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शादियां तो आपने बहुत देखी होंगी लेकिन ऐसी शादी निश्चत तौर पर पहले कभी देखी-सुनी नहीं होगी. खरगोन के प्रेमनगर गांव में एक अनोखी शादी हो रही है. इसमें सिर्फ एक परिवार या कुटुंब नहीं बल्कि पूरा गांव खुशी खुशी शामिल है.

किसी ने रिश्ता तय किया. कोई मंडप लगवा रहा है तो किसी ने बाराती घराती का इंतजाम किया.खरगोन के प्रेमनगर में इन दिनों प्रेम की बयार बह रही है. गांव वाले प्रेम में मगन हैं. इसी प्यार के बंधन में बंधे गांव वाले यहां एक अनोखी शादी करवा रहे हैं.

वो एक बछड़ा बछड़ी की शादी करवा रहे हैं. यहां के दो परिवारों ने इन बछड़ा बछड़ी को अपनी संतान की तरह पाला है. इसलिए इनकी इच्छा थी कि संतान की तरह इनकी भी शादी हो. रिश्ता तय हुआ और अब बैंड बाजा बाराती सब तैयार हैं.

हल्दी-गणेश पूजन और मंडप
बछड़ा- बछड़ी की शादी धूमधाम और रीतिरिवाज से कराई जा रही है. दोनों परिवारों में हल्दी, गणेश पूजा, मंडप के साथ ही लग्न की परंपरा और रस्म निभाई जा रही है. ये अपने आप में अनोखा और यादगार आयोजन बनने जा रहा है.

इसमें घराती हैं प्रेमनगर के मुकेश दिवाले जिन्होंने अपनी बछड़ी (केडी) को बेटी की तरह पाला है. पेशे से मजदूर मुकेश ने अपनी बछड़ी का नाम लक्ष्मी रखा है. अब बकायदा बछड़ी की शादी बेटी की तरह ही कर रहे हैं.

लक्ष्मी को मिला नारायण
मुकेश दिवाले का कहना है गौमाता की रक्षा करना हमारा धर्म है. मैंने लक्ष्मी को बेटी की तरह पाला है. अब शादी भी सभी रस्मों के साथ कर रहा हूं. इन्होंने लक्ष्मी के लिए रिश्ता ढूंढा तो उन्हें नारायण मिल गया.

गांव की ही एक पेंशनर महिला ज्योति उन्हें मिलीं जिन्होंने अपने बछड़े को बेटे की तरह पाला है. ज्योति खुशी खुशी ये रिश्ता करने के लिए तैयार हो गयीं. उन्होंने नारायण का रिश्ता लक्ष्मी से तय कर दिया. ज्योति ने बताया कि वह विधवा होकर पति की पेंशन से भरण पोषण करती है.

बेटा था नहीं एक बेटी है जिसकी शादी हो चुकी है. इसलिए मैंने बछड़ा खरीदा उसे नारायण नाम दिया और उसे ही बेटा माना. मन में बेटे की शादी करने की इच्छा थी. सनातन धर्म के अनुसार बछड़े का विवाह कराकर वो मानो बेटे की शादी कर रही हैं.


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