Dhanteras
Dhanteras

दिवाली पर 5 दिनों तक चलने वाला दीप उत्सव धनतेरस (Dhanteras 2022) से शुरू हो जाता है। इस बार 22 अक्टूबर को धनतेरस और 24 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी। धनतेरस पर धन के देवता कुबेर और धन्वंतरि भगवान की पूजा होती है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन भगवान विष्णु का अंश माने जाने वाले भगवान धन्वंतरि की पूजा से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है।

हिन्दू धर्म में धनतेरस (Dhanteras 2022) को यश और वैभव, कीर्ति सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। धनतेरस की शाम को दीप दान किया जाता है। धनतेरस के दिन यम देवता की साधना का भी बहुत ज्यादा महत्व है और माना जाता है कि ऐसा करने से यमराज प्रसन्न होते हैं और इससे व्यक्ति की अकाल मृत्यु नहीं होती हैं। लेकिन इस दिन दीप जलाने का तरीका आम दिनों से अलग होता है। तो आइए जाने इसे जलाने के तरीके।

कब और किस दिन करें धनतेरस की पूजाा

पंचांग के अनुसार इस साल त्रयोदशी तिथि 22 अक्टूबर 2022 को सायंकाल 06:02 से प्रारंभ होकर 23 अक्टूबर 2022 को सायंकाल 06:03 बजे समाप्त हो रही है। देश की राजधानी दिल्ली के पंडित विकास त्रिपाठी के अनुसार इस साल त्रयोदशी तिथि दो दिन पड़ रही है। पंडित विकास त्रिपाठी के अनुसार जो लोग त्रयोदशी की पूजा दिन में करते हैं, वो लोग 23 अक्टूबर 2022 को उदया तिथि में करें और जो लोग प्रदोषकाल में धनतेरस की पूजा करते हैं उन्हें इस साल 22 अक्टूबर 2022 को ही शाम के समय पूजा और दीपदान करना चाहिए।

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  • कब है धनतेरस – 22 अक्टूबर, 2022, शनिवार
  • धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त – सायंकाल 07:01 से 08:17 बजे तक
  • कब जलाएं यम के लिए दीया – 22 अक्टूबर 2022, शनिवार को संध्याकाल में
  • प्रदोष काल – सायंकाल 05:45 से 08:17 बजे तक

धनतेरस पर कितने और कहां-कहां जलाएं दीया

धनतेरस (Dhanteras 2022) पर शुभता और सौभाग्य को पाने के लिए दीपदान करने की परंपरा चली आ रही है। मान्यता है कि धनतेरस पर दीपदान करने पर व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी हो जाती है और पूरे साल उसका घर धन-धान्य से भरा रहता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार धनतेरस (Dhanteras 2022) के दिन शाम के समय 13 दीया जलाना चाहिए। जिसमें से सबसे पहले दक्षिण दिशा में यम देवता के लिए और दूसरा धन की देवी मां लक्ष्मी के लिए जलाना चाहिए। इसी तरह दो दीये अपने घर के मुख्य द्वार पर, एक दीया तुलसी महारानी के लिए, एक दीया घर की छत पर और बाकी दीये घर के अलग-अलग कोने में रख देने चाहिए।

यम का दिया कैसे जलाएं

वैसे तो धनतेरस (Dhanteras 2022) की शाम को मुख्य द्वार पर 13 और घर के अंदर भी 13 दीप जलाने होते हैं। ये काम सूरज डूबने के बाद किया जाता है। लेकिन यम का दीया परिवार के सभी सदस्यों के घर आने और खाने-पीने के बाद सोते समय जलाया जाता है।

इस दीप को जलाने के लिए पुराने दीप का इस्‍तेमाल करें। उसमें सरसों का तेल डालें और रुई की बत्ती बनाएं। घर से दीप जलाकर लाएं और घर से बाहर उसे दक्षिण की ओर मुख कर नाली या कूड़े के ढेर के पास रख दें। साथ में जल भी चढ़ाएं और बिना उस दीप को देखे घर आ जाएं।

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यम देवता से जुड़ी धार्मिक कथा

मान्यता है कि एक बार यम देवता ने अपने दूतों से सवाल किया कि जब तुम प्राणियों के प्राण हरते हो तो तुम्हें उस समय किसी पर दया आती है। यमदूतों ने थोड़ा हिचकते हुए नहीं में जवाब दिया। यमराज ने उन्हें अभयदान देते हुए सच बोलने को कहा तो उन्होंने बताया कि एक बार एक व्यक्ति का प्राण हरते समय उनका दिल पसीज गया था। यमदूतों ने बताया कि एक बार हंस नाम का राजा शिकार करते हुए दूसरे राज्य की सीमा में चला गया गए तो वहां के शासक राजा हेमा ने उनका भव्य स्वागत किया। उसी समय राजा हेमा की पत्नी को एक पुत्र पैदा हुआ लेकिन ज्योतिषियों ने नक्षत्र गणना करने के बाद बताया कि वह 4 दिन बाद वह बालक जिंदा नहीं रहेगा।

तब राजकुमार की ऐसे हुई अकाल मृत्यु

राजा हंस ने उस बालक को यमुना किनारे एक गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखने को कहा और आदेश दिया कि उस तक किसी स्त्री की छाया भी न पहुंचने पाए, लेकिन एक दिन राजा हंस की बेटी वहां पहुंच गई और उसने बालक से गंधर्व विवाह कर लिया। जिसके बाद चौथे दिन राजकुमार मृत्यु को प्राप्त हुआ। दूतों के अनुसार उन्होंने कभी ऐसी सुंदर जोड़ी कभी नहीं देखी थी और उस राजकुमारी का विलाप देखकर उन्हें भी आंसू आ गए थे।

धनतेरस पर करें अकाल मृत्यु से बचने का उपाय

पूरी घटना बताने के बाद यमदूतों ने यमराज से पूछा कि क्या मनुष्य के लिए अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है? तब यमराज ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति धनतेरस के दिन विधि-विधान से दीपदान करता है तो उसे अकाल मृत्यु का जीवन में कोई भय नहीं रहता है।


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