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जब कांवड़ ले निकलीं मुस्लिम महिलाएं, लगाए हर-हर महादेव के नारे, एकता की मिसाल थी ये यात्रा

सावन (Sawan 2022) का पवित्र महीना चल रहा है। यह महीना भगवान शिव (Lord Shiva) को बहुत ही प्रिय होता है। जब भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से चार महीने के लिए क्षीर सागर में विश्राम करते हैं तो सृष्टि का संचालन भगवान भोलेनाथ अपने कंधों पर ले लेते हैं।

सावन (Sawan 2022) के महीने में भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा से हर तरह की मनोकामना पूरी होती है। सावन के महीने में शिव मंदिरों में भारी भीड़ रहती है। सावन के महीने को हमारे भारत में बड़े ही जोश के साथ मनाया जाता है क्योंकि यह साल का सबसे फलदायी महिना माना जाता है। इस महीने में शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

इस महीने में लोग गंगा जल (Kanwar Yatra) लेने के लिए कई किलो मीटर की पैदल यात्रा करते है और गंगा जल लाकर शिव का जलाभिषेक करते हैं। वहीं, 2016 में कावड़ यात्रा (Kawad Yatra) के दौरान एक अद्भुत नजारा देखने को मिला इंदौर में, जहां शंकर जी को जल चढ़ाने के लिए कांवड़ लेकर निकली मुस्लिम महिलाएं, जो हमारे देश की साम्प्रदायिक एकता की अनूठी मिसाल बनकर उभरी।

इस कांवड़ यात्रा में काफी बड़ी मात्रा में मुस्लिम महिलाएं (Muslim Women Kawad Yatra) सम्मलित होकर अपने देश में एकता भाईचारे की मिसाल पेश की, जिनके लिए सभी धर्म समान है। जिनमें कुरान और गीता के दिए गए उपदेश एक ही है और उन्हीं उपदेशों को मानकर वे सभी धर्मों को एकरूप से देख रही है। इस यात्रा में सभी धर्मों की महिलाएं एक होकर कावड़ लेकर पैदल यात्रा कर समाज को एक अच्छा संदेश दे रहीं हैं।

मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में साल 2015 और 2016, दो वर्षों तक लगातार एक विशेष कांवड़ यात्रा (Kawad Yatra) का आयोजन किया गया था जिसमें मुस्लिम महिलाओं ने भी हिस्सा लिया था। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस यात्रा का आयोजन मध्य प्रदेश की ‘साझा संस्कृति मंच’ नाम की एक संस्था ने किया था।

कई साल पहले हुई इस कांवड़ यात्रा के बारे में अधिक जानकारी लेने के लिए हमने संस्था के संयोजक सेम पावरी से बात की। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो 14 अगस्त 2016 का है।

सेम पावरी मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार में राज्यमंत्री पद पर रह चुके हैं और मध्य प्रदेश के अल्पसंख्यक आयोग से भी जुड़े रहे हैं। उन्होंने बताया कि “दो वर्षों तक हमने इस सद्भाव कांवड़ यात्रा का आयोजन किया था। साल 2015 में क़रीब 1,300 मुस्लिम महिलाओं ने इसमें हिस्सा लिया था। जबकि वर्ष 2016 में चार हज़ार से ज़्यादा मुस्लिम महिलाएं इस यात्रा में आई थीं।”

पावरी ने आगे कहा, “दोनों ही बार ये यात्रा इंदौर शहर में आयोजित की गई थी। जिस कांवड़ यात्रा का वीडियो अब सोशल मीडिया पर ग़लत मैसेज के साथ सर्कुलेट किया जा रहा है, वो इंदौर के गांधी हॉल से शुरू होकर गोपेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक के साथ समाप्त हुई थी।”

पारसी समुदाय से आने वाले सेम पावरी के अनुसार बीजेपी सरकार में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इस कांवड़ यात्रा में मुख्य अतिथि थे और सभी धर्मों के कुछ धर्मगुरु इस यात्रा में शामिल हुए थे।

एक सांकेतिक यात्रा

उन्होंने बताया, “हमने हिन्दू और मुस्लिम धर्मगुरुओं से बात करने के बाद ही इस यात्रा का प्रारूप तैयार किया था। हमने इसका पूरा ध्यान रखा था कि यात्रा में कुछ भी ऐसा न हो जिससे किसी की धार्मिक भावनाएं आहत हों। मुस्लिम महिलाओं ने कांवड़ लेकर क़रीब डेढ़ किलोमीटर की सांकेतिक यात्रा पूरी की थी जिसके बाद कांवड़ों को हिन्दू महिलाओं को दे दिया गया था ताकि वो मंदिर के भीतर जाकर जलाभिषेक कर सकें।”

हमने सेम पावरी से पूछा कि जिस कांवड़ यात्रा को उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता का संदेश देने के लिए आयोजित किया था, उस यात्रा का वीडियो अब धार्मिक भावनाएं भड़काने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इसे वो कैसे देखते हैं?

उन्होंने कहा, “ये बहुत ही अफ़सोसजनक है। जब हमने ये सांकेतिक यात्रा आयोजित की थी, तब भी लोगों ने कई सवाल खड़े किये थे। कई लोगों को ये विश्वास ही नहीं हुआ था कि मुस्लिम समुदाय के लोग इस तरह हिन्दुओं के धार्मिक आयोजन में हिस्सा ले सकते हैं। और यही वजह थी कि मुस्लिम महिलाओं को इस यात्रा में अपने वोटर कार्ड गले में लटकाकर आना पड़ा था।”

नोट: हमारा उद्देश्य किसी भी तरह के अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं है। यह लेख लोक मान्यताओं और पाठकों की रूचि के आधार पर लिखा गया है।