Mahakal Lok
Mahakal Lok

महाकाल लोक (Ujjain Mahakal Lok) के पहले चरण का काम पूरी तरह से पूर्ण हो गया है। आज यानि 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) इसका लोकार्पण करेंगे। ऐसे में लोगों के बीच इस बात को लेकर उत्सुकता है कि महाकाल लोक की खासियत क्या है।

महाकाल लोक (Ujjain Mahakal Lok) का भव्य लुक अभी से भक्तों को आकर्षित कर रहा है। पहले इसका नाम महाकाल कॉरिडोर (Mahakal Corridor) था। उद्घाटन से पहले इसका नाम महाकाल लोक रख दिया गया था। दो चरणों में इसका काम पूर्ण होना है। महाकाल लोक की लागत 856 करोड़ रुपये है। महाकाल लोक में जितनी बिजली खर्च होगी, उसकी 90 फीसदी वहीं बनेगी। आइए आपको महाकाल लोक की सारी खासियत के बारे में बताते हैं।

महाकाल लोक के नाइट गार्डन (Mahakal Lok Night Garden) में भगवान शिव (Lord Shiva) की लीलाओं पर आधारित 190 मूर्तियां हैं। 108 स्तंभ स्थापित किए गए हैं, जिन पर भगवान शिव और उनके गणों की विभिन्न मुद्राएं बनी हुई हैं। पूरे परिसर में 18 फीट की 8 प्रतिमाएं हैं। इनमें नटराज, शिव, गणेश, कार्तिकेय, दत्तात्रेय अवतार, पंचमुखी हनुमान, चंद्रशेखर महादेव की कहानी, शिव और सती, समुद्र मंथन दृश्य इसमें शामिल है।

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23 प्रतिमाएं 15 फीट की

वहीं, परिसर में 23 प्रतिमाओं की ऊंचाई 15 फीट हैं। इनमें शिव नृत्य, 11 रुद्र, महेश्वर अवतार, अघोर अवतार, काल भैरव, शरभ अवतार, खंडोबा अवतार, वीरभद्र द्वारा दक्ष वध, शिव बारात, मणि भद्र, गणेश और कार्तिकेय से साथ पार्वती, सूर्य और कपालमोचक शिव शामिल हैं।

वहीं, 17 प्रतिमाएं 11 फीट की हैं। इनमें प्रवेश द्वार पर श्री गणेश, अर्द्धनारीश्वर, अष्ट भैरव, ऋषि भारद्वाज, वशिष्ठ, विश्वमित्र, गौतम, कश्यप, जमदग्नी शामिल हैं। 8 प्रतिमाएं महाकाल लोक में 10 फीट की है। इनमें लेटे हुए गणेश, हनुमान शिव अवतार, सरस्वती, लक्ष्मी, पार्वती, लकुलेश, पार्वती के साथ खेलते गणेश की प्रतिमा शामिल है।

इसके साथ ही महाकाल लोक में नौ फीट की 19 प्रतिमाएं हैं। इनमें यक्ष-यक्षिणी, सिंह, बटुक भैरव, सती, पार्वती, ऋषि भृंगी, विष्णु, नंदीकेश्वर, शिवभक्त, रावण, श्रीराम, परशुराम, अर्जुन, सती, ऋषि शुक्राचार्य, शनिदेव, ऋषि, दधिचि की प्रतिमाएं शामिल हैं।

ये हैं महाकाल लोक की विशेषताएं

महाकाल लोक (Mahakal Lok) में 26 फीट ऊंचा नंदी द्वार मुख्य आकर्षण का केंद्र है। इसके बाद शिवमय संकुल की भी अलग खासियत है। महाकाल संकुल को पूर्णता शिवमय सजाया गया है, इसमें कमल कुंड, सप्त ऋषि, मंडल, शिव स्तंभ, मुक्ताकाश रंगमंच का निर्माण प्रमुख है। पुराण प्रसिद्ध रुद्र सागर के तट विकास के साथ त्रिवेणी संग्रहालय का एकीकरण कर चारों ओर हरियाली भरा वातावरण रखा गया है। साथ में विशाल कॉरीडोर में 111 फीट लंबे संपूर्ण शिव विवाह के वृतांत को प्रदर्शित करते हुए म्यूरल पेंटिंग प्रदर्शित की गई हैं।

