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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने 2025 तक रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में 1.75 लाख करोड़ रुपये के कारोबार का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा, सैन्य उपकरणों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना सरकार की प्राथमिकता है। सिंह ने भारतीय रक्षा उद्योग से आधुनिक और लागत प्रभावी उत्पादों का निर्माण करने के लिए कहा है ताकि सरकार के ‘नए भारत’ के दृष्टिकोण को साकार किया जा सके।

राजनाथ ने कहा कि हम न केवल अपनी जरूरतों को पूरा कर सके बल्कि अन्य देशों की आवश्यकताओं को भी पूरा कर सके। सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) की वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि लगातार विकसित हो रहे वैश्विक परिदृश्य ने दुनिया भर में सैन्य उपकरणों की मांग में वृद्धि की है। जिसमें देश नई चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

 

2025 तक 1.75 लाख करोड़ का कारोबार
रक्षा मंत्री ने कहा, “सात से आठ साल पहले, हमारा रक्षा निर्यात 1,000 करोड़ रुपये भी नहीं था। वे अब ₹ 13,000 करोड़ को पार कर चुके हैं। हमने 2025 तक 1.75 लाख करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जिसमें 35,000 करोड़ रुपये का निर्यात शामिल है।”

उन्होंने कहा, सैन्य उपकरणों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना सरकार की प्राथमिकता है। सरकार ने घरेलू रक्षा उद्योगों को समर्थन देने के प्रयासों के तहत घरेलू कंपनियों से सैन्य उपकरणों की खरीद के लिए रक्षा बजट में लगभग 85 हजार करोड़ रुपये की राशि अलग से रखी है। रक्षा मंत्रालय अलग-अलग समयसीमा के बाद 309 रक्षा वस्तुओं का आयात न करने से संबंधित तीन सूची पहले ही जारी कर चुका है।

रिकॉर्ड विदेशी निवेश

उन्होंने रक्षा उत्पादन के लिए रणनीतिक साझेदारी मॉडल पर भी प्रकाश डाला, जिसका उद्देश्य देश में लड़ाकू जेट, सैन्य हेलीकॉप्टर, टैंक और पनडुब्बियों के उत्पादन को प्रोत्साहित करना है। भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में बात करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि देश को पिछले वित्त वर्ष में कुल 83.57 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ जो एक रिकॉर्ड है।

उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया भारत में निवेश करने को लेकर दिलचस्पी दिखा रही है क्योंकि देश एक आकर्षक निवेश गंतव्य के रूप में उभरा है। सिंह ने कहा, यह दर्शाता है कि अब बहुत तेज गति से आगे बढ़ने का समय है।


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