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तीन साल के भीतर बिजली के सभी मीटर स्मार्ट प्रीपेड मीटर में बदल दिए जाएंगे। स्मार्ट मीटर प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार के बिजली सुधार कार्यक्रम यानि रीवैम्प योजना में शामिल कर लिया गया है। केस्को में करीब 1600 करोड़ रुपये से बिजली सुधार के काम होने हैं।

इसमें स्मार्ट मीटर प्रोजेक्ट भी है। स्मार्ट मीटरों के संबंध में सभी एक्सईएन और उससे ऊपर के अभियंताओं को एनपीटीआई नई दिल्ली की टीम प्रशिक्षण दे रही है प्रशिक्षण में बताया जा रही कि प्रदेश में अभी जो स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के घरों और दुकानों में लगाए हैं, वे टू-जी नेटवर्किंग के हैं।

इनमें से 80 प्रतिशत मीटर अलग अलग डिवीजन के हैं। बता दे कि जो नए मीटर आएंगे, उनकी तकनीक भी पहले जैसी होगी। सिर्फ मॉडम टू जी से फोर जी तकनीक का होगा। इसमें फोरजी तकनीक वाले सिमकार्ड लगेंगे। इससे मीटरों की समस्याएं भी दूर होंगी। 14 जिलों के 65 लाख उपभोक्ताओं के घर, दफ्तर या अन्य प्रतिष्ठानों पर बिजली के प्रीपेड मीटर लगेंगे।

अभी 30 फीसदी बिल रहता है बकाया

आंकड़ों के अनुसार पीवीवीएनएल का उपभोक्ताओं पर औसतन 30 फीसदी बिजली बिल हर माह बकाया चलता रहता है। यह रकम करीब पांच हजार करोड़ के आसपास बैठती है। वहीं, लाइन लॉस का ग्राफ भी 25 फीसदी से कम नहीं हो पा रहा है। इन सभी पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने रीवैम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) चालू की है।

इतनी कीमत से खरीदे जाएंगे प्रीपेड मीटर

पीवीवीएनएल को मिले 13 हजार करोड़ में से करीब 3700 करोड़ रुपये बिजली के मीटर खरीदने पर खर्च होंगे। बिजली चोरी रोकने के लिए तारों की जगह लगाए जाने वाले एबी केबल और आर्म्ड केबल पर करीब 3600 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इससे बिजली व्यवस्था भी ठीक होगी। मीटर संबन्धित समस्या खत्म होंगी।


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