Karwa Chauth
Karwa Chauth

करवा चौथ (Karwa Chauth or Karva Chauth) के व्रत का हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व है। सुहागिन महिलाओं के लिए यह व्रत सभी व्रतों में सबसे खास है। इस दिन महिलाएं दिन भर भूखी-प्‍यासी रहकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। यही नहीं कुंवारी लड़कियां भी मनवांछित वर के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

इस दिन पूरे विधि-विधान से माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने के बाद करवा चौथ की कथा (Karva Chauth Katha) सुनी जाती है। फिर रात के समय चंद्रमा को अर्घ्‍य देने के बाद ही यह व्रत संपन्‍न होता है। मान्‍यता है कि करवा चौथ का व्रत (Karwa Chauth or Karva Chauth) रखने से अखंड सौभाग्‍य का वरदान मिलता है।

करवा चौथ कब है?

करवा चौथ (Karwa Chauth or Karva Chauth) का त्‍योहार दीपावली से नौ दिन पहले मनाया जाता है। हिन्‍दू पंचांग के अनुसार करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास की चतुर्थी को आता है। वहीं, अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से यह त्‍योहार अक्‍टूबर के महीने में आता है। इस बार करवा चौथ 13 अक्‍टूबर 2022 को है, जो कि 14 अक्टूबर को सुबह 03 बजकर 08 मिनट तक रहेगी।

करवा चौथ की तिथि और शुभ मुहूर्त (Karva Chauth Date and Time)

  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 13 अक्‍टूबर 2022 (गुरुवार) को सुबह 01 बजकर 59 मिनट से
  • चतुर्थी तिथ‍ि समाप्‍त: 14 अक्‍टूबर 2022 को सुबह 03 बजकर 08 मिनट तक
  • करवा चौथ व्रत का समय: 13 अक्‍टूबर 2022 को सुबह 06 बजकर 20 मिनट से रात 08 बजकर 09 मिनट तक।
  • पूजा का शुभ मुहूर्त: 13 अक्‍टूबर 2022 की शाम 06 बजकर 20 मिनट से रात 08 बजकर 09 मिनट तक।
  • चंद्रोदय: रात 08 बजकर 09 मिनट

करवा चौथ व्रत पूजन मुहूर्त-

  • ब्रह्म मुहूर्त– 4:41 AM से 5:31 PM
  • अभिजित मुहूर्त– 11:44 AM से 12:30 PM
  • विजय मुहूर्त– 2:03 PM से 2:49 PM
  • गोधूलि मुहूर्त– 5:42 PM से 6:06 PM
  • अमृत काल– 4:08 PM से 5:50 PM
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कथा सुनने का मुहूर्त

करवा चौथ का व्रत (Karwa Chauth or Karva Chauth) रखने वाली महिलाएं दोपहर के समय एकसाथ बैठकर कथा सुनती हैं। इस दौरान महिलाओं की थाली में पूजा की कुछ विशेष सामग्री रहती है। इसमें हल्दी, कलावा, अक्षत, सिंघाड़ा, केला, मिठाई या बताशा जैसी चीजें शामिल रहती हैं। अगर करवा चौथ की कथा आप शुभ मुहूर्त में ही सुनें तो होगा। इस दिन दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से लेकर 12 बजकर 48 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहने वाला है। आप इस शुभ अवधि में करवा चौथ की कथा सुन सकती हैं।

करवा चौथ 2022 पूजा मुहूर्त (Karwa Chauth 2022 Puja Muhurat)

करवा चौथ की पूजा शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए। 13 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 01 मिनट से रात 07 बजकर 15 मिनट तक पूजा की जा सकती है। महिलाओं को पूजा के लिए पूरा 1 घंटा 14 मिनट का समय मिलेगा।

करवा चौथ 2022 चांद निकलने का समय (Karwa Chauth 2022 Moon Rising Time)

करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसे में पूरे दिन भर व्रती को चांद निकलने का इंतजार रहता है। इस साल करवा चौथ का चांद 13 अक्टूबर को रात 8 बजकर 19 मिनट पर निकलेगा।

कैसे मनाते हैं करवा चौथ का त्‍योहार?

करवा चौथ (Karwa Chauth or Karva Chauth) की तैयारियां कई दिन पहले से शुरू हो जाती हैं। सुहागिन महिलाएं कपड़े, गहने, श्रृंगार का सामान और पूजा सामग्री खरीदती हैं। करवा चौथ वाले दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी खाती हैं। इसके बाद सुबह हाथ और पैरों पर मेहंदी लगाई जाती है और पूजा की थालियों को सजाया जाता है। व्रत करने वाली आस-पड़ोस की महिलाएं शाम ढलने से पहले किसी मंदिर, घर या बगीचे में इकट्ठा होती हैं। यहां सभी महिलाएं एक साथ करवा चौथ की पूजा करती हैं।

इस दौरान गोबर और पीली मिट्टी से पार्वती जी की प्रतिमा स्‍थापित की जाती है। आज कल माता गौरी की पहले से तैयार प्रतिमा को भी रख दिया जाता है। विधि-विधान से पूजा करने के बाद सभी महिलाएं किसी बुजुर्ग महिला से करवा चौथ की कथा सुनती हैं। इस दौरान सभी महिलाएं लाल जोड़े में पूरे सोलह श्रृंगार के साथ पूजा करती हैं। चंद्रमा के उदय पर अर्घ्‍य दिया जाता है और पति की आरती उतारी जाती है। पति के हाथों पानी पीकर महिलाओं के उपवास का समापन हो जाता है।

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करवा चौथ की पूजन सामग्री

करवा चौथ के व्रत (Karwa Chauth or Karva Chauth) से एक-दो दिन पहले ही सारी पूजन सामग्री को इकट्ठा करके घर के मंदिर में रख दें। पूजन सामग्री इस प्रकार है- मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्‍कन, पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रूई, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, कच्‍चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी, हल्‍दी, चावल, मिठाई, चीनी का बूरा, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा के पैसे।

करवा चौथ की पूजा विधि?

