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लखनऊ: बच्चों की परवरिश करना इतना आसान नही है, जितना लोग समझते है। पेरेंट्स हर समय बच्चों के साथ सरल व्यवहार नहीं कर सकते हैं। बच्चों को बेहतर व्यक्ति बनाने के लिए उन्हें अनुशासन में रखना आवश्यक होता है।

अधिकतर देखा गया है पेरेंट्स अनुशासन सिखाने के नाम पर बच्चों को डांटते हैं या उनकी मार लगाते करते हैं। जो कि बिल्कुल सही नही है। आप विनम्र और सरल तरीके से भी बच्चे को अनुशासन सिखाने में सफल हो सकते हैं। एक्सपर्ट्स से मिली जानकारी के मुताबिक बच्चों को सकारात्मक तरीकों से अनुशासित रखने (Positive discipline techniques) के कुछ मुख्य तरीके बताए हैं।

सकारात्मक तरीके से अनुशासन की टेक्नीक बच्चों को स्वभाव से जिम्मेदार बनाती है, जिससे वो अपनी जिंदगी बेहतर तरीके से जीने में सफल साबित हो पाते हैं। इस लेख के माध्यम से जानते है, वो महत्वपूर्ण बातें (Here are some techniques for handling a stubborn child)।

बच्चों को सकारात्मक तरीके से सिखाएं अनुशासन

हर एक व्यक्ति के जीवन में अनुशासन सबसे महत्पूर्ण चीज है। बिना अनुशासन के कोई भी खुशहाल जीवन नहीं जी सकता है। कुछ नियमों और कायदों के साथ ये जीवन जीने का एक अपना तरीका होता है। अनुशासन ही सब कुछ है, जो हम सही वक्त पर सही तरीके से करते हैं। ये हमें सही रास्ते पर ले जाता है।

जिससे बच्चे जानें कि कौन-से काम सही हैं और कौन-से गलत

भागदौड़ भरी जिंदगी में जो भी होता है, उनका ज़िक्र करके सिखाइए कि क्या सही है और क्या गलत। जैसे, यह ईमानदारी है और यह गलत है। वफादारी है और यह धोखेबाजी है। यह अच्छी बात है और यह गलत बात है। धीरे-धीरे आपके बच्चे समझ जाएँगे कि कौन-से काम सहीं हैं और कौन-से गलत। धीरे धीरे गलत और सही में फर्क करना समझ जाएंगे।

समझाइए कि कोई बात क्यों सही है या गलत है

ऐसा करने के लिए बच्चों से कुछ प्रश्न कीजिए। जैसे, ईमानदार होना क्यों सही होता है? झूठ बोलने से लोग दूर हो जाते है? चोरी करना सही क्यो नही है? बच्चों से ऐसे प्रश्न करके उन्हें सही-गलत के बीच फर्क करना सिखाइए। जिससे वो किसी को समझने में गलती ना करे। क्योकि ये सब बातें उनके दिमाग मे रहेंगी।

सही काम करने के फायदे बताइए

आप कुछ ऐसा कह सकते हैं, अगर आप सच बोलेंगे, तो लोग आप पर विश्वास करेंगे। या अगर आप दूसरों की सहायता करेंगे, तो लोग आपकी तारीफ करेंगे।

बच्चे बुरे नहीं होते, व्यवहार बुरा होता है

अगर आपका बच्चा किसी दूसरे बच्चे को पीटता है, तो इसको डांटने या शरारती कहने की बजाय, उसे बताएं कि उसकी ये हरकत सही नही है। बच्चे को प्यार से बोलें कि उसे दूसरों को नहीं पीटना चाहिए और जो उसने किया उसके लिए माफी मांगे। इससे आपका बच्चा समझेगा कि आप उसे प्यार करते हैं, लेकिन उसे भी अपना व्यवहार परिवर्तित करने की आवश्यकता है।

किससे कैसा व्यवहार करना है बताएं

अगर आप ये देखते है कि आपका बच्चा कुछ गलत करने वाला है तो उसे ये मत कहो कि ‘ऐसा मत करो’ इसके बजाय, उसे बताएं कि उसे क्या करना चाहिए। क्या नही करना चाहिए। अपने बच्चे को व्यवहार करने का सही तरीका सीखकर उसे ठीक से व्यवहार करना सिखाएं।

गलतियों को नजरअंदाज ना करें

बच्चे को उसकी पिछली गलतियों से भी बहुत कुछ सिखा सकते हैं। जैसे कि अगर बच्चा किसी दूसरे बच्चे का खिलौना उठाकर भाग जाता है तो आप उसे याद दिलाते हुए बताएं कि जब आपके मित्र ने आपने वो खिलौना मांग लिया था, जिससे आप खेल रहे थे, तो आपको कितना बुरा लगा था न? जब आप किसी से कुछ लेते हैं या छीनकर भाग जाते है, तो उन्हें भी ऐसा ही महसूस होता है। इससे आपके बच्चे को अपने दोस्तों की भावनाओं को समझने में हेल्प मिलेगी। जिससे वो दुबारा ऐसा काम नही करेगा जिससे किसी को ठेस पहुचे।

सीमाएं निश्चित करें
बच्चों के लिए कुछ सीमाएं आवश्यक ही तय करें। जैसे कि अगर आपके बच्चे को खेलना अच्छा लगता है, तो यह अच्छी बात है, लेकिन उसके लिए कुछ नियम अवश्य बनाएं। जैसे उदाहरण के लिए, बच्चे से कहें कि वो अपना स्कूल का गृहकार्य पूरा करने के बाद ही खेलने जा सकता है। अपनी खाने की प्लेट की सारी सब्जियां समाप्त करने के बाद ही उसे आइसक्रीम खाने मिल सकती है। ये छोटी छोटी बाते उसे बहुत कुछ सीखा सकती है।

बच्चे को आदेश ना दें

अपने बच्चे को ऑडर देने की बजाय ये बताएं कि आप उससे क्या कराना चाहते हैं। जिससे वो समझदार बने। लोग उसकी तारीफ करे। आप उसे वो काम करने के लिए नए नये तरीके अपनाना भी सिखा सकते हैं।

उदाहरण के तौर पर अगर आपका बच्चा खेल कर आया है उसने अपने कपड़े बिस्तर पर फेंक दिये हो तो आप उससे पूछ सकते हैं कि ‘हमें अपने कपड़े कहां रखने चाहिए, कपड़े रखने की जगह कहा है?’ बच्चे को डॉट कर आदेश मत दें कि अपने कपड़े उठाकर अलमारी में रखो। उसको बताए कि किसकी जगह कहा है।

बच्‍चों का जिद्दी सही बात नही है, लेकिन हद से ज्‍यादा और बात-बात पर जिद करना ये भी सही नही है। इसका बुरा असर आगे चलकर बच्‍चे के भविष्‍य पर भी पड़ता है और उसके व्‍यवहार में ही ये आदत शामिल हो जाती। जो उसे दूसरे बच्चों से अलग कर देती है।

इससे बचने के लिए पेरेंट्स को समय रहते ही इस आदत को सुधारने की हर सम्भव कोशिश कर लेनी चाहिए। सही वक्त पर सही सीख मिलने से आपके बच्‍चे का भविष्‍य संवर सकता है और वो एक अच्‍छा व्यक्ति बन सकता है।


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