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भारतीय रेलवे अब पहियों का निर्माण करेगा, जिसके लिए रेल मंत्रालय ने खाका तैयार कर लिया है। रेलवे की ओर से 600 करोड़ रुपए की लागत से हर साल 80,000 पहियों को तैयार किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को ऐलान किया कि मंत्रालय ने इन पहियों को तैयार करने के लिए और उद्योग को आमंत्रित करने के लिए एक टेंडर जारी की है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से सेमी-हाई स्पीड ट्रेनों (वंदे भारत) और हाई-स्पीड ट्रेनों(High Speed Trains) (बुलेट ट्रेन) के लिए किया जाएगा।

एक अधिकारी ने कहा कि उत्पादन इकाई स्थापित करने की अनुमानित लागत करीब 1,000 करोड़ रुपए है और यह टेंडर केवल भारतीय कंपनियों के लिए खुला है। मंत्रालय पहले इन विशेष पहियों के लिए यूरोप से आयात पर निर्भर था, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बाधित हुई आयात स्थिति का हवाला देते हुए रेलवे(High Speed Trains) ने चीनी कंपनी के साथ 39,000 पहियों का ऑर्डर दिया था। हालांकि अब इन पहियों का निर्माण भारत में किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि जाली पहियों के टेंडर में एक शर्त यह है कि बोली लगाने वाले को भी इन पहियों का निर्यात करने में सक्षम होना चाहिए।जालीदार पहिये विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए पहिए हैं, जिन्हें नियमित भारतीय रेलवे की ट्रेनों की तुलना में अधिक गति से चलने वाली ट्रेनों के लिए उच्च दबाव में बनाया गया है।

वैष्णव ने कहा कि मंत्रालय ने यूरोप से आयात करने के लिए बहुत कोशिश की थी, लेकिन नहीं हो पाने की वजह से एक चीनी फर्म को ठेका देना पड़ा। रायबरेली में आरआईएनएल संयंत्र में रुकावट के कारण मंत्रालय को झटका लगा है। वैष्णव ने कहा कि अभी तक RINL (High Speed Trains) ने संयंत्र में अपने कई मुद्दों को सही कर लिया है।

मंत्री ने कहा कि वर्तमान में भारत में कोई स्थापित जाली पहियों की कंपनी नहीं है, इसलिए तकनीकी योग्यता इस तरह से निर्धारित की गई है कि केवल जाली धातुओं के निर्माण में ज्‍यादा अनुभव रखने वाली कंपनियां ही टेंडर के लिए भाग ले सकती हैं। वैष्णव ने यह भी घोषणा की कि मंत्रालय के लिए अगला कदम हाई-स्पीड(High Speed Trains) और सेमी-हाई-स्पीड ट्रेनों के लिए बेहतर रेलवे ट्रैक इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करना है और इसके लिए जल्द ही एक टेंडर जारी किया जाएगा।


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