Diwali 2022 Laxmi pujan
Diwali 2022 Laxmi pujan

Diwali 2022: वर्ष की सभी अमावस्याओं में कार्तिक अमावस्या श्रेष्ठतम मानी गई है क्योंकि इस दिन महालक्ष्मी की पूजा (Lakshmi Pujan) आराधना करके अपने इष्ट कार्य को तो सिद्ध किया ही जा सकता है,शक्ति आराधना के लिए भी यह अमावस्या सर्वोपरि मानी गई है। इस दिन भगवान राम असुरों का संहार करके अयोध्या लौटे थे, जिनका दीपोत्सव करके स्वागत किया गया था।

दिवाली का दिन (Diwali 2022) लक्ष्मी के स्वागत का दिन है,हम चारों ओर प्रकाश फैलाकर सकारात्मकता के साथ महालक्ष्मी से समृद्धि और सम्पन्नता मांगते हैं।इसमें अंधेरे को दूर कर प्रकाश किया जाता है,इसी तरह हमें अपने अन्दर के विकारों के अन्धकार को मिटाकर अनुशासन,प्रेम,सत्य और सदाचार रूपी प्रकाश से स्वयं को प्रकाशित करना चाहिए।

दिवाली शुभ मुहूर्त

इस साल अमावस्या तिथि 24 और 25 अक्टूबर दोनों दिन ही है लेकिन 25 अक्टूबर को अमावस्या प्रदोष काल से पहले ही समाप्त हो जाएगी इसलिए दीपावली (Diwali 2022) 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 28 मिनट पर अमावस्या शुरू होगी जो मंगलवार शाम को 4 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। 24 अक्टूबर को दिवाली का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 54 मिनट से रात 8 बजकर 16 मिनट तक है।

यह भी पढ़ें: Box Office: PS-1 पर भारी पड़ी Kantara! 22वें दिन की कमाई देख बॉलीवुड वालों के भी उड़े होश

दिवाली लक्ष्मी-गणेश पूजा शुभ मुहूर्त- 24 अक्तूबर

  • लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त – शाम 06:54 से 08:16 मिनट तक
  • लक्ष्मी पूजन की अवधि- 1 घंटा 21 मिनट
  • प्रदोष काल – शाम 05:42 से रात 08:16 मिनट तक
  • वृषभ काल – शाम 06: 54 से रात 08: 50 मिनट तक

दिवाली लक्ष्मी पूजा महानिशीथ काल मुहूर्त

  • लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त – रात 11: 40 से 12: 31 मिनट तक

दिवाली लक्ष्मी-गणेश पूजाविधि

  • इस दिन प्रदोष वेला से लेकर पिशाच वेला के आरंभ से पहले तक ही महालक्ष्मी पूजा का विधान है। यह पिशाच वेला रात्रि 02 बजे से आरंभ होती है।
  • पूजा के लिए लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और इस पर साबुत अक्षत की एक परत बिछा दें।
  • अब श्री लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा को विराजमान करें एवं यथाशक्ति पूजन सामग्री लेकर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • उत्तर दिशा को वास्तु में धन की दिशा माना गया है,इसलिए दीपावली पर यह क्षेत्र यक्ष साधना,लक्ष्मी पूजन और गणेश पूजन के लिए आदर्श स्थान है।
  • जल कलश व अन्य पूजन सामग्री जैसे- खील पताशा,सिन्दूर,गंगाजल,अक्षत-रोली,मोली,फल-मिठाई,पान-सुपारी,इलाइची आदि उत्तर और उत्तर-पूर्व में ही रखा जाना शुभ फलों में वृद्धि करेगा।
  • इसी प्रकार गणेशजी के पूजन में दूर्वा, गेंदा और गुलाब के फूलों का प्रयोग शुभ माना गया है।
  • पूजा स्थल के दक्षिण-पूर्व की तरफ घी का दीप जलाते हुए ॐ दीपोज्योतिः परब्रह्म दीपोज्योतिः जनार्दनः ! दीपो हरतु में पापं पूजा दीपं नमोस्तुते ! मंत्र बोल लें।प्रसन्न चित्त से भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करें।
  • देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश के लिए भोग में खीर, बूंदी के लड्डू,सूखे मेवे या फिर मावे से बनी हुई मिठाई रखें एवं आरती करें।
    पूजन के बाद मुख्य दीपक को रात्रि भर जलने दें।
  • लक्ष्मी जी के मंत्र ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः। का यथाशक्ति जप करें।
  • पूजन कक्ष के द्वार पर सिन्दूर या रोली से दोनों तरफ स्वास्तिक बना देने से घर में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं करती हैं।
  • दीपावली पूजन में श्रीयंत्र की पूजा सुख-समृद्धि को आमंत्रित करती है।
  • वहीं विद्यार्थी वर्ग इस दिन माता महासरस्वती का मंत्र “या देवि ! सर्व भूतेषु विद्या रूपेण संस्थिता ! नमस्तस्यै ! नमस्तस्यै ! नमस्तस्यै नमोनमः !! का जप करके शिक्षा प्रतियोगिता में बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें: Mahindra Atom EV: महिंद्रा की इलेक्ट्रिक कार ‘एटम’ करेगी TATA Tiago EV बोलती बंद, कीमत टियागो की आधी से भी कम

