New Delhi: अभिनेता संजय दत्त लोगों के बीच नशे की लत और एक कैदी के रूप में काफी चर्चित थे, हालांकि, उन्होंने लोगों के इस सोच को तोड़ने के लिए काफी संघर्ष किया। उनपर फिल्माया गया फिल्म संजू उनके जीवन के संघर्ष की कहानी है। एक नए इंटरव्यू में उन्होंने खुलासा किया कि जब वह नशा मुक्ति केंद्र से वापस लौटे तो उनके प्रति लोगों का व्यव्हार सही नहीं था। सड़क से गुजरते वक्त लोग मुझे चरसी कहकर बुलाते थे। मैं लोगों की सोच को तोड़ना चाहता था।
YouTuber रणवीर इलाहाबादिया के साथ बातचीत में, उन्होंने कहा कि उस समय ड्रग्स करना ‘कूल’ था। कैसे उन्होंने ‘बैक बाउंस’ किया, इस पर उन्होंने कहा, “मुझे अपना मन बनाना था। मैं दो साल के लिए नशा मुक्ति केंद्र में था, जो दुर्लभ है। मैं बस यह स्वीकार नहीं कर सकता था कि मैं एक ड्रग एडिक्ट था।”
हालाँकि, जब उन्होंने पुनर्वसन केंद्र में अन्य रोगियों के साथ मज़ेदार गतिविधियों का अनुभव किया, तो उन्होंने महसूस किया कि उन्होंने बहुत कुछ खो दिया है। “यही तो जीवन है, मैं उसे क्यों याद कर रहा था। अपने जीवन के दस साल मैं अपने कमरे में, या बाथरूम में था, और शूटिंग में कोई दिलचस्पी नहीं थी। लेकिन यही जीवन है, और इस तरह सब कुछ बदल गया।
उन्होंने सबकुछ छोड़कर कैसे वापसी की, इस बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “जब मैं वापस आया तो लोग मुझे चरसी कहते थे। और मैंने सोचा, गलत है ये। यह बात सड़क पर चल रहे लोग कह रहे हैं। कुछ करना पड़ेगा। इसलिए मैंने वर्कआउट करना शुरू कर दिया। मैं इसे तोड़ना चाहता था। चरसी से मैं स्वैग और ‘क्या बॉडी है’ वाला लड़का बन गया।
संजय दत्त ने 2020 में अपने कैंसर निदान के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि जब वह अपने कैंसर के बारे में परिवार में पत्नी और बच्चों को बताए तो वह अपने आंसू नहीं रोक पाए। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे परिवार ने उनके इलाज की योजना बनाई और कैसे फिल्म निर्माता राकेश रोशन ने उन्हें एक डॉक्टर की सिफारिश की। संजय दत्त को आखिरी बार हाल ही में रिलीज़ हुई केजीएफ: चैप्टर 2 में खलनायक अधीरा के रूप में देखा गया था। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कई रिकॉर्ड तोड़े हैं।
Related
Discover more from Newzbulletin
Subscribe to get the latest posts sent to your email.