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यूनाइटेड अरब अमीरात(UAE) की राजधानी अबू धाबी में बन रहे हिंदू मंदिर को लेकर दुनियाभर में चर्चा है। बता दे कि यूएई मुस्लिम देश है। यहां की भाषा अरबी है। यहां की आबादी 96.3 लाख(2018) है। इसमें से करीब 15 लाख आबादी आबू धाबी में रहती है। यह यूएई का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला शहर है। यह यहां का पहला हिंदू मंदिर है। करीब 16.7 एकड़ में बन रहे इस मंदिर के निर्माण पर करीब 45 करोड़ दिरहम (करीब 900 करोड़ रुपए) खर्च होंगे। अनुमान है कि इसका निर्माण 2023 तक पूर्ण हो जाएगा। बता दें कि 2019 में अबू धाबी ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अरबी और अंग्रेजी के बाद हिंदी को अपनी अदालतों में तीसरी आधिकारिक भाषा के रूप में शामिल किया था। अमीरात में भारतीयों की संख्या 26 लाख से ज्यादा हो चुकी है। यानी यह कुल आबादी का 30 प्रतिशत है। यह अमीरात का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय कहा जाता है।

मंदिर का बाहरी हिस्सा करीब 12 हजार 250 टन गुलाबी बलुआ पत्थरों से तैयार हो रहा है। इसमें करीब 5,000 टन इटैलियन कैरारा मार्बल लगेगा। ये पत्थर 50 डिग्री तापमान को भी झेल सकते हैं। पिछले दिनों मंदिर का डिजाइन जारी किया गया। मंदिर ऐसा दिखेगा।मंदिर में भगवान कृष्ण, शिव और अयप्पा की मूर्तियां होंगी। अयप्पा को विष्णु का अवतार माना जाता है।

यह मंदिर अल वाकबा नामक जगह पर बन रहा है। यह आबू धाबू से करीब 30 मिनट की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर की रूपरेखा आबू धाबी के बिजनेसमैन बीआर शेट्टी ने तैयार की थी। वैसे तो इस मंदिर को 2017 में बनकर तैयार हो जाना था, लेकिन किसी कारणों से देरी होती गई। 2020 में भी इसके उद्घाटन की प्लानिंग थी, लेकिन अब उम्मीद है कि यह 2023 में पूर्ण हो पाएगा।

मंदिर में 2000 से ज्यादा कलाकृतियां तैयार की जा रही हैं। इन्हें साकार करने 3000 से ज्यादा मजदूर और शिल्पकार काम कर रहे हैं। पत्थरों पर नक्काशी राजस्थान और गुजरात में की जा रही है।

मंदिर का निर्माण बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) करवा रही है। इस मंदिर की डिजाइन भारत में मौजूद अक्षरधाम मंदिर जैसी है। यह और बात है कि यह दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर से आकार में छोटा होगा।


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