बिहार के छपरा में जहरीली शराब ने ऐसा तांडव मचाया कि तीन दिनों में मरने वालों का आंकड़ा 42 तक पहुंच गया है। इतनी मौतों के बाद पटना से लेकर दिल्ली तक हंगामा जारी है। बीजेपी नेताओं की एक टीम ने छपरा का दौरा किया और पीड़ित परिजनों से बात की।
इस बीच सरकार और प्रशासन ने कार्रवाई तेज की है। 42 लोगों की मौत मामले में जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है। वहीं अभी तक 126 लोगों को पकड़ा गया है। चार हजार लीटर से ज्यादा अवैध शराब जब्त भी की गई है।
कुछ अधिकारियों पर भी एक्शन हुआ है जिनमें मशरक पुलिस थाने के प्रभारी और स्थानीय चौकीदार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
छपरा में पिछले तीन दिनों से जहरीली शराब से मरने का वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। कई लोग अभी अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। इस बीच सीएम नीतीश कुमार ने छपरा शराबकांड पर रिएक्ट करते हुए ऐसा बयान दिया जिस पर सियासत गरमा गई है।
उन्होंने गुरुवार को कहा कि जो शराब पियेगा वो मरेगा ही। उनके इस कमेंट पर विपक्षी पार्टी बीजेपी ने मुख्यमंत्री को घेरा है। इस मुद्दे को बिहार विधानसभा के साथ-साथ लोकसभा में भी उठाया गया।
इसुयापुर, अमनौर, मशरख और मढ़ौरा में सबसे ज्यादा मौतें
भले ही छपरा पर घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा। लेकिन पूरे मामले पर छपरा के स्थानीय लोग अब सरकार से सवाल कर रहे। उनका कहना है कि हमारी क्या गलती थी, बिहार में अगर अवैध शराब का कारोबार नहीं होता तो शराब बिकती नहीं? सीएम नीतीश कहते रहे हैं कि महिलाओं की मांग पर शराबबंदी की गई।
लेकिन इसुयापुर, अमनौर, मशरख और मढ़ौरा के कई गांवों की उन्हीं महिलाओं के आंखों के आंसू आज नहीं सुख रहे, जिन्होंने अपनों को खोया है। जहरीली शराब से अपनों को खोने का दर्द क्या होता है, ये इन महिलाओं के आंसू से समझा जा सकता है।
हालांकि, छपरा शराबकांड को लेकर एक्शन तेज है। मढ़ौरा के SDPO के ट्रांसफर की सिफारिश उच्च अधिकारियों से की गई है। उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया गया है।
छपरा के जिलाधिकारी ने बताया कि त्वरित जांच के लिए, एक अतिरिक्त एसपी की अध्यक्षता में 31 पुलिस अधिकारियों और तीन डिप्टी एसपी वाली एक एसआईटी भी गठित की गई है। जिलाधिकारी और एसपी ने लोगों से अपील की कि वे बिना किसी प्रतिशोध के डर के किसी भी प्रासंगिक जानकारी के साथ आगे आएं।
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