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INS Vagsheer का नाम सुनते ही भारत के दुश्मन देशों में मची खलबली, तबाही मचाने आई सबसे खूंखार पनडुब्बी

भारत के दुश्मनों की नींद उड़ाने के लिए देश की समुद्र सीमा को अभेद्य और अखंड रखने वाला अबतक की सबसे आधुनिक सबमरीन्स में से एक INS वागशीर भारतीय नौसेना के जंगी बेड़े में जल्द शामिल होने वाला है। आखिर इस सबमरीन की क्या खासियत है और इसे क्यों सायलेंट किलर कहा जाता है, आइये जानते हैं…

कैसा है पनडुब्बी का डिजाइन?

प्रोजेक्ट 75 के तहत बनाई गई यह सबमरीन कलवरी श्रेणी की आखरी सबमरीन है। यह कलवरी क्लास की डिजल इलेक्ट्रिक सबमरीन है। इस सबमरीन की लंबाई करीब 221 फिट है और ये करीब 40 फिट उंची है। इस सबमरीन में 360 बैटरी सेल्स लगे हैं। मुंबई के मंझगांव डॉक पर बनी इस सबमरीन का 40 फिसदी से ज्यादा हिस्सा आत्मनिर्भर भारत के तहत बनाया गया है। 

कितनी है पनडुब्बी की रफ्तार?

पानी की सतह पर ये पनडुब्बी करीब 20 KM प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है जबकि पानी के भीतर इस सायलेंट किलर की रफ्तार करीब 37 KM प्रति घंटे होती है। ये पनडुब्बी समुद्र तह में 350 फीट तक की गहराई में जाकर दुश्मन का पता लगा सकती है। सबसे अहम, घात लगाकर चुपचाप समुद्र में करीब 50 दिनों तक ये सबमरीन लगातार रह सकती है। इन सबमरीन की रेंज इनकी गति के मुताबिक तय होती है। 

किन घातक हथियारों से लैस INS वागशीर?

दुश्मनों को खाक करने के लिए इस सबमरीन में घातक हथियार लगे हुए हैं। इस सबमरीन में 533 MM के 6 टॉरपीडोस ट्युब्स हैं। किसी भी बड़े ऑपरेशन के दौरान ये सायलेंट किलर अपने साथ 18 टॉरपीडोस या फिर SM39 एंटी शीप मिसाइल ले जा सकती है। दुश्मनों की सबमरीन्स, वॉरशिप को ध्वस्त करने के लिए समुद्र में माइन्स बिछाने का माद्दा भी वागशीर में है। एक साथ करीब 30 माइन्स INS वागशीर बिछा सकती है।

क्यों कहा जाता है इसे सायलेंट किलर?

अपने एडवांस सिस्टम की वजह से ये किलर सबमरीन बिना आवाज किए समुद्र में चलती है। स्टील्थ टेक्नोलॉजी की वजह से ये दुश्मनों के रडार की पकड़ में नहीं आती है। इस सबमरीन में दो एडवांस पेरिस्कोप भी लगे हुए है। आधुनिक नेविगेशन और ट्रैकिंग प्रणालियों ले लैस INS वागशीर किसी भी मौसम में कार्य करने में पूरी तरह सक्षम है।

कौन से मिशन अंजाम तक पहुंचा सकती है वागशीर?

हर प्रकार के मिशन को अंजाम देने में INS वागशीर को महारत हासिल है। खासतौर पर एंटी सबमरीन वॉरफेअर, सतह विरोधी युद्ध, खुफिया जानकारी इकठ्ठा करना, माइन्स बिछाना जैसे हर काम में वागशीर का कोई सानी नहीं है। नौसेना के अन्य युद्धपोतों से संपर्क करने के लिए इस सबमरीन में कम्युनिकेशन के एडवांस सिस्टम लगे हुए हैं। 

पनडुब्बी में कैसी होती है जवानों की जिंदगी?

इस पनडुब्बी में एक वक्त में 6 अधिकारी और 35 सेलर तैनात किए जा सकते हैं। इस सबमरीन में काम के घंटे तय होते हैं। हर जवान और अधिकारी 3-3 घंटे की ड्युटी करते हैं और फिर 6 घंटे का ब्रेक लेते हैं। जवानों और अधिकारियों के आराम करने के लिए छोटे छोटे कंपार्टमेंट होते हैं। सबमरीन में जगह कम होने की वजह से कई बातों का ख्याल रखना पड़ता है। सबमरीन में किचन को गैली कहा जाता है। खाना बनाते वक्त जवान छौंका नहीं लगा सकतें है क्योंकि, धुंआ बाहर नहीं जा सकता है। 

बता दें कि 20 अप्रैल को INS वागशीर का जलांतरण होने वाला है। इसके बाद एक साल तक इस सबमरीन का सी-ट्रायल किया जाएगा। मार्च 2024 तक इस पनडुब्बी को भारतीय नौसेना को सौंपने का लक्ष्य रखा गया है। इस पनडुब्बी के जंगी बेड़े में शामिल होने से समुद्र सीमा की सुरक्षा और मजबूत होगी।