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पद्मनाभस्वामी मंदिर: इस तहखाने के पीछे अकूत खजाना, मगर छुपा है गहरा राज

सुप्रीम कोर्ट ने देश के सबसे अमीर मंदिरों में शुमार तिरुवनंतपुरम का श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर (Padmanabhaswamy Temple) के प्रबंधन में त्रावणाकोर के पूर्व राजपरिवार के अधिकार को मान्यता दे दी है। साथ ही कोर्ट ने मंदिर के तहखाने (वॉल्ट बी) को खोला जाए या नहीं इसका फैसला एडमिनिस्ट्रेटिव व एडवाइजरी कमिटी पर छोड़ दिया है।
मंदिर (Padmanabhaswamy Temple) का तहखाना (वॉल्ट बी) किसी अनिष्ट के डर की वजह से बंद है। दरअसल मंदिर में 7 तहखाने हैं, जिसमें 6 खोले जा चुके हैं और उनमें बहुमूल्य आभूषण और कीमती चीजें मिली हैं। लेकिन सातवें दरवाजे को नहीं खोला जा सका।

सातवें दरवाजे को खोलने में कई तरह की परेशानियां समाने आईं थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक वॉल्ट बी के खुलने पर रोक लगा दी थी। आइए जानते हैं आखिर सातवें तहखाने में क्या राज छुपा हुआ है….

त्रावणाकोर के राजाओं ने बनवाया था मंदिर

भगवान विष्णु को समर्पित श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर (Padmanabhaswamy Temple) को 6वीं सदी में त्रावणाकोर के राजाओं ने बनवाया था। जिसका जिक्र 9वीं सदी के ग्रंथों में मिलता है। त्रावणाकोर राजघरानों ने भगवान पद्मनाभस्वामी को अपना जीवन और संपत्ति सब कुछ सौंप दिया था।

साल 1750 में महाराज मार्तेंड वर्मा ने खुद को पद्मनाभ दास बताया था। इसके बाद से राजघराना ही मंदिर (Padmanabhaswamy Temple) की देखरेख का काम करता है और मंदिर से एक कण तक अपने साथ नहीं ले जाते। बताया जाता है कि राजघराने के लोग आज भी मंदिर से निकलते समय पैर साफ करके निकलते हैं ताकि मंदिर का कण भी उनके साथ ना आ जाए।

मिले थे कई कीमती हीरे-स्टोन

पद्मनाभ स्वामी मंदिर के 6 तहखानों में अब तक 1,32,000 करोड़ की संपत्ति मिल चुकी है। इनमें भगवान विष्णु की साढ़े तीन फुट की एक सोने की मूर्ति मिली थी, जिनमें कीमती हीरे और पत्थर जड़े हुए थे। वहीं 18 फुट लंबी सोने की चेन भी मिली थी। साथ ही काफी मात्रा में हीरे और कीमती स्टोन प्राप्त हुए थे।

शापित माना जाता है सातवां दरवाजा

जैसे ही सातवें दरवाजे यानी वॉल्ट बी के पास पहुंचे तो दरवाजे पर बने कोबरा सांप के चित्र को देखकर काम को रोक दिया गया। लोगों में मान्यता है कि अगर सातवां दरवाजा खुला तो कुछ अशुभ घटना घट सकती है। मान्यताओं के अनुसार, त्रावणाकोर के राजाओं ने बेशकीमती खजाने को इस मंदिर के तहखाने और मोटी दीवारों के पीछे छुपाया था। जिसे हजारों सालों तक किसी ने खोला नहीं और इस तरह बाद में इस तहखाने को शापित माना गया।

दो सांप करते हैं दरवाजे की रक्षा

बताया जाता है कि एकबार किसी ने सातवें दरवाजे को खोलने की कोशिश की थी लेकिन जहरीले सांपों के काटने से उसकी मौत हो गई। दरअसल ये दरवाजा स्टील का बना हुआ है और इस पर दो सांप बने हुए हैं। जो इस दरवाजे की रक्षा करते हैं। इस दरवाजे में कोई नट-बोल्ट या ताला नहीं लगा हुआ है। कहा जाता है कि इस दरवाजे को नाग बंधम या नाग पाशम मंत्रों के प्रयोग से बांधा गया है।

मंत्रों से खुलता है मंदिर का दरवाजा

पद्मनाभ स्वामी मंदिर में सातवें तहखाने को गरुड़ मंत्र के सटीक मंत्रोच्चार करके ही खोला जा सकेगा। अगर मंत्र में कोई गलती हो गई तो उसकी मृत्यु निश्चित है। लेकिन ऐसा कोई सिद्ध पुरुष नहीं मिला जो इस मंदिर की गुत्थी को सुलझा सके। माना जाता है कि इस मंदिर में दो लाख करोड़ से अधिक मूल्य के आभूषण और कीमती खजाने हैं लेकिन इतिहासकार इससे कहीं अधिक मानते हैं।

आज तक बना हुआ है रहस्य

वैदिक साधना करने वाले कई साधु-संतों ने मंदिर का दरवाजा खोलने की कोशिश की लेकिन कोई भी सफल नहीं हो पाया है। सातवें दरवाजे के पीछे कितना धन है यह अलग बात है लेकिन इतना जरूर है कि यह दरवाजा आज तक रहस्य बना हुआ है। वहीं मान्यता यह भी है कि यह तहखाना भगवान के पास तक जाता है इसलिए भगवान भी नहीं चाहते कि यह दरवाजा खोला जाए।