Diwali 2022 1
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Diwali 2022: दीपावली (Deepawali 2022) में अब कुछ ही दिन बचे हैं इस त्योहार को लेकर कई बार आपके मन में सवाल आता होगा कि ये त्योहार 5 दिन तक क्यों मनाया जाता है। इसका कारण है कि ये 5 पर्वों का मिश्रण है, ये हैं- धनतेरस, नरक चतुर्दशी, महालक्ष्मी पूजन, धनतेरस और भाईदूज। नरक चतुर्दशी को छोटी दीवाली भी कहा जाता है।

दीपावली (Diwali 2022) की शुरूआत धनतेरस से होती है, जो कार्तिक मास की अमावस्या के दिन पूरे चरम पर आती है। कार्तिक मास की अमावस्या की रात को घरों और दुकानों में दीपक, मोमबत्तियां और बल्ब लगाए व जलाए जाते हैं।

आपको बता दें कि ये सभी त्योहार अलग-अलग युगों से संबंध रखते हैं। हिंदू पुराणों और ग्रंथों के अनुसार धनतेरस, दीपावली (Diwali 2022) और भाई दूज का संबंध सत्य युग से वहीं गौवर्धन पूजा और नरक चतुर्दशी का संबंध द्वापर युग से बताया गया है। ये त्योहार भले ही अलग-अलग युग के हों लेकिन इनकी तिथियां आसपास पड़ने के कारण ये एक साथ 5 दिन तक मनाए जाते हैं।

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जानें 5 दिवसीस उत्सव के बारे में…

  • सत्य युग (इसमें श्रष्टि की रचना हुई।)
  • त्रेता युग (इसमें भगवान राम का अवतार हुआ।)
  • द्वापर युग (इसमें कृष्ण जी ने अवतार हुआ।)
  • कलियुग (इसमें कल्कि भगवान का अवतार होगा।)

धनतेरस (Dhanteras 2022)

कथा के अनुसार, देवताओं को राजा बलि के प्रकोप से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि के यज्ञ स्थल पर पहुंच गए। शुक्राचार्य ने वामन रूप में भी भगवान विष्णु को पहचान लिया और राजा बलि से आग्रह किया कि वामन कुछ भी मांगे उन्हें इंकार कर दें। राजा बलि ने शुक्राचार्य की बात नहीं मानी। उन्होने वामन भगवान से दान मांगने को कहा तब भगवान ने राजावलि से 3 पग जमीन मांगी।

इसके बाद राजा बलि ने तीन पग भूमि दान करने का संकल्प ले लिया। तब भगवान वामन ने अपने एक पैर से संपूर्ण पृथ्वी को नाप लिया और दूसरे पग से अंतरिक्ष को। तीसरा पग रखने के लिए कोई स्थान नहीं होने पर बलि ने अपना सिर वामन भगवान के चरणों में रख दिया। बलि दान में अपना सब कुछ गंवा बैठा। इस तरह बलि के भय से देवताओं को मुक्ति मिली और बलि ने जो धन-संपत्ति देवताओं से छीन ली थी उससे 13 कई गुना अधिक धन-संपत्ति देवताओं को मिल गई। इसके अलावा कार्तिक मास की त्रियोदशी तिथि को आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे तभी से इस दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।

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नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi 2022)

नरक चतुर्दशी को मुक्ति पाने वाला पर्व कहा जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। इसीलिए चतुर्दशी का नाम नरक चतुर्दशी के नाम पर पड़ा। इस दिन पूजा करने से नरक निवारण का आशीर्वाद मिलता है। इसीलिए लोग अपने घर में यमराज की पूजा कर अपने परिवार वालों के लिए नरक न मिलने की प्रार्थना करते हैं। इस दिन पूजा अर्चना कर गलतियों से बचने के लिए और उनको माफ करने के लिए भगवान से माफी मांगी जाती है।

दिवाली और लक्ष्मी पूजन (Diwali 2022, Lakshmi Pujan)

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही माता लक्ष्मी दूध के सागर जिसे क्षीर सागर के नाम से जाना जाता है, से उत्पन्न हुई थीं। इसीलिए इस दिन इनकी पूजा की जाती है। वहीं त्रेता युग में इसी दिन भगवान राम 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस आए थे। इसीलिए दीपावली (Diwali 2022) का पर्व मनाया जाता है।

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गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja 2022)

गोवर्धन पूजा का संबंध भगवान कृष्ण से है और इसकी शुरुआत भी द्वापर युग से हो गई थी। इससे पहले ब्रजवासी इंद्र की पूजा करते थे। तभी भगवान ने ये बताया कि आप लोग इंद्र की पूजा करते हो इससे कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है। इसलिए आपको गौ धन को समर्पित गोवर्धन पर्वत पर जाकर उसकी पूजा करनी चाहिए।

भगवान कृष्ण की बात मानकर लोगों ने इंद्र की पूजा करनी बंद कर दी और गोवर्धन पूजा करने लगे। इस बात से नाराज होकर इंद्र ने भारी बारिस की जिससे लोग उनसे डरकर उनकी पूजा करने लगें। बारिस के कारण हर जगह बाढ आ गई इससे बख्ने के लिए लोगों ने भगवान कृष्ण से प्रार्थना की। तब उन्होने ब्रजवासियों को बचाने के लिए पूरा गोवर्धन पर्वत अपनी एक उंगली पर उठा लिया।

लगातार 7 दिन तक भारी बारिस होती रही लेकिन किसी की कुछ न बिगाड़ सकी। ब्रह्या जी ने इन्द्र को बताया कि पृथ्वी पर भगवना विष्णु ने कृष्ण के रूप में जन्म लिया है तुम उनसे लड़ रहे हो। इस बात को जानकर इंद्र बहुत पछताए और भगवान से क्षमा मांगी। इस बात के खत्म होने के बाद भगवान कृष्ण ने सभी ब्रजवासियों को सातवें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखकर हर साल इस दिन गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट का करने को कहा।

तब से लेकर आज तक गोवर्धन पूजा और अन्नकूट हर घर में मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन खुश रहने वाला व्यक्ति साल भर खुश रहेगा। तभी से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को यह त्योहार मनाया जाता है।

भाई दूज (Bhai Dooj 2022)

भगवान सूर्य नारायण की पत्नी छाया के दो संताने यमराज और यमुना थीं यमुना, यमराज से निवेदन करती थी कि वो उसके घर आकर भोजन करें,लेकिन यमराज व्यस्त र हने के कारण हमेशा यमुना की बात को टाल जाते थे।

एक बार जब कार्तिक शुक्ला का दिन आया तब यमुना ने फिर यमराज को खाने पर बुलाया। इस बार यमराज अपनी बहन यमुना के घर खाना खाने गए तब यमराज के घर जाते समय यमुना ने यमराज से एक वचन मांगा।

यमुना ने यमराज से हर साल इस दिन आने को कहा जिसे यमराज ने स्वीकार कर लिया कहा जाता है की उसी समय से हर साल भाई दूज का त्यौहार मनाया जाने लगा है।


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