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शिव पुराण की कथाएं भी

वहीं, शिव अवतार वाटिका (Shiv Avatar Vakita) में भगवान शिव से जुड़ी कथाएं और विशाल प्रतिमाएं स्थापित की गई है। त्रिपुरारी महाकाल- महाकाल संकुल में भव्य मूर्तिशिल्प स्थापित की गई है। इसमें स्वयं ब्रह्मा जी रथ के सारथी हैं। यह संदेश देती है कि अधर्म पर सदैव ही धर्म की विजय होती है।

वहीं, कैलाश पर्वत और रावण साधना को भी दिखाया गया है। इसमें असुरराज रावण ने कठोर तप करके महादेव को प्रसन्न किया था। इस प्रसंग को भी प्रतिमा में दर्शाया गया है। नृत्य करते गजानन को भी दिखाया गया है। मौन साधना करते सप्तऋषि की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं।

रुद्र सागर का कायाकल्प

इसके साथ ही महाकाल मंदिर रुद्र सागर के तट पर है। यह सरोवर उज्जैन के सात सरोवरों में से प्रमुख है, अब इसमें श्रद्धालु नौका विहार का आनंद भी ले सकेंगे। संहारक महादेव की प्रतिमा भी यहां स्थापित की गई है। ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की है।

108 विशाल स्तंभ

महाकाल प्रांगण में 108 विशाल स्तंभ बनाए गए हैं। इन पर महादेव के परिवार के चित्र उकेरे गए हैं। यह चित्र भी प्रतिमा के स्वरूप बने हैं और इनमें शिव, शक्ति, कार्तिकेय और गणेश की लीलाओं का वर्णन है। इसके साथ ही श्रद्धालुओं को मंदिर जाने में सुगमता के लिए 900 मीटर लंबा महाकालेश्वर पथ बना है, यहां से भक्त पैदल और वोल्फ कोर्ट से जा सकेंगे। परिसर के अंदर एक सर्व सुरक्षित संकुल का निर्माण किया गया है। इससे महाकाल मंदिर में जाने वालों की निगरानी के लिए वॉच टॉवर स्थापित किया गया है।

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नवग्रह वाटिका

वहीं, नवग्रह वाटिका (Navagrah Vatika) में मुक्ताकाश रंगमंच, स्वागत संकुल की दुकानें, त्रिपुरासुर वध, शिवपुराण आधारित भित्ति चित्र दीवार अपनी मनमोहक आभा बिखेर रही हैं। वहीं, पूरे परिसर में किसी गाइड की आवश्यकता नहीं होगी। मूर्तियां स्वयं इतिहास की जानकारी देंगी। इसके लिए आपको बारकोड को स्कैन करना होगा।

देश का पहला नाइट गार्डन यहां

वहीं, महाकाल लोक में लगभग दो लाख लोग एक साथ दर्शन कर सकेंगे। साथ ही देश का पहला नाइट गार्डन यहां बनवाया गया है। रात में इसकी भव्यता देखते बनती है।

ये हैं महाकाल लोक की खासियत

महाकाल लोक (Mahakal Lok) मंदिर देश के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है, जिसके प्रांगण को आधुनिक रूप दिया गया है। धरती पर यहां देवलोक जैसा आभास होगा। महाकाल लोक में स्थापत्य कला, संस्कृति और आध्यात्मिक भाव को अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया गाय है। पूर्व में मंदिर का क्षेत्रफल 2.82 हेक्टेयर था, जो परियोजना पूर्ण होने के पश्चात बढ़कर 20.33 हेक्टेयर हो गया है।

25 फीट ऊंची लाल पत्थर की दीवारों पर शिवमहापुराण में उल्लेखित घटनाओं को भित्ति चित्र के रूप में उत्कीर्ण किया है। कमल कुंड, पंचमुखी शिव स्तंभ, सप्त ऋषि, त्रिवेणी मंडपम में बनकर तैयार हुआ है। महाकाल लोक परिसर में वैदिक घड़ी भी लगाई जा रही है।


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