Chhoti Diwali
Chhoti Diwali

कार्तिक मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) का पर्व मनाया जाता है, इसे छोटी दिवाली (Chhoti Diwali) के नाम से भी जाना जाता है। इस बार यह तिथि 23 अक्टूबर को है।

इस दिन को मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं लेकिन इनमें सबसे मशहूर कथा भगवान श्रीकृष्ण और नरकासुर नामक असुर की है। जिसने 16 हजार कन्याओं का बंदी बनाकर रखा था, जिससे भगवान श्रीकृष्ण ने बाद में विवाह किया था। आइए जानते हैं छोटी दिवाली (Chhoti Diwali) यानी नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के पीछे की कथा।

इनकी शरण में गए देवता

पुराणों के अनुसार, नरकासुर नामक असुर ने अपनी शक्ति से देवी-देवता और धरती पर भी सभी लोग उससे परेशान थे। असुर ने संतों के साथ 16 हजार स्त्रियों को भी बंदी बनाकर रखा था। जब उसका अत्याचार बहुत बढ़ गया तो देवता और ऋषि-मुनि भगवान श्रीकृष्ण की शरण में गए और उनको अपनी परेशानी के बारे में बताया।

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नरकासुर को था श्राप

भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें नरकासुर से मुक्ति दिलाने का आश्वासन दिया लेकिन नरकासुर को एक स्त्री के हाथों मरने का श्राप था इसलिए भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को सारथी बनाया और उनकी सहायता से नरकासुर का वध किया। जिस दिन नरकासुर का अंत हुआ, उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी थी।

दीपदान की परंपरा हुई शुरू

नरकासुर के वध के बाद श्रीकृष्ण ने कन्याओं को बंधन से मुक्त करवाया। मुक्ति के बाद कन्याओं ने भगवान कृष्ण से गुहार लगाई कि समाज अब उन्हें कभी स्वीकार नहीं करेगा, इसके लिए आप कोई उपाय निकालें। हमारे सम्मान वापस दिलवाएं। समाज में इन कन्याओं को सम्मान दिलाने के लिए भगवान कृष्ण ने सत्यभामा के सहयोग से 16 हजार कन्याओं से विवाह कर लिया। 16 हजार कन्याओं को मुक्ति और नरकासुर के वध के उपलक्ष्य में घर-घर दीपदान की परंपरा शुरू हुई।


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