देश के कुछ हिस्सों में प्याज(onion) की बढ़ती कीमतों को काबू में करने के लिए केंद्र सरकार अपने बफर स्टॉक से करीब 50000 टन प्याज(onion) दिल्ली और गुवाहाटी जैसे कुछ शहरों में उतारेगी। दिल्ली-गुवाहाटी समेत कुछ शहरों में प्याज(onion) की कीमतें अखिल भारतीय औसत दरों से थोड़ी अधिक हैं। केंद्र सरकार के बफर स्टॉक प्याज(onion) को बाजार में उतराने की वजह से आम जनता को भी थोड़ी राहत मिल सकती है।
प्याज(onion) की कीमतों को स्थिर करने के लिए केंद्र 2.5 लाख टन प्याज का बफर स्टॉक बनाए हुए है। सूत्रों ने बताया कि उपभोक्ता मामलों का विभाग अपने बफर स्टॉक से 50,000 टन प्याज(onion) दिल्ली और गुवाहाटी जैसे शहरों को बेचेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे कई शहर हैं जहां कीमतें अखिल भारतीय औसत दरों से अधिक हैं। प्याज की अखिल भारतीय औसत कीमत मंगलवार को 26 रुपए प्रति किलो थी।
राज्यों को ऑर्डर देने के लिए लिखा
सूत्रों ने कहा कि विभाग ने सभी राज्यों को प्याज(onion) की जरुरत होने पर ऑर्डर देने के लिए लिखा है। केंद्र प्याज 18 रुपये किलो के आसपास दे रहा है। वर्ष 2020-21 में प्याज का उत्पादन 266.41 लाख टन और खपत 160.50 लाख टन रही थी। इसकी खराब होने वाली प्रकृति और रबी और खरीफ फसलों के बीच अंतर के कारण, प्याज(onion) की कीमतें सितंबर से दिसंबर के कमी के महीनों के दौरान बढ़ जाती हैं।
नुकसान की समस्या को दूर करने के लिए प्रोग्राम
प्याज की फसल की कटाई के बाद के नुकसान की समस्या को दूर करने के लिए, विभाग ने वैज्ञानिक समुदाय, शोधकर्ताओं और स्टार्टअप के लिए एक हैकथॉन-ग्रैंड चैलेंज शुरू किया है ताकि प्याज की कटाई के बाद भंडारण के लिए एक प्रोटोटाइप के विचार और विकास की तलाश की जा सके।
इंदौर के जेपी नगर में किसानों ने सड़क पर फेंकी थी प्याज़(onion)
इस साल प्याज़(onion) -लहसुन उत्पादक किसानों की हालत बहुत ख़राब है। फसल का लागत मूल्य भी नहीं निकलने से आक्रोशित किसान अपनी फसल ट्रालियों में भरकर सड़क किनारे फेंक रहे हैं। किसानों ने सरकार से प्याज़-लहसुन का मूल्य निर्धारित करने की मांग की है ,अन्यथा आंदोलन किया जाएगा। सुनवाई नहीं होने पर किसान इसका जवाब आगामी चुनाव में देंगे।
देपालपुर तहसील प्याज(onion) -लहसुन उत्पादक क्षेत्र बन गया है। आसपास के कई किसानों ने इस साल बड़े क्षेत्र में प्याज व लहसुन की खेती की है , लेकिन उचित भाव नहीं मिलने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि एक ओर प्रधानमंत्री ने 2022 में किसानों की आय दोगुना करने का वादा किया था ,वहीं दूसरी ओर किसानों का प्याज -लहसुन का लागत मूल्य भी नहीं निकल पा रहा है। ऐसे में आय दोगुनी होना सम्भव नहीं है। इन दिनों बड़ी प्याज 8 से 10 रु किलो और लहसुन 200 से 1000 रु क्विंटल ही बिक रही है, जबकि बिजाई से लेकर निकालने तक 40 हजार रुपये तक खर्च आता है।
लहसुन एक बीघे से 40 कट्टे निकलते हैं,जो 20 हजार रुपए की बनती है जिसमें 20 हजार रु का नुकसान होता है। इसी तरह प्याज़ में 50 हज़ार का खर्च आता है, जिसमें कल्टीवेटर ,रोटावेटर ,बीज ,चौपाई ,खाद,डीएपी , खरपतवारनाशक , सिंचाई ,निंदाई ,छंटाई ,भराई ,भाड़ा और हम्माली का खर्च शामिल है। जबकि अभी इनका लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है , इसलिए मायूस कई किसान प्याज व लहसुन नाले व सड़क के किनारे ट्रालियों में भर -भर कर फेंक रहे हैं।