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भारतीय सेना ने बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में सीमावर्ती क्षेत्रों में 130 गांवों की पहचान की है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के निकट चीन नागरिक बस्तियों को बढ़ रहा है। इस लेकर चिंता बढ़ी है। इसी की पृष्ठभूमि में सेना की पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

लेफ्टिनेंट जनरल कलिता ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि एलएसी से 100 किलोमीटर के भीतर किसी भी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अनुमोदन प्रदान करने के वास्ते एक प्रकार की ‘एकल खिड़की प्रणाली’ के लिए प्रयास चल रहे हैं। कारण है कि विभिन्न नियामक मंजूरी प्राप्त करने में प्रमुख परियोजनाओं के कार्यान्वयन में देरी होती है।

 

कमांडर ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में एलएसी के साथ लगने वाले कई क्षेत्र पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों, वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों और आरक्षित वनों के अंतर्गत आते हैं। परियोजनाओं के लिए विभिन्न स्वीकृतियां प्राप्त करना कई बार चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

 

उन्होंने कहा, ‘हम एलएसी से 100 किलोमीटर के भीतर आने वाले किसी भी बुनियादी ढांचे के लिए एकल खिड़की मंजूरी की एक पद्धति विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि इसका मकसद विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन की गति को तेज करना है।

वहीं, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम सेक्टर में एलएसी की निगरानी करने वाली पूर्वी कमान के कमांडर ने कहा कि चीन की सीमा से लगे प्रमुख इलाकों में सड़क और दूरसंचार नेटवर्क विकसित करने के लिए काफी काम चल रहा है।

एलएसी के साथ आदर्श गांवों के विकास पर लेफ्टिनेंट जनरल कलिता ने कहा कि योजना का उद्देश्य ‘रिवर्स माइग्रेशन’ (विपरीत पलायन) सुनिश्चित करना है और लोगों को बेहतर संभावनाओं के लिए क्षेत्रों को छोड़ने से रोकना है। कमांडर ने कहा कि सेना द्वारा पहचाने गए 130 गांवों में से 28 सिक्किम में हैं, बाकी अरुणाचल प्रदेश में हैं।


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