उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी के कद्दावर नेता रहे रामवीर उपाध्याय 25 वर्षों तक ब्रज में बसपा की ब्राह्मण राजनीति का बड़ा चेहरा रहे। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का खास माना जाता था। जिसके दम पर उन्होंने पहले हाथरस और फिर आगरा में अपनी जमीन बनाई और फिर गहरी जड़ जमाई थी।
1996 से 2017 तक लगातार चार बार जिसमें 2 बार हाथरस, फिर सिकंदरा राऊ व सादाबाद से विधायक चुनाव जीत कर लखनऊ पहुँचे। उन्होंने हाथरस में अपने भाइयों व सगे सम्बंधियों को भी राजनीति में उतारा। उन पर भाई भतीजावाद के आरोप भी लगते रहे। 2009 से 2014 तक पत्नी सीमा उपाध्याय को बसपा से फतेहपुर सीकरी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाया और सपा के राज बब्बर को हराकर पत्नी को सांसद बनाया था। रामवीर को पंचायत चुनाव में महारथ हासिल थी। 2007 के चुनाव में जब बसपा की सोशल इंजीनियरिंग सफल हुई तो सरकार में उनका कद बड़ा।
मायावती ने कैबिनेट मंत्री के रूप में ऊर्जा, चिकित्सा शिक्षा, परिवहन व ग्रामीण समग्र विकास जैसे विभागों का मंत्री बनाया। 2019 लोकसभा चुनाव के समय रामवीर का बसपा से मोहभंग हो गया। भाजपा अध्यक्ष के रूप में 2019 में अमित शाह जब आगरा आए तो रामवीर ने आगरा कॉलेज मैदान पर उनके साथ मंच साझा किया था। लेकिन विधिवत भाजपा की सदस्यता नहीं ली
उस दौरान चर्चा थी कि वह पत्नी सीमा को फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ाना चाहते हैं, लेकिन भाजपा ने यहां जाट कार्ड पर ही भरोसा जताया। राजकुमार चाहर को प्रत्याशी बनाया
2019 चुनाव के बाद बसपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था। तीन साल बाद रामवीर ने बसपा से इस्तीफा दे दिया। विधान सभा चुनाव 2022 में भाजपा के टिकट पर सादाबाद से चुनाव लड़ा। कांटे की टक्कर में करीब सात हजार वोट से सपा रालोद गठबंधन प्रत्याशी प्रदीप चौधरी उर्फ गुडू से हार गए थे l
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