दिवाली की कथा

एक नगर में एक साहूकार रहता था। उसकी एक लड़की थी। उसने देखा कि लक्ष्मी जी पीपल से निकला करती हैं। एक दिन लक्ष्मी जी उस साहूकार की लड़की से बोली कि मैं तुझ पर बहुत प्रसन्न हूं। इसलिए तू मेरी सहेली बन सकती है। लड़की बोली क्षमा कीजिए मैं अपने माता पिता से पूछकर बताऊंगी। इसके बाद वह आज्ञा पाकर श्री लक्ष्मीजी की सहेली बन गई। महालक्ष्मी जी उससे बहुत प्रेम करती थी।

एक दिन लक्ष्मीजी ने उस लड़की को भोजन का निमंत्रण दिया। जब लड़की भोजन करने के लिए आई तो लक्ष्मी जी ने उसे सोना चांदी के बर्तनों में खाना खिलाया। सोना की चौकी पर बिठाया और उसे बहुमूल्य वस्त्र ओढ़ने को दिए। इसके बाद लक्ष्मी जी ने कहा कि मैं भी कल तुम्हारे यहां आऊंगी। लड़की ने स्वीकार कर लिया और अपने माता पिता को सब हाल कहकर सुनाया। यह सुनकर उसके माता पिता बहुत खुश हुए। लेकिन, लड़की उदास होकर बैठ गई। कारण पूछने पर उसने अपने माता पिता को बताया कि लक्ष्मी जी का वैभव बहुत बड़ा है। मैं उन्हें कैसे संतुष्ट कर सकूंगी। उसके पिता ने कहा कि बेटी गोबर से जमीन को लीपकर जैसा भी बन पड़े रूखा सूखा श्रद्धा और प्रेम से खिला देना।

यह बात पिता कह भी न पाए की एक चील वहां मंडराते हुए आई और किसी रानी का नौलखा हार वहां डालकर चली गगई। यह देखकर साहूकार की लड़की बहुत प्रसन्न हुई। उसने उस हार को बेचकर लक्ष्मीजी के भोजन का इंतजाम किया। इसके बाद वहां श्री गणेशजी और लक्ष्मी जी वहां आ गए। लड़की ने उन्हें सोने की चौकी पर बैठने को कहा। इस पर महा लक्ष्मीजी और गणेशजी ने बड़े प्रेम से भोजन किया। लक्ष्मी जी और गणेशजी के आने से साहूकार का घर सुख संपत्ति से भर गया। हे लक्ष्मी माता जिस प्रकार उस लड़की पर अपनी कृपा बरसाई। उसी प्रकार सभी घरों में सुख संपत्ति देना।


Discover more from Newzbulletin

Subscribe to get the latest posts sent to your email.