आजमगढ़ और रामपुर की हार से लोकसभा में अपने सबसे कम स्कोर पर सपा

भाजपा ने आजमगढ़ और रामपुर में समाजवादी पार्टी का किला ढहा दिया है। उपचुनावों में हार के बाद समाजवादी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। ये दो सीटें गंवाने के बाद अखिलेश यादव की नेतृत्व वाली पार्टी का लोकसभा में स्कोर बहुत कम हो गया है। समाजवादी पार्टी लोकसभा में अब तक के सबसे निचले स्कोर पर पहुंच गई है। पार्टी के केवल तीन सदस्य ही लोकसभा में बचे हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि 2024 का आम चुनाव भी सपा के लिए आसान नहीं होने वाला है।

2017 में अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की कमान अपने हाथ में ली थी। इसके बाद उन्हें पार्टी के अंदर और बाहर काफी आलोचना का सामना करना पड़ा। चुनाव प्रचार करने के लिए अखिलेश यादव रामपुर और अपनी पुरानी सीट आजमगढ़ भी नहीं पहुंचे। इसपर पार्टी के सहयोगी दल ही अखिलेश की आलोचना कर रहे थे। अखिलेश यादव ने आजमगढ़ में 2019 में जीत दर्ज की थी। इससे पहले मुलायम सिंह यादव यहां से 2014 में जीते थे।

बीते दिनों सपा के सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर ने भी अखिलेश यादव को लेकर बहुत कुछ कहा था। राजभर धर्मेंद्र यादव के प्रचार के लिए आजमगढ़ में लंबे समय तक लगे हुए थे। उन्होंने कहा था कि अखिलेश यादव एसी रूम में बैठे हैं और बाहर नहीं निकला चाहते हैं।

रामपुर में आजम खान पूरी ताकत झोंक रहे थे। हालांकि सपा प्रत्याशी के चुनाव हारते ही सवाल उठने लगे कि आखिर अखिलेश यादव इन सीटों पर प्रचार करने क्यों नहीं पहुंचे। लोगों का कहना हैकि अगर मुलायम सिंह और शिवपाल आज साथ होते और यहां प्रचार में उतरे होते तो परिणाम कुछ और होता।

हार के बाद आजमगढ़ से सपा उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव ने कहा, इसके पीछे कोई वजह या रणनीति हो सकती है कि अखिलेश यादव प्रचार करने नहीं आए। यह हमेशा जरूरी नहीं होता कि पार्टी का अध्यक्ष ही उपचुनाव में प्रचार करने आए। वह पार्टी के अध्यक्ष हैं और काबिल हैं। वह और भी कई कामों में व्यस्त रहते हैं। बता दें कि धर्मेंद्र यादव भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ से 8679 वोटों से हार गए।