शिया ओलमा और लीडर्स का एक प्रतिनिधिमंडल रविवार को कमिश्नर श्री डी के ठाकुर साहब से मिला। लखनऊ कमिश्नरेट के ज़ेरे इंतिज़ाम लखनऊ मे पहली बार जुलूस उठाए गए थे। जुलूसों की शानदार व्यवस्था और सख़्त क़ानून के पालन ने जुलूसों को अभूतपूर्व शान ओ शौकत प्रदान की जिस पर लखनऊ के शिया ओलमा और उनके समर्थकों ने पुष्प गुच्छ देकर कमिश्नर का शुक्रिया अदा किया।
इससे पहले शनिवार को सुबह पुराने लखनऊ में ताबूत जुलूस उठकर जुलूस निकाला गया। बड़ी तादात में शिया समाज से जुड़े हुए लोग शामिल हुए एक सौ बावन वर्षीय पुराना है ताबूत का जुलूस 1870 से उठता आ रहा है। हसन मिर्ज़ा का यह जुलूस-ए-ताबूत बताते चलें हज़रत अली अ०स० प्राफिट मोहम्मद साहब के दामाद और अबू तालिब के पुत्र थे। जुलूस में लाखों की संख्या में शिया समुदाय के साथ हर धर्म के लोग करते हैं। शिरकत इस जुलूस में बड़ी संख्या में महिलाए और बच्चे शिरकत कर हज़रत अली को देते है। विदाई हजरत अली ने अपना जीवन जन सेवा में बिताया और उनकी जनसेवा में कभी मज़हब देखकर कोई काम नहीं किया,रात के अंधेरे में जब लोग सो रहे होते थे।
तब अपनी रियाया की छुपकर गरीबों की मदद एवं उनको खुद रोटी पहुंचाया करते थे। थाना सआदतगंज से जुलूस रोजा.ए.काजमैन से शुरू होकर गिरधारा सिंह स्कूल,मंसूर नगर चौराहां, बल्लौचपूरा चौराहा,बाजारखाला,एवरेडी चौराहा होते हुए तालकटोरा कर्बला पहुँच कर संपन्न हुआ।
ताबूत जुलूस में अल्लाह के आखिरी नबी हजरत मोहम्मद साहब के जानशीन पहले इमाम हजरत अली अलैहिस्सलाम की शहादत पूरे शहर में मनाई जाती है।नजफ इमाम बाड़े में मौलाना यासूब अब्बास ने हजरत अली की शहादत का मंज़र बयान किया तो वहां मौजूद हजारों गमजदा अजादार अपने आंसू रोक नहीं पाए । मुख्तसर मजलिस के बाद अज़ादार हजरत अली के ताबूत को अपने कांधे पर लेकर या अली मौला हैदर मौला की सदाओं के साथ लेकर आगे बढ़े ।
कोरोना वायरस की वजह से पिछले 2 सालों से कोई भी जुलूस नहीं निकाला गया था लगातार दो साल के बाद आज हजरत अली के ताबूत का जुलूस गमजदा माहौल में कड़ी सुरक्षा के बीच शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हो गया । 5 किलो मीटर जुलूस के रास्ते पर था सुरक्षा कर्मियों का सख्त पहरा था
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