Chhoti Diwali 2022
Chhoti Diwali 2022

Chhoti Diwali 2022 Importance and Shubh Muhurat: ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति के कारण कुछ लोग आज धनतेरस का त्योहार मनाएंगे, जबकि कुछ लोग छोटी दिवाली। आज शाम 06 बजकर 03 मिनट तक त्रयोदशी रहेगी, जिसके कारण कुछ लोग उदया तिथि में 24 अक्टूबर को ही छोटी दिवाली व बड़ी दिवाली का त्योहार मनाएंगे।

छोटी दिवाली (Chhoti Diwali 2022) को काली चौदस, नरक चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी आदि नामों से जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण, काली और सत्यभामा ने इस दिन ही नरकासुर राक्षस का वध किया था। यह त्योहार जीवन में रोशनी और खुशियां लाने का प्रतीक है। छोटी दिवाली के दिन कुछ लोग हनुमान जयंती भी मनाते हैं। जानें छोटी दिवाली से जुड़ी खास बातें-

छोटी दिवाली 2022 पूजन व दीपदान का शुभ मुहूर्त

अगर आप 23 अक्टूबर को छोटी दिवाली (Chhoti Diwali 2022) मना रहे हैं तो शाम 06 बजकर 03 मिनट के बाद त्रयोदशी में ही पूजन व दीपदान करना उत्तम रहेगा।

चतुर्दशी तिथि कब से कब तक

चतुर्दशी तिथि 23 अक्टूबर 2022 को शाम 06 बजकर 03 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 2 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी। आज शाम को 06 बजकर 03 मिनट के बाद चतुर्मखी दीपक लाकर शांति और बुराई दूर करने की कामना की जा सकती है।

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दिवाली हनुमान पूजा मुहूर्त

  • दीपावली हनुमान पूजा मूहूर्त – 11:40 पी एम से 12:31 ए एम, अक्टूबर 24
  • अवधि – 00 घण्टे 51 मिनट्स

मां कालिका की पूजा

छोटी दिवाली को काली चौदस भी कहा जाता है और कई जगहों पर कालिका माता की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन कालिका माता की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और मां कालिका भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं।

आर्थिक तंगी हो तो तेल मालिश करें

मान्यता है कि छटी दिवाली यानी नरक चौदस के दिन लक्ष्मी जी सरसों के तेल में निवास करती हैं उस दिन शरीर में तेल लगाने से आर्थिक रूप से संपन्नता आती है। जिन लोगों को आर्थिक रूप से तंगी रहती हो उनको इस दिन सरसों का तेल लगाना चाहिए। नरक चौदस के दिन उबटन लगाएं, उसके बाद गुनगुने पानी से स्नान करें। इस दिन शारीरिक सुंदरता का भी ध्यान रखने की मान्यता है।

नरक चतुर्दशी का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभागा के साथ मिलकर असुर नरकासुर का वध किया था और उसके अत्याचार से लोगों को मुक्त किया था। इस वजह से हर साल इस तिथि पर नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली मनाते हैं।

छोटी दिवाली पर क्यों किया जाता है दीपदान

छोटी दिवाली के दिन शाम को घर के बाहर मृत्यु के देवता यमराज को दक्षिण दिशा में दीप दान किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। कहते हैं कि नरक चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान कृष्ण की पूजा करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है।

यमराज की पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के मुताबिक, रंति देव नाम के एक राजा थे, जो कि बेहद ही धर्मात्मा व्यक्ति थे। उन्होंने अपने जीवन में कोई भी पाप नहीं किया लेकिन इसके बावजूद उन्हें मृत्यु के दौरान नरक लोक मिला। अपने साथ ऐसा होता देख राजा ने यमराज से कहा कि मैंने तो कभी कोई पाप नहीं किया फिर आप मुझे नरक लोक क्यों ले जा रहे हैं? रंति देव की बात सुनकर यमदूत ने कहा कि एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा पेट लौट गया था। यह आपके उसी कर्म का फल है।

इस बात को सुन राजा ने यमराज से एक वर्ष का समय मांगा और ऋषियों के पास अपनी इस समस्या को लेकर पहुंचे। तब ऋषियों ने उन्हें कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत रखने और ब्राह्मणों को भोजन कराकर उनसे माफी मांगने को कहा। एक साल बाद यमदूत राजा को फिर लेने आए। इस बार उन्हें नरक के बजाय स्वर्ग लोक ले गए तब ही से कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष को दीप जलाने की परंपरा शुरू हुई। ताकि भूल से हुए पाप की भी क्षमा मिल सकें।


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