दी मे, दूसरे विश्व युद्ध ने विश्व मे कहर ढाया था। उसके बाद उस समय के leaders ने शांति की राह पकड़ने का गंभीर प्रयत्न किया। अब हमारी बारी है। पोस्ट-कोविड काल के लिए एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की रचना करने का जिम्मा हमारे कंधों पर है। समय की मांग है कि हम विश्व में शांति, सद्भाव और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस और सामूहिक संकल्प दिखाएं। मुझे विश्वास है कि अगले वर्ष जब जी-20 बुद्ध और गांधी की पवित्र भूमि में मिलेगा तो हम सभी सहमत हो कर विश्व को एक मजबूत शांति-संदेश देंगे।

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महामारी के दौरान भारत ने अपने 1।3 बिलियन नागरिकों की फूड सिक्युरिटी सुनिश्चित की। साथ ही अनेकों जरूरत मंद देशों को भी खाद्यान्न की आपूर्ति की। फूड सिक्युरिटी के संदर्भ मे Fertilizers की वर्तमान किल्लत भी एक बहुत बड़ा संकट है। आज की fertilizer shortage कल की फूड-क्राइसिस है, जिसका समाधान विश्व के पास नहीं होगा। हमें खाद और खाद्यान्न दोनों की सप्लाइ चैनस को stable और assured रखने के लिए आपसी सहमति बनानी चाहिए। भारत में Sustainable फूड सिक्युरिटी के लिए हम natural farming को बढ़ावा दे रहे हैं और मिलेट्स जैसे पौष्टिक और पारंपरिक foodgrains को फिर से लोकप्रिय बना रहे हैं। मिलेट्स से वैश्विक मैल्नूट्रिशन और hunger का भी समाधान हो सकता है। हम सभी को अगले वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष जोर-शोर से मनाना चाहिए।

विश्व की fastest growing अर्थव्यवस्था भारत की एनर्जी-सिक्युरिटी वैश्विक ग्रोथ के लिए भी महत्वपूर्ण है। हमें एनर्जी की सप्लाइज पर किसी भी तरह के प्रतिबंधों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए तथा एनर्जी बाजार मे स्थिरता सुनिश्चित करनी चाहिए। भारत क्लीन एनर्जी और पर्यावरण के प्रति कमिटेड है। 2030 तक हमारी आधी बिजली renewable स्रोतों से पैदा होगी। समावेशी एनर्जी ट्रांजीशन के लिए विकासशील देशों को समय-बद्ध और किफायती फाइनेंस और टेक्नोलॉजी की स्थायी आपूर्ति अनिवार्य है,

भारत की जी-20 प्रेसीडेंसी के दौरान हम इन सभी मुद्दों पर वैश्विक सहमति के लिए काम करेंगे।

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धन्यवाद।’

क्या है जी20

जी-20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं। जी20 वैश्विक आर्थिक सहयोग का एक प्रभावशाली संगठन है। यह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है।


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