  • करवा चौथ वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्‍नान कर लें।
  • अब इस मंत्र का उच्‍चारण करते हुए व्रत का संकल्‍प लें- ”मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये”।
  • सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करें और फिर दिन भर निर्जला व्रत रखें।
  • दीवार पर गेरू से फलक बनाएं और भीगे हुए चावलों को पीसकर घोल तैयार कर लें। इस घोल से फलक पर करवा का चित्र बनाएं। वैसे बाजार में आजकर रेडीमेड फोटो भी मिल जाती हैं। इन्‍हें वर कहा जाता है। चित्रित करने की कला को करवा धरना का जाता है।
  • आठ पूरियों की अठावरी बनाएं। मीठे में हल्‍वा या खीर बनाएं और पकवान भी तैयार करें।
  • अब पीली मिट्टी और गोबर की मदद से माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं। अब इस प्रतिमा को लकड़ी के आसान पर बिठाकर मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी और बिछुआ अर्पित करें।
  • जल से भर हुआ लोट रखें।
  • करवा में गेहूं और ढक्‍कन में शक्‍कर का बूरा भर दें।
  • रोली से करवा पर स्‍वास्तिक बनाएं।
  • अब गौरी-गणेश और चित्रित करवा की पूजा करें।
  • पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करते हुए इस मंत्र का उच्‍चारण करें- ”ऊॅ नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥”
  • करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें।
  • कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपने सभी बड़ों का आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें।
  • पानी का लोटा और 13 दाने गेहूं के अलग रख लें।
  • चंद्रमा के निकलने के बाद छलनी की ओट से पति को देखें और चन्द्रमा को अर्घ्‍य दें।
  • चंद्रमा को अर्घ्‍य देते वक्‍त पति की लंबी उम्र और जिंदगी भर आपका साथ बना रहे इसकी कामना करें।
  • अब पति को प्रणाम कर उनसे आशीर्वाद लें और उनके हाथ से जल पीएं। अब पति के साथ बैठकर भोजन करें।

करवा चौथ में सरगी

करवा चौथ के दिन (Karwa Chauth or Karva Chauth) सरगी का भी विशेष महत्‍व है। इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं और लड़कियां सूर्योदय से पहले उठकर स्‍नान करने के बाद सरगी खाती हैं। सरगी आमतौर पर सास तैयार करती है। सरगी में सूखे मेवे, नारियल, फल और मिठाई खाई जाती है। अगर सास नहीं है तो घर का कोई बड़ा भी अपनी बहू के लिए सरगी बना सकता है। जो लड़कियां शादी से पहले करवा चौथ का व्रत रख रही हैं उसके ससुराल वाले एक शाम पहले उसे सरगी दे आते हैं। सरगी सुबह सूरज उगने से पहले खाई जाती है ताकि दिन भर ऊर्जा बनी रहे।

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करवा चौथ की कथा (Karva Chauth Katha)

पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। सेठानी समेत उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत (Karwa Chauth or Karva Chauth) रखा था। रात्रि को साहूकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन के लिए कहा। इस पर बहन ने जवाब दिया- “भाई! अभी चांद नहीं निकला है, उसके निकलने पर अर्घ्‍य देकर भोजन करूंगी।” बहन की बात सुनकर भाइयों ने क्या काम किया कि नगर से बाहर जा कर अग्नि जला दी और छलनी ले जाकर उसमें से प्रकाश दिखाते हुए उन्‍होंने बहन से कहा- “बहन! चांद निकल आया है। अर्घ्‍य देकर भोजन कर लो।”

व्रत भंग

यह सुनकर उसने अपने भाभियों से कहा, “आओ तुम भी चन्द्रमा को अर्घ्‍य दे लो।” परन्तु वे इस कांड को जानती थीं, उन्होंने कहा- “बाई जी! अभी चांद नहीं निकला है, तेरे भाई तेरे से धोखा करते हुए अग्नि का प्रकाश छलनी से दिखा रहे हैं।” भाभियों की बात सुनकर भी उसने कुछ ध्यान न दिया और भाइयों द्वारा दिखाए गए प्रकाश को ही अर्घ्‍य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार व्रत भंग करने से गणेश जी उस पर अप्रस्सन हो गए। इसके बाद उसका पति सख्त बीमार हो गया और जो कुछ घर में था उसकी बीमारी में लग गया।

और भगवान गणेश हुए प्रसन्न

जब उसने अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसने पश्चाताप किया गणेश जी की प्राथना करते हुए विधि विधान से पुनः चतुर्थी का व्रत करना आरम्भ कर दिया। श्रद्धानुसार सबका आदर करते हुए सबसे आशीर्वाद ग्रहण करने में ही मन को लगा दिया। इस प्रकार उसकी श्रद्धा भक्ति सहित कर्म को देखकर भगवान गणेश उस पर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवन दान दे कर उसे आरोग्य करने के पश्चात धन-संपत्ति से युक्त कर दिया। इस प्रकार जो कोई छल-कपट को त्याग कर श्रद्धा-भक्ति से चतुर्थी का व्रत करेंगे उन्‍हें सभी प्रकार का सुख मिलेगा।


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