Placeholder canvas

Dussehra 2022: दशहरे के दिन क्यों खाते हैं जलेबी और पान, गहरा है इसका रहस्य

दशहरा (Dussehra) को बुराई पर अच्छाई की जीत प्रतीक माना जाता है। इसलिए ही इसे विजयादशमी या आयुध-पूजा (Vijayadashami 2022) भी कहा जाता है। दशहरा (Dussehra) त्योहार के दौरान देश में माहौल बहुत ही रोशनी भरा रहता है। जगह-जगह बने दूर्गा पूजा के पंडाल लगे होते हैा। खूब सारा यमी और टेस्टी फूड भी होता है।

दशहरा के 20वें दिन दीवाली (Deewali 2022) मनाई जाती है। 2022 में आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी (Vijayadashami 2022) तिथि 8 अक्टूबर को मंगलवार के दिन पड़ रही है।

पुराणों के अनुसार रावण को पराजित कर आज ही के दिन राम ने विजय पताका लहराई थी। इसके बाद जब 20 दिन बाद वे अयोध्या लौटे थे तो लोगों ने उनके राह में दीप जलाकर रौशनी की थी इसलिए ही इस दिन को दीपावली के तौर पर मना जाता है। इस बार विजयदशमी (Vijayadashami 2022) या दशहरा (Dussehra) 5 अक्टूबर को है।

कैसे मनाते हैं दशहरा (How to Celebrate Dussehra)

रेस्तरां में नवरात्रि स्पेशल फूड (Navratri 2022) और पूरी-चना-हलवे (Poori-Halwa and Chana) के साथ कंजक पूजन (Kanjak, kanya pujan) आदि का हर कोई बेसब्री से इंतजार करता है। पश्चिमी भारत में नवरात्रि को डांस फेस्टिवल के रूप में भी मनाया जाता है, गुजरात में गरबा (Garba) और महाराष्ट्र में डांडिया (Dandia)। हाल के वर्षों में डांडिया फीवर देशभर में फैल चुका है, शायद बॉलीवुड फिल्मों में गरबा/डांडिया गाने-डांस ही इसका मुख्य कारण है।

यह भी पढ़ें: Dubai Hindu Temple: दुबई में हिंदू मंदिर का उद्घाटन, भव्यता देख मुस्लिम मंत्री ने भी झुकाया सिर

दशहरा का महत्व (Importance Of Dussehra)

यह त्यौहार भगवान श्री राम की कहानी तो कहता ही है जिन्होंने लंका में 9 दिनों तक लगातार चले युद्ध के पश्चात अंहकारी रावण को मार गिराया और माता सीता को उसकी कैद से मुक्त करवाया। वहीं इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार भी किया था इसलिए भी इसे विजयदशमी के रुप में मनाया जाता है और मां दूर्गा की पूजा भी की जाती है। माना जाता है कि भगवान श्री राम ने भी मां दूर्गा की पूजा कर शक्ति का आह्वान किया था, भगवान श्री राम की परीक्षा लेते हुए पूजा के लिए रखे गये कमल के फूलों में से एक फूल को गायब कर दिया।

चूंकि श्री राम को राजीवनयन यानि कमल से नेत्रों वाला कहा जाता था इसलिये उन्होंनें अपना एक नेत्र मां को अर्पण करने का निर्णय लिया ज्यों ही वे अपना नेत्र निकालने लगे देवी प्रसन्न होकर उनके समक्ष प्रकट हुई और विजयी होने का वरदान दिया। माना जाता है इसके पश्चात दशमी के दिन प्रभु श्री राम ने रावण का वध किया। भगवान राम की रावण पर और माता दुर्गा की महिषासुर पर जीत के इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की विजय के रुप में देशभर में मनाया जाता है।

क्यों मनाते हैं दशहरा या विजयादशमी (Why We Celebrate Dussehra or Vijayadashami)

दशहरा को विजयदशमीं (Vijayadashami) के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन मां दुर्गा (Maa Durga) ने राक्षक महिषासुर का वध किया था। इसके अलावा इसी दिन राम की रावण पर भी जीत हुई थी। माना जाता है कि देवी दूर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर से लड़ाई की थी। दसवें दिन, जिसे दशमी (Dashmi) भी कहते हैं उन्हें विजय हासिल हुई थी।

क्यों खाते हैं दशहरे के दिन जलेबी

दशहरे पर जब भी आप कभी रावण दहन देखने गए होंगे तो देखा होगा कि आसपास जलेबी के बहुत से स्टॉल होते हैं। तो कभी आपने सोचा है कि दशहरे वाले दिन लोग जलेबी क्यों खाते हैं और रावण दहन के बाद जलेबी लेकर घर क्यों जाते हैं। कहते हैं कि राम को शश्कुली नामक मिठाई बहुत पसंद थी। जिसे आजकल जलेबी के नाम से जाना जाता है। इसलिए रावण पर विजय के बाद जलेबी खाकर खुशी मनाई जाती है।

Dussehra के दिन पान खाना, राम भक्त का आशिर्वाद

Dussehra के दिन हनुमान जी को पान का चढ़ावा क्यों किया जाता है। साथ ही पान खाने से आपको क्या लाभ मिलता है। दरअसल पान को जीत व प्रेम का प्रतीक माना जाता है। बीड़ा का अर्थ है कि हम दशहरे के दिन सही राह पर चलने का बीड़ा उठाते हैं। दशहरे पर रावण दहन के बाद पान का बीड़ा खाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। मान्यता है कि दशहरे के दिन पान खाकर लोग असत्य पर सत्य की विजय का जश्न मनाते हैं।