Morbi Bridge PM Modi jpg
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पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मोरबी में पुल हादसे (Morbi Bridge) वाली जगह का दौरा किया है। इस दौरान उन्होंने घटना वाले दिन को लेकर अधिकारियों से बात भी की। बता दें कि रविवार की शाम मोरबी में हुए पुल हादसे में 140 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।

मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :

  • पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi) मोरबी में पुल हादसे (Morbi Bridge) वाली जगह पहुंच चुके हैं। घटनास्थल का दौरा करने से पहले उन्होंने इस दुर्घटना को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक भी की। पीएम ने अस्पताल जाकर घायलों से भी मुलाकात की।
  • अंग्रेजों के जमाने का यह पुल, जिसे कई महीने की मरम्मत के बाद खोला गया था। बीते रविवार को टूट गया था। इस घटना में 47 बच्चों समेत 130 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
  • पुलिस के अनुसार जिस समय यह पुल टूटा था उस समय उसपर 500 से ज्यादा लोग सवार थे। जबकि इस पुल की क्षमता महज 125 लोगों के भार उठाने की थी।
  • इस पुल को ओरेवा कंपनी द्वारा मरम्मत करने के बाद खोला गया था। इस ब्रिज को खोलने से पहले प्रशासन से फिटनेस सर्टिफिकेट तक नहीं लिया गया था।
  • ओरेवा कंपनी को इस पुल की मरम्मत के लिए इसे आठ से 12 महीने तक बंद रखने वाला था। लेकिन लापरवाही की वजह से उन्होंने इसे कुछ महीने की मरम्मत के बाद ही खोल दिया।
  • रविवार को इस पुल को देखने के लिए 400 से ज्यादा लोगों का टिकट काटा गया था। टिकट की कीमत 12 और 17 रुपये रखी गई थी।
  • गुजरात की फॉरेंसिक लैब के अनुसार जांच में पता चला है कि यह ब्रिज इसलिए टूटा क्योंकि एक समय पर इसपर जरूरत से ज्यादा लोगों को चढ़ा दिया गया था।
  • सूत्रों के अनुसार इस पुल की मरम्मत के दौरान ओरेवा कंपनी ने इसके पुराने केबल को भी नहीं बदला था।
  • इस घटना के बाद पुलिस ने ओरेवा कंपनी के दो अधिकारियों समेत कुल 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
  • इस पुल के टूटने का एक वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमे पुल टूटने के बाद उसपर सवाल लोग एक के ऊपर एक गिरते दिख रहे हैं।

140 साल से भी ज्यादा पुराना है ब्रिज

मोरबी का यह सस्पेंशन ब्रिज 140 साल से भी ज्यादा पुराना है और इसकी लंबाई करीब 765 फीट है। यह सस्पेंशन ब्रिज गुजरात के मोरबी ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक धरोहर है। इस ब्रिज का उद्घाटन 20 फरवरी 1879 को मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था। यह उस समय लगभग 3।5 लाख की लागत से बनकर तैयार हुआ था। उस समय इस पुल को बनाने का पूरा सामान इंग्लैंड से ही मंगाया गया था। इसके बाद इस पुल का कई बार रेनोवेशन किया जा चुका है। हाल ही में दिवाली से पहले इसके मरम्मत का काम 2 करोड़ की लागत से किया गया था।

मोरबी के राजा इसी पुल से दरबार जाते थे

ब्रिज का निर्माण मोरबी के राजा प्रजावत्स्ल्य सर वाघजी ठाकोर की रियासत के दौरान हुआ था। उस समय राजा राजमहल से राज दरबार तक जाने के लिए इसी पुल का इस्तेमाल करते थे। राजशाही खत्म होने के बाद इस पुल की जिम्मेदारी मोरबी नगर पालिका को सौंप दी गई थी। लकड़ी और तारों से बना यह पुल 233 मीटर लंबा और 4.6 फीट चौड़ा है।

पीएमओ ने मृतकों के परिजन के लिए सहायता का ऐलान किया है। राज्य की ओर से मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने मृतक के परिजन को चार-चार लाख रुपये सहायता का ऐलान किया है। हादसे के कारणों की जांच के लिए 5 सदस्यीय SIT बनाई गई है।

पुल का उद्घाटन बीते 26 अक्टूबर को हुआ था। 140 साल पुराने इस पुल का कुछ ही दिनों पहले जीर्णोद्धार कराया गया था। एक रिपोर्ट के अनुसार रिन्यूवल के लिए सरकार ने टेंडर, ओधवजी पटेल के स्वामित्व वाले ओरेवा समूह को दी गई थी।

मृतकों को दो-दो लाख की आर्थिक सहायता

प्रधानमंत्री कार्यालय से मोरबी पुल हादसा में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति को दो-दो लाख रुपये की सहायता प्रधानमंत्री राहत कोष से दिया जाएगा। इस हादसा में घायलों को पचास-पचास हजार रुपये पीएमएनआरएफ से दिया जाएगा। वहीं, CM पटेल ने भी मृतकों के आश्रितों को 4 लाख और घायलों को 50 हजार देने की घोषणा की।

ओरेवा ग्रुप के पास है मेंटेनेंस का काम

ब्रिज के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप के पास है। इस ग्रुप ने मार्च 2022 से मार्च 2037 यानी 15 साल के लिए मोरबी नगर पालिका के साथ एक समझौता किया है। ग्रुप के पास ब्रिज की सुरक्षा, सफाई, रखरखाव, टोल वसूलने, स्टाफ का प्रबंधन है।


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