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कहा जाता है कि जिंदगी की रेस में वही हारता है जो दौड़ना छोड़ देता है। लगातार मेहनत करते करते कब किसकी किस्मत बदल जाए पता नहीं चलता। इसके तमाम उदाहरण हैं।

 

 

हाल ही में अपने आप को एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताई थी जो बचपन में कबाड़ीवाला बनाने के आगे कुछ नहीं सोचा था लेकिन उनकी मेहनत को देख कर ईश्वर ने उन्हें आईएएस की परीक्षा में टॉप करा दिया।

 

ऐसे ही आज हम आपको एक व्यक्ति की कहानी बताएंगे जिसका जीवन भी महानतम वैज्ञानिक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की तरह तमाम संघर्षों और गरीबी से भरा था। हम बात कर रहे हैं जॉर्ज की। नहीं नहीं, जॉर्ज पंचम नहीं, बल्कि यह जॉर्ज हैं केरल के रहने वाले

 

जॉर्ज वी निरेपराम्बिल का जन्म केरल में हुआ था और उनका बचपन आर्थिक तंगी में गुजरा। अक्सर देखा जाता है कि कई बच्चे आर्थिक तंगी के कारण अपने सपनों को चाह कर भी पूरा नहीं कर पाते हैं लेकिन यहां तो जॉर्ज ने बड़ा आदमी बनने की जिद पाल रखी थी।

 

 

चार्ज जब मोटर मैकेनिक का काम करते थे तो एक बार उनके किसी एक रिश्तेदार ने उनकी गरीबी का मजाक उड़ाते हुए उनसे कहा था कि ‘तुमने बुर्ज खलीफा देखा है तुम उसमें प्रवेश भी नहीं कर सकते।’

 

उनके रिश्तेदार ने तो यह बात मजाकिया लहजे में कही थी, लेकिन इस मजाक को जाट ने बड़े ही गंभीरता से ले लिया। और लग गए बुर्ज खलीफा में प्रवेश करने के सपनों को पूरा करने के लिए। उन्होंने सिर्फ बुर्ज खलीफा में प्रवेश ही नहीं किया बल्कि आज उनके दुनिया की इस सबसे ऊंची इमारतों में से एक में 22 फ्लैट्स भी हैं।

 

जार्ज ने वैसे तो सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन ज़िंदगी में वो इस मुकाम पार पहुंच जाएंगे जब दुनिया की सबसे ऊँची बिल्डिंग बुर्ज खलीफा में उनके अपने नाम से 22 फ्लैट होंगे। सिर्फ इतना ही नहीं जान आज कई बड़ी और वैश्विक कंपनियों के मालिक भी हैं जिनका सालाना वर्गों का टर्नओवर है।

 

 

वह जियो ग्रुप ऑफ कंपनीज के फाउंडर नहीं है जो मिडिल ईस्ट सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। इसके जॉर्ज कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के दूसरे सबसे बड़े शेयरहोल्‍डर हैं. इसमें उनकी 14 फीसदी हिस्‍सेदारी है।

 

 

 

यह एयरपोर्ट भारत में पीपीपी (सरकारी-निजी हिस्‍सेदारी) मॉडल के तहत बनने वाला पहला एयरपोर्ट है. जार्ज की कहानी हम सबको सीख देती है कि हम भी चाहे तो ज़िंदगी में सब कुछ कर सकते है बस हौसले को अपने अंदर बचाकर रखना जरुरी है।


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