FIFA World Cup 2022 Controversies
FIFA World Cup 2022 Controversies

Fifa 2022: फुटबॉल का सबसे बड़ा टूर्नामेंट फीफा विश्व कप 2022 (FIFA World Cup 2022) का आयोजन कतर में होना है। 20 नवंबर को कतर (Qatar 2022) की राजधानी दोहा में फीफा 2022 का पहला मैच खेला जाएगा। कतर फीफा विश्व कप का आयोजन करने वाला मध्य पूर्व अरब का पहला देश बन गया है।

हालांकि, कुछ वजहों से कतर और फीफा 2022 विवादों (FIFA 2022 Controversies) में घिर गया है। दरअसल, अरब देश कतर पिछले कुछ सालों से फुटबॉल विश्व कप के आयोजन की तैयारियों में लगा हुआ है। जहां टूर्नामेंट के सफल आयोजन के लिए स्टेडियम से लेकर काफी अन्य चीजों का निर्माण किया गया है।

इस निर्माण कार्य के दौरान कई मजदूरों की जान गई है, जिसे कतर सरकार अनदेखा कर रही है। कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि विश्व कप (Qatar 2022) की तैयारियों के दौरान हजारों प्रवासी मजदूरों की जान गई है, लेकिन कतर सरकार इसे मानने से इनकार करती है। कतर सरकार के लगातार इनकार करने के बावजूद (FIFA 2022 Controversies) विरोध बढ़ता जा रहा है।

डेनमार्क ने भी जताया विरोध

फीफा विश्व कप 2022 (FIFA 2022 Controversies) में हिस्सा ले रहे डेनमार्क ने भी इसके संकेत दे दिए हैं। डेनमार्क ने विश्व कप के लिए अपनी जर्सी का एलान किया, जो कि टूर्नामेंट के लिए निर्माण कार्य के दौरान मारे गए प्रवासी मजदूरों को समर्पित है।

डेनमार्क टीम के किट निर्माता हम्मेल ने ट्विटर पर जर्सी जारी करते हुए लिखा, “इस शर्ट के साथ एक संदेश है। हम ऐसे टूर्नामेंट के दौरान दिखाई नहीं देना चाहते हैं जिसमें हजारों लोगों की जान गई हो। हम हर तरह से डेनिश राष्ट्रीय टीम का समर्थन करते हैं, लेकिन यह एक मेजबान राष्ट्र के रूप में कतर का समर्थन करने जैसा नहीं है।”

हजारों मजदूरों की गई जान

कतर सरकार पर मजदूरों की सुरक्षा को लेकर काफी सवाल उठ रहे हैं। फरवरी 2021 में द गार्जियन की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका के 6,500 से अधिक प्रवासी मजदूरों की मृत्यु हुई है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक 2010 से हर हफ्ते औसतन 12 प्रवासी मजदूरों की मौत कतर में हो रही है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने भी नवंबर 2021 में अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि 50 मजदूरों की मौत हुई है। वहीं, 37,600 मजदूरों को हलकी से मध्यम चोटें आई हैं। जबकि 500 से अधिक मजदूर गंभीर रूप से घायल हुए। हालांकि, 2020 की एक रिपोर्ट में कतर की सरकार ने बताया था कि 2014 से 2020 के बीच विश्व कप स्टेडियम के निर्माण स्थलों पर 37 मजदूरों की मौत हुई है। जिसमें केवल 3 तीन मौतें “काम से संबंधित” थीं।

श्रम कानूनों के विरूद्ध हो रहा काम

कतर में सभी श्रम कानूनों को तात पर रखकर काम लिया जा रहा है। द गार्डियन के हवाले से दावा किया गया है कि वहां सप्ताह में छह दिन 12 घंटे की शिफ्ट पर काम करना पड़ता है। जिसमें ओवरटाइम के लिए कानूनी दर नहीं मिलती है।

मजदूरों को उनके श्रम शिविर में छह मजदूरों के साथ एक कमरा साझा करना पड़ता है, जो कि अवैध है। खाना भी ऐसा मिलता है जिसे कुत्ता भी नहीं खाए। इस सब के बावजूद मजदूर वहां काम करने को मजबूर हैं क्योंकि उन्हें काम की जरुरत है। नेपाल में एक मजदूर को औसतन दिन के 400 रूपए मिलते हैं, जबकि कतर में उनको इसका लगभग तीन गुना मिलता है।

एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से दो-तिहाई (66 प्रतिशत) और कम से कम एक विश्व कप मैच देखने वाले 72 प्रतिशत लोगों ने कहा कि फीफा के कॉर्पोरेट भागीदारों और प्रायोजकों को सार्वजनिक रूप से फीफा से उन प्रवासी श्रमिकों को मुआवजा देने के लिए कहना चाहिए जो विश्व की तैयारी के दौरान पीड़ित हुए।

इतना ही नहीं इस प्रोजेक्ट से जुड़े 30,000 प्रवासी मजदूरों के साथ किए जा रहे बर्ताव को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ा रहा है। साल 2016 में मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल ने क़तर पर मज़दूरों से जबरदस्ती काम कराने का आरोप लगाया था। आरोपों में यह भी कहा गया था कि बहुत से मज़दूरों से भारी भरकम रिक्रूटमेंट फीस ली गई थी और मज़दूरी को रोक दिया गया था, पासपोर्ट ज़ब्त कर लिए गए थे।

क्या एलजीबीटी समुदाय के लोगों के लिए सुरक्षित है?

क़तर एक रूढ़िवादी मुस्लिम देश है और यहां समलैंगिक संबंध अवैध हैं। एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों का समर्थन करने वाले समूहों ने टूर्नामेंट शुरू होने से से पहले फीफा और क़तर की आयोजन समिति को कुछ बदलाव करने के लिए कहा था।

इन बदलावों में समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने, क़तर में प्रवेश का अधिकार सुनिश्चित करने और एलजीबीटी से जुड़े मुद्दों की चर्चा पर पाबंदी नहीं लगाने की मांग शामिल है।

वहीं, क़तर वर्ल्ड कप के आयोजकों ने पहले कहा था कि सभी का स्वागत है लेकिन “समलैंगिकों और गैर-समलैंगिकों की तरफ़ से स्नेह का सार्वजनिक प्रदर्शन करना हमारी परंपरा का हिस्सा नहीं है।”

वहीं, कतर वर्ल्ड कप एंबेसडर और पूर्व फुटबॉलर खालिद सलमान ने समलैंगिकता को लेकर एक विवादित बयान दिया है। खालिद सलमान से कतर वर्ल्ड कप के दौरान विदेशों से आने वाले समलैंगिक फैंस से जुड़ा सवाल पूछा गया। इस पर सलमान ने जवाब दिया, ‘उन्हें यहां हमारे नियम मानने होंगे। समलैंगिकता हराम है। आप हराम का मतलब जानते हैं?’

जब एंकर ने खालिद सलमान से समलैंगिकता के हराम होने का कारण पूछा तो जवाब मिला, ‘मैं एक कट्टर मुस्लिम नहीं हूं लेकिन यह हराम क्यों है, इसके लिए मैं कहूंगा कि यह एक तरह की दिमागी गड़बड़ी है।’

गौरतलब है कि हाल ही में फीफा की आधिकारिक सूची में शामिल 69 होटल में से 3 ने गे कपल की बुकिंग खारिज कर दी है।


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