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बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) और दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) की आगामी फिल्म ‘पठान'(Pathaan) इन दिनों विवादों में हैं। खासतौर पर फिल्म के गाने ‘बेशरम रंग'(Besharam Rang) में दीपिका की ड्रेस को लेकर खासी नाराजगी है और फिल्म पर लोगों के धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप लग रहे हैं।

फिल्म को लेकर लगातार विवाद गहराता जा रहा है। पठान फिल्म का बायकॉट चल रहा है और कई जगहों पर पुतले भी फूंके गए हैं। सिर्फ इतना ही नहीं फिल्म के इस गाने को कॉपी भी बताया जा रहा है।

चारों तरफ शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) और दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) को लेकर शिकायत दर्ज की जा रही हैं। यह अब एक ऐसा मुद्दा बन गया है, जिस पर सोशल माडिया (Social Media) दो गुटों में बंट गया है। कुछ लोग बायकॉट ‘पठान’ के ट्रेंड का समर्थन कर रहे हैं।

वहीं, काफी लोग फिल्म ‘पठान’ के समर्थन में आए हैं और इन विवादों पर सवाल उठा रहे हैं। इसी बीच बॉलीवुड की जानी मानी एक्ट्रेस रत्ना पाठक (Ratna Pathak) ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में फिल्म पठान का विरोध करने वालों की क्लास लगाई है।

पठान के सपोर्ट में उतरी रत्ना पाठक
दरअसल रत्ना पाठक इन दिनों अपनी पहली गुजराती फिल्म ‘कच्छ एक्सप्रेस’ के प्रमोशन में व्यस्त हैं, जो 6 जनवरी को रिलीज होने जा रही है। इसी बीच रत्ना पाठक शाह हमारे सहयोगी इंडियन एक्सप्रेस से खास बातचीत की। इसी दौरान उन्होंने देश में चल रहे पठान फिल्म का विरोध किए जाने पर ट्रोल्स को फटकार लगाने के साथ-साथ कहा है कि वह उस दिन का इंतजार कर रही हैं, जब नफरत आखिरकार लोगों को थका देगी।

 

‘लोगों के पास खाने के लिए खाना नहीं है’- रत्ना पाठक

अभिनेत्री रत्ना पाठक शाह ने कहा कि ‘लोगों के पास अपनी थाली में खाना नहीं है, लेकिन कोई और जो कपड़े पहन रहा है उसके बारे में वह लोग गुस्सा कर सकते हैं।’इसके बाद एक्ट्रेस से पूछा गया कि किसी कलाकार को कैसा महसूस होता होगा कि उसकी ड्रेस पूरे देश का मुद्दा बन गई है।

इस पर रत्ना ने कहा कि ‘अगर ये चीजें आपके दिमाग में सबसे ऊपर हैं तो मैं कहूंगी कि हम बहुत मूर्खतापूर्ण समय में जी रहे हैं। यह ऐसा मुद्दा नहीं है जिसके बारे में मैं बहुत ज्यादा बात करना चाहूंगी या इसे ज्यादा महत्व दूंगी।’

‘इंसान एक हद से ज्यादा नफरत बर्दाश्त नही कर सकता’

एक्ट्रेस ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि ‘लेकिन मुझे लगता है कि भारत में इस समय जितने समझदार लोग दिखाई दे रहे हैं। उससे कही अधिक समझदार लोग है। वो सब भी समय आने पर बाहर आएंगे, क्योंकि क्योंकि जो हो रहा है,

यह भय की भावना, बहिष्कार की भावना ज्यादा समय तक रहने वाली नहीं है। मुझे लगता है कि इंसान एक हद से ज्यादा नफरत को बर्दाश्त नहीं कर सकता। तब एक विद्रोह होता है। लेकिन कुछ समय बाद आप इस घृणा से थक जाते हैं। मैं उस दिन के आने का इंतजार कर रही हूं।’


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