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ऐसी मान्यता है, हर 41 साल बाद यहां आते हैं पवनपुत्र हनुमान!

पवनपुत्र हनुमान के बारे में कहा जाता है कि वो अमर हैं। रामायण काल में जन्मे हनुमान सैकड़ों साल बाद महाभारत काल में भी जिंदा थे। कहा जाता है कि महाभारत की लड़ाई से ऐन पहले हनुमान जी पांडवों से मिलने आए थे। महाभारत की लड़ाई के सैकड़ों साल बाद डिजिटल युग में भी हनुमान जी के जिंदा होने की खबरे सामने आई है। बताया जा रहा है कि श्रीलंका के जंगलों में हनुमान जी की मौजूदगी के संकेत मिले है।

एक खबर के मुताबिक श्रीलंका के जंगलों में कुछ ऐसे कबीलाई लोगों का पता चला है जिनसे मिलने हनुमान जी आते हैं। जनजातियों पर अध्ययन करने वाले आध्यात्म‍िक संगठन सेतु के हवाले से यह सनसनीखेज खुलासा किया गया है। जिसमें कहा गया है कि हनुमान जी इस जनजाति के लोगों से मिलने आए थे। इसके बाद वे 41 साल बाद यानी 2055 में आएंगे।

इस कबीले का इतिहास रामायण काल से जुड़ा है। हनुमान जी को वरदान मिला था कि उनकी कभी मृत्यु नहीं होगी यानी वे चिरंजीवी रहेंगे। भगवान राम के स्वर्ग सिधारने के बाद हनुमान जी दक्ष‍िण भारत के जंगलों में लौट आए। उसके बाद समुद्र लांघा और श्रीलंका पहुंचे। उस समय हनुमान जी जब तक श्रीलंका के जंगलों में रहे, उन्होंने यह भी वादा किया कि वे हर 41 साल बाद इस कबीले की पीढियों को ब्रह्मज्ञान देने आएंगे। इस चौप्टर के जरिये खुलासा हुआ है कि किस तरह हनुमान जी कुछ समय पहले श्रीलंका के इस जंगल में आए थे। 27 मई 2014 हनुमान जी का इस जंगल में बिताया आखिी दिन था।