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भारत में हाल के सालों में हिंसा की घटनाओं में भारी कमी आई है। दरअसल यह दावा एक नई किताब में किया गया है। अमेरिका में रहने वाले दो राजनीति विज्ञानियों अमित आहूजा और देवेश कपूर की आगामी किताब ‘Internal Security in India: Violence, Order, and the State’में बताया गया है कि भारत में आतंकी घटनाओं में साल 2010 से अब तक 70 फीसदी की गिरावट आई है। किताब के अनुसार, भारत में बीते 20 सालों में हिंसा की घटनाओं में कमी आई है।

 

अपनी रिसर्च में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के प्रोफेसर अमित आहूजा और जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर देवेश कपूर ने बीते कई दशकों के आधिकारिक दस्तावेजों की जांच की, जिनमें राजनैतिक हिंसा, जातीय और धार्मिक हिंसा, आतंकवाद और राजनैतिक हत्याएं और विमान अपहरण जैसी घटनाओं का अध्ययन किया।

 

दस्तावेजों का अध्यनन करने पर दोनों ने पाया कि भारत में अब हिंसा की घटनाओं में कमी आई है। 1970 से लेकर 2000 के बीच देश में हिंसा की कई घटनाएं हुईं लेकिन उसके बाद से इसमें गिरावट देखी जा रही है।

किताब में बताया गया है कि भारत में साल 2002 के गुजरात दंगे के बाद से इतने बड़े पैमाने पर जातीय-धार्मिक हत्याएं नहीं हुई हैं। हालांकि 2013 में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और साल 2020 में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दंगे हुए थे लेकिन दावा किया गया है कि इन दोनों दंगों में कुल 90 लोगों की जान गई थी। जो यह बताता है कि भारत में अभी भी हिंसा के कारक मौजूद हैं। किताब में 1984 के सिख दंगे, 1983 में असम में बांग्लादेशी मुसलमानों के खिलाफ हुए दंगों का भी जिक्र किया गया है।

ग्लोबल टेरेरिज्म इंडेक्स 2020 के अनुसार, भारत में साल 2001 से लेकर अब तक आतंकी घटनाओं में 8,749 लोगों की जान गई है। हालांकि साल 2010 के बाद से इसमें गिरावट आई है। कश्मीर को अगर छोड़ दें तो भारत में 2010 के बाद से आतंकी घटनाओं में 70 फीसदी की कमी आई है।

 

किताब के अनुसार, 2000 से लेकर 2010 के बीच देश में 71 आतंकी घटनाएं हुईं, जो कि 2010 के बाद घटकर सिर्फ 21 रह गई हैं। देश में 1970 से लेकर 2002 गुजरात दंगे तक हिंदू मुस्लिम हिंसा काफी हुई। अब सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि फिलहाल देश में हिंदू मुस्लिम हिंसा की घटनाएं स्थिर हैं। साल 2017 से लेकर 2021 के बीच ऐसी 2900 से ज्यादा घटनाएं हुईं जो कि पहले के मुकाबले काफी कम हैं।

राजनैतिक हिंसा और राजनैतिक हत्या की घटनाओं में भी कमी आई है। मतदान केंद्रों पर होने वाली हिंसा में भी 70 फीसदी की गिरावट आई है।


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