पितृ पक्ष (Pitru paksha 2022) की शुरुआत दस सितंबर से हो रही है। हिन्दू धर्म में वर्ष के सोलह दिनों को अपने पितृ या पूर्वजों को समर्पित किया गया है, जिसे पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष (Shraadh Paksh) या कनागत कहते हैं।
श्राद्धपक्ष की शुरुआत भाद्रपद की पूर्णिमा (Purnima) से होती है। व्यक्ति की मृत्यु चाहे कृष्णपक्ष में या शुक्लपक्ष में हुई हो सभी की तिथि आश्विन माह के कृष्णपक्ष में यानी की श्राद्ध या पितृपक्ष (Pitru paksha 2022) में ही रहती है। इस दौरान चंद्रमंडल से सभी के पूर्वज धरती पर आते हैं, यदि वे वहां गए हों तो। अन्यथा जिसने जहां जन्म लिया है वहीं उसे श्राद्ध का फल पहुंच जाता है। आओ जानते हैं कि पूर्णिमा के दिन किसका श्राद्ध करते हैं?
1. पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक श्राद्ध की 16 तिथियां होती हैं। पूर्णिमा, प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्टी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या।
3. जिनकी मृत्यु पूर्णिमा को हुई है उनका श्राद्ध पूर्णिमा को करते हैं। माना जाता है कि उत्तरायण के दौरान पूर्णिमा के दिन जिन्होंने देह छोड़ी है उन्हें सद्गति मिलती है।
4. पूर्णिमा तिथि के श्राद्ध को तर्पण भी कहा जाता है। इसे प्रोष्ठपदी पूर्णिमा भी कहते हैं। यानी इस दिन आप ऋषियों के साथ ही अपने गुरु का तर्पण भी कर सकते हैं।
6. अगस्त्य मुनि ने विध्यांचल पर्वत को पार करके दक्षिण में प्रवेश किया था। विध्यांचल पर्वत ने उनसे विनति करके कहा था कि मुझे ज्ञान दें। तब अगस्त्य मुनि ने कहा था कि मैं इधर से पुन: लौटूंगा तब ज्ञान दूंगा तब तक तुम यहीं झुककर खड़े रहो। कहते हैं कि अगस्त्य मुनि दूसरे रास्ते से पुन: कैलाश लौट गए थे और कांति सरोवर के पास उन्होंने देह त्याग दी थी। वे करीब 400 वर्ष तक जीवित रहे ते।
7. अगस्त्य मुनि ने ही संपूर्ण दक्षिण भारत में धर्म और संस्कृति को स्थापित किया था। अगस्त्य मुनि ने ऋषि-मुनियों की रक्षा के लिए समुद्र को पी लिया था और दो असुरों को खा गए थे।
8. अगस्त्य मुनि के सम्मान में श्राद्धपक्ष की पूर्णिका तिथि को इनका तर्पण करके ही पितृपक्ष की शुरुआत की जाती है। अगस्त्य मुनि और पितृदेव अर्यमा को तर्पण दिए बगैर पितरों को श्राद्ध नहीं लगता है। यदि आपने अगस्त्य मुनि और पितरों के पंचायत का आह्वान नहीं है और पंचबलि कर्म नहीं किया है तो पितरों को श्राद्ध का फल नहीं मिलेगा और न ही उन्हें सद्गति मिलेगी।
पूर्णिमा श्राद्ध : 10 सितंबर 2022
प्रतिपदा श्राद्ध : 10 सितंबर 2022
द्वितीया श्राद्ध : 11 सितंबर 2022
तृतीया श्राद्ध : 12 सितंबर 2022
चतुर्थी श्राद्ध : 13 सितंबर 2022
पंचमी श्राद्ध : 14 सितंबर 2022
षष्ठी श्राद्ध : 15 सितंबर 2022
सप्तमी श्राद्ध : 16 सितंबर 2022
अष्टमी श्राद्ध: 18 सितंबर 2022
नवमी श्राद्ध : 19 सितंबर 2022
दशमी श्राद्ध : 20 सितंबर 2022
एकादशी श्राद्ध : 21 सितंबर 2022
द्वादशी श्राद्ध: 22 सितंबर 2022
त्रयोदशी श्राद्ध : 23 सितंबर 2022
चतुर्दशी श्राद्ध: 24 सितंबर 2022
अमावस्या श्राद्ध: 25 सितंबरर 2022
पितृ पक्ष महत्व (Pitru paksha 2022 importance)
हिंदू धार्मिक शास्त्र के अनुसार 16 दिनों तक चलने वाला यह पितृ पक्ष पूरी तरह से हमारे पितरों को समर्पित होता है। इस दौरान हम उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान, पूजा, आदि करते हैं। इस दौरान विशेष तौर पर कौवों को भोजन कराया जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि कौवों के माध्यम से भोजन पितरों तक पहुंच जाता है।
इसके अलावा बहुत से लोग ऐसा भी मानते हैं कि पितृपक्ष में हमारे पितृ ही कौवों के रूप में पृथ्वी पर आते हैं इसीलिए इस दौरान भूल से भी इस दौरान उनका अनादर नहीं करना चाहिए और उन्हें हमेशा ताज़े बने भोजन का पहला हिस्सा देना चाहिए।
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