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India हर साल 4 december को Navy Day मनाता है। यह दिन 1971 के India Pakistan war के दौरान भारतीय नौसेना के ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट” की उपलब्धियों को याद करने के लिए मनाया जाता है।

इस मौके पर Prime Minister Narendra Modi ने रविवार को नौसेना दिवस पर नौसेना की सराहना करते हुए कहा कि उसने दृढ़तापूर्वक देश की रक्षा की है और कठिन समय में भी अपनी मानवीय भावना से अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

PM Modi tweeted, ”सभी नौसैनिकों और उनके परिवारों को नौसेना दिवस पर शुभकामनाएं। भारत में हमें आपके समृद्ध समुद्री इतिहास पर गर्व है।” उन्होंने लिखा, ”भारतीय नौसेना ने दृढ़तापूर्वक हमारे राष्ट्र की रक्षा की है और कठिन समय में भी अपनी मानवीय भावना से अपनी एक अलग पहचान बनाई है।”

क्या है ‘Trident Operation’

03 December 1971 की रात को Indian Navy की शिप मुंबई छोड़ रही थी, लेकिन उन्हें यह अंदाजा नहीं था कि पाकिस्तान की एक पनडुब्बी पीएनएस हंगोर उनपर हमला करने के लिए इंतजार कर रही है।

Pakistani submarine हमले की ताक में घूम रही थी। उसी बीच उसके एयरकंडीशनिंग में कुछ दिक्कत हुई और उन्हें सुमद्र की सतह पर आना पड़ा। उसी दौरान भारतीय नौसेना को अंदाजा हुआ कि पाकिस्तानी पनडुब्बी दीव के तट के इर्द गिर्द चक्कर लगा रही है।

उस समय Navy Chief Admiral SM Nanda के नेतृत्व में ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ का प्लान बनाया गया था। भारतीय जल सीमा घूम रही पाकिस्तानी पनडुब्बी को नष्ट करने का जिम्मा Anti Submarine Frigate INS Khukri और कृपाण कौ सौंपा गया। इस टास्क की जिम्मेदारी 25वीं स्क्वार्डन कमांडर बबरू भान यादव को दी गई थी।

‘Operation Trident’ के तहत 4 दिसंबर, 1971 को Indian Navy ने कराची नौसेनिक अड्डे पर भी हमला बोल दिया था। एम्यूनिशन सप्लाई शिप समेत कई जहाज नेस्तनाबूत कर दिए गए थे। इस दौरान पाकिस्तान की ऑयल टैंकर भी तबाह हो गए थे।

Indian Navy ने युद्ध पोषण के प्रयासों और महत्वपूर्ण सामानों को ले जाने वाले कई पाकिस्तानी जहाजों को डूबो दिया। आईएनएस विक्रांत के डेक से लड़ाकू विमानों ने चटगांव और खुलना में दुश्मन के काराची पोर्ट और हवाई क्षेत्रों पर हमला किया।

पाकिस्तान सेना की जहाजों, रक्षा सुविधाओं और प्रतिष्ठानों को नष्ट कर दिया था। इन मिसाइल हमलों और विक्रांत के हवाई हमलों के कारण कराची पोर्ट पर तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में पाकिस्तानी सेना की हार हुई थी।

कई दिनों तक कराची पोर्ट पर तेल के भंडार से आग की लपटें उठती रहीं, जिन्हें करीब 60 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता था। हालांकि इस जंग के दौरान भारतीय नौसेना का आईएनएस खुखरी भी पानी में डूब गया था और 18 अधिकारियों समेत करीब 174 नाविक मारे गए थे।


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