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Navratra 2022: मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है दूसरा नवरात्र, जानें पूजा विधि और महत्व

27 सितंबर 2022 को शारदीय नवरात्रि (Navratra or Navratri) का दूसरा दिन है। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर देवी दुर्गा (Goddess Durga) के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी (Goddess Brahmacharini) की पूजा आराधना की जाती है। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमंडल रहता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अपने पूर्व जन्म में जब ये (Goddess Brahmacharini) हिमालय के घर में पुत्री रूप में उत्पन्न हुई थीं तब नारद के उपदेश से इन्होने भगवान शंकर जी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए अत्यंत कठिन तपस्या की थी। इस दुष्कर तपस्या के कारण इन्हें तपस्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया। एक हज़ार वर्ष उन्होंने केवल फल, मूल खाकर व्यतीत किए और सौ वर्षों तक केवल शाक पर निर्वाह किया था। कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखते हुए देवी ने खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के भयानक कष्ट सहे।

कई हज़ार वर्षों की इस कठिन तपस्या के कारण ब्रह्मचारिणी देवी का शरीर एकदम क्षीण हो उठा,उनकी यह दशा देखकर उनकी माता मेना अत्यंत दुखी हुई और उन्होंने उन्हें इस कठिन तपस्या से विरक्त करने के लिए आवाज़ दी ‘उ मा’। तब से देवी ब्रह्मचारिणी का एक नाम उमा भी पड़ गया। उनकी इस तपस्या से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया।

देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी देवी ब्रह्मचारिणी की इस तपस्या को अभूतपूर्व पुण्यकृत्य बताते हुए उनकी सराहना करने लगे। अंत में पितामह ब्रह्मा जी ने आकाशवाणी के द्वारा उन्हें सम्बोधित करते हुए प्रसन्न स्वर में कहा-‘हे देवी! आज तक किसी ने ऐसी कठोर तपस्या नहीं की जैसी तुमने की हैं। तुम्हारे इस आलोकक कृत्य की चारों ओर सराहना हो रही हैं। तुम्हारी मनोकामना सर्वतोभावेन परिपूर्ण होगी। भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हे पति रूप में प्राप्त अवश्य होंगे।अब तुम तपस्या से विरत होकर घर लौट जाओ शीघ्र ही तुम्हारे पिता तुम्हे बुलाने आ रहे हैं।

मां ब्रह्मचारिणी की प्रिय वस्तु

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल, कमल, श्वेत और सुगंधित पुष्प प्रिय हैं। ऐसे में नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा को गुड़हल, कमल, श्वेत और सुगंधित पुष्प अर्पित करें।

मां ब्रह्मचारिणी का भोग

मां दुर्गा को नवरात्रि के दूसरे दिन चीनी का भोग लगाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से दीर्घायु का आशीष मिलता है। मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने व्यंजन जरूर अर्पित करें।
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इन शुभ मुहूर्त में करें पूजा

  • ब्रह्म मुहूर्त- 04:36 ए एम से 05:24 ए एम।
  • अभिजित मुहूर्त- 11:48 ए एम से 12:36 पी एम।
  • विजय मुहूर्त- 02:12 पी एम से 03:00 पी एम।
  • गोधूलि मुहूर्त- 06:00 पी एम से 06:24 पी एम।
  • अमृत काल- 11:51 पी एम से 01:27 ए एम, 28 सितम्बर।
  • निशिता मुहूर्त- 11:48 पी एम से 12:36 ए एम, 28 सितम्बर।
  • द्विपुष्कर योग- 06:16 ए एम से 02:28 ए एम, 28 सितम्बर।

पूजन विधि

देवी को पंचामृत से स्नान कराएं, फिर अलग-अलग तरह के फूल,अक्षत, कुमकुम, सिन्दूर, अर्पित करें। देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं। इसके अलावा कमल या गुड़हल का फूल भी देवी मां को चढ़ाएं। मिश्री या सफ़ेद मिठाई से मां का भोग लगाएं आरती करें एवं हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें।

मंत्र

  • या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
  • दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू। वी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।