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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर अवैध निर्माणों पर कहर बनकर टूट रहा है। इसी कड़ी में गाजियाबाद के कैला भट्टा में रेलवे के जमीन पर बने करीब 150 मकानों पर नोटिस चस्पा किए गए हैं। बताया जा रहा है कि ये मकान रेलवे की जमीन पर सालों से बने हैं। पूर्व में कई बार रेलवे इन मकानों को खाली करने की कोशिश कर चुका है। वहीं, अब नोटिस चस्पा होने के बाद स्थानीय निवासियों में हड़कंप मचा हुआ है।

बताया जा रहा है कि 1943 में रेलवे ने इस लाइन को बंद कर दिया था। कुछ दिनों तक यहां शंटिंग चलती रही, लेकिन फिर यहां कोई गतिविधि नहीं की गई तो खाली जमीन पर लोगों ने मकान, दुकान और गोदाम बना लिए और तभी से यहां पर यह सभी परिवार रह रहे हैं। अचानक मकानों के बाहर नोटिस चस्पा होते ही सभी लोगों की नींद उड़ गई है।

जानकारी के मुताबिक, 2011 में रेलवे ने इस जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए अभियान चलाने की घोषणा की थी, लेकिन लोगों के भारी विरोध के कारण तब अभियान शुरू नहीं हो पाया था। अब रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों ने आरपीएफ के साथ मकानों पर नोटिस चस्पा किए हैं।

रेलवे की तरफ से गुरुवार को इन्हें बुलाया गया था। रेलवे के अधिकारियों के बुलावे पर बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष रेलवे के कार्यालय पहुंचे। जहां रेलवे के अधिकारियों ने सभी लोगों से पूछा कि आपके पास क्या-क्या दस्तावेज हैं?

70 साल से रह रहे हैं यहां

छोटा कैला भट्टा मरकज रोड पर बसे हुए लोगों का कहना है कि आजादी के पहले से हम और हमारे दादा, परदादा यहां पर बसे हुए हैं। 70 साल से ज्यादा पुराना हमारे पास निवास प्रमाण पत्र इसी एड्रेस के हैं। जब रेलवे को पता था कि यह जमीन रेलवे की है, तब रेलवे ने अपना कोई बोर्ड यहां पर क्यों नहीं लगाया?

लोगों का यह भी कहना है प्रधानमंत्री आवास योजना का भी लाभ इन मकानों को दिया गया है। ज्यादातर मकान मालिक और टैक्स बिजली का बिल 70 साल से जमा कर रहे हैं।

रातों की नींद और भूख हुई गायब

छोटा कैला भट्टा मरकज रोड के लोगों का रेलवे के ऊपर यह भी आरोप है कि आखिर 70 सालों से रेलवे कौन सी नींद में सो रहा था। जब यहां पर मकान गोदाम बना रहे थे। अब रेलवे ने सभी को नोटिस दे दिया है और कहा गया है कि जल्द से जल्द मकानों को खाली करें। लोगों का कहना है कि मोदी जी हमारे साथ इंसाफ करो, हमने दोबारा से उत्तर प्रदेश के अंदर भाजपा की सरकार इसी वजह से बनाई है कि हमको इंसाफ मिल सके।

जल्द ही चल सकता है बुलडोजर

लोगों का कहना है कि अब ना रात को नींद आती है और ना ही भूख लगती है। क्योंकि हमारे पास इसके अलावा रहने के लिए कोई जगह नहीं है। अगर हमारे घर तोड़ दिए गए तो हम सड़कों पर आ जाएंगे। कैसे बच्चों की परवरिश करेंगे? कैसे बच्चों को पढ़ा पाएंगे?

बहरहाल जिस तरह की स्थिति अभी यहां बनी हुई है। उससे साफ तौर पर लगता है कि यहां पर बनाए गए रेलवे की जमीन में डेढ़ सौ मकानों पर बाबा का बुलडोजर जल्द ही गरज सकता है